World: धरती के सबसे करीब आ रहा सींग वाला  धूमकेतु, दक्षिणी गोलार्ध में दिखेगा..

नई दिल्ली। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक धूमकेतु जल्द ही धरती के करीब आ रहा है। इसे सींग वाला धूमकेतु कहते हैं, जो अपने विस्फोटों की एक शृंखला के लिए प्रसिद्ध है। इसे डेविल कॉमेट या शैतान धूमकेतु भी कहते हैं। रविवार को यह पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचेगा। जबकि मई के पहले सप्ताह से धूमकेतु उत्तरी गोलार्ध में लोगों को दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन दक्षिणी गोलार्ध के लोग दूरबीन या टेलीस्कोप के जरिए इसे देख सकते हैं। इस धूमकेतु की तुलना स्टार वॉर्स फिल्म के मिलेनियम फाल्कन अंतरिक्ष यान से की जाती है।

यह खगोलीय पिंड हैली धूमकेतु के समान है और लगभग हर 71 साल में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है। इसे करीब से देखने का जीवन में एक ही बार मौका मिलता है। यह धूमकेतु दशकों तक फिर से पृथ्वी के पास से नहीं गुजरेगा। खगोलविदों की ओर से सामूहिक ऑब्जर्वेशन इसकी वास्तविक प्रकृति और व्यवहार में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है। आधिकारिक तौर पर धूमकेतु का नाम 12पी/पोंस-ब्रूक्स है। 21 अप्रैल को यह सूर्य के सबसे करीब से गुरजा। यह सूर्य से 11.97 करोड़ किमी तक आ गया।

पृथ्वी के लिए खतरा?
रविवार को धूमकेतु पृथ्वी के सबसे करीब से गुजरेगा। लेकिन फिर भी यह हमारे पृथ्वी से 23 करोड़ किमी की दूरी पर होगा। इससे हमें कोई भी खतरना नहीं है। संदर्भ के लिए देखे तो सूर्य पृथ्वी से 14.9 करोड़ किमी दूर है। एरिजोना में लोवेल वेधशाला के खगोलशास्त्री डॉ. डेव श्लीचर ने कहा, ‘धूमकेतु की चमक अप्रैल के अंत में चरम पर थी और तीन से चार सप्ताह से लगातार कम हो रही है।’ लोवेल में पोस्टडॉक्टरल एसोसिएट, खगोलशास्त्री डॉ. टेडी करेटा ने कहा कि भूमध्य रेखा के नीचे के लोगों के लिए आने वाले सप्ताह और महीने 1950 के दशक के बाद इसे देखने का पहला अच्छा मौका है।

कब हुई थी खोज
जीन-लुई पोंस और विलियम रॉबर्ट ब्रूक्स ने डेविल कॉमेट को खोजा था। 1812 में पोंस औ 1883 में ब्रूक्स ने इसे खोजा। हजारों वर्षों में इस धूमकेतु ने सूर्य के चारों ओर कई यात्राएं की हैं। करेटा ने कहा कि खगोलविदों के अनुमान के मुताबिक इसका व्यास 10 से 20 किलोमीटर के बीच होगा। श्लीचर ने कहा, ‘इस दुर्लभ धूमकेतु का रंग भी बाकियों की तरह हरा होता है, क्योंकि इनके अंदर डायटोमिक कार्बन अणु होते हैं जो सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करते हैं और हमें देखने में हरा लगता है।’

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