Alians: धरती पर नौ दिनों तक कौन भेज रहा था रहस्यमयी सिग्नल? वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा

बीते साल सितंबर में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। वैज्ञानिकों को भूकंपीय गतिविधियों पर नजर रखने वाले उपकरणों से चौंकाने वाले संकेत मिले थे। उन्होंने इस तरह के संकेत कभी नहीं देखे थे। आर्कटिक से लेकर अंटार्कटिका तक यह संकेत मिला था। भूकंप की गड़गड़ाहट की जगह यह संकेत सिर्फ एक वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी के साथ लगातार मिल रहा था। नौ दिनों तक ऐसा चला था। शोधकर्ताओं के लिए यह बेहद हैरान करने वाला मामला था।

उस दिन जर्मनी की ब्लैक फॉरेस्ट वेधशाला में डॉ. रुडोल्फ विडमर मौजूद थे। उन्होंने बताया कि बीते 22 सालों से वेधशाला में काम करने के दौरान मैंने जो कुछ भी देखा, यह सिग्नल उससे बिल्कुल अलग था। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि नौ दिनों तक यह संकेत हर कुछ घंटे में रिपीट होता रहा। सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर क्या यह संकेत यानी सिग्नल एलियन भेज रहे थे? लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है।

शोधकर्ताओं की टीम ने इसे एक अज्ञात भूकंपीय वस्तु (USO) के तौर पर वर्गीकृत किया है। इस सिग्नल ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है और उनकी चिंता भी बढ़ा दी। उनका कहना है कि इस तरह के संकेत के पीछे सिर्फ कोई बड़ी वस्तु हो सकती है, लेकिन बहुत कम ऐसी वस्तुए हैं, जिनके बारे में हम जानते हैं कि यह उतपन्न हो सकता है।

यह ज्वालामुखी, टेक्टोनिक अस्थिरता या अज्ञात हथियार परीक्षण का संकेत हो सकता है। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने दूसरी संभावना यह भी जताई थी कि यह कोई भूवैज्ञानिक प्रक्रिया हो सकती है, जिसके बारे में विज्ञान ने अभी तक पता नहीं लगाया है। इसके बाद दुनिया भर के भूकंपविज्ञानी इसके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश में लगे थे। एक साल बीत जाने के बाद वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझा लिया है। साइंस जर्नल में इसके निष्कर्ष प्रकाशित किए गए हैं।

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वैज्ञानिकों ने रहस्यमयी सिग्नल का पता लगाने के लिए अपने संसाधन और डेटा को इकट्ठा किया। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के भूकंप विज्ञानी और अध्ययन के सह लेखक स्टीफन हिक्स ने बताया कि शुरुआत में बेहद कम जानकारी होने की वजह से शोधकर्ताओं ने सिग्नल को यूएसओ के रूप में वर्तीकृत किया था। उन्होंने बताया कि यह सिग्नल पूर्वी ग्रीनलैंड से मिल रहा था। जब वैज्ञानिकों को सिग्नल के बारे में जानकारी मिली, उसी दौरान डेनमार्क की सेना को डिक्सन फ्योर्ड में सुनामी के बारे में पता चला।

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