Openion: क्या यूपी में उकसावे का एनकाउंटर हुआ है?
संजय चतुर्वेदी
उत्तरप्रदेश में आज हुए एक एनकाउंटर से उपजे सवाल जितने गंभीर हैं, उससे कहीं ज्यादा चिंताजनक हैं। चिंता इस बात की है कि क्या सरकार को उकसाया जा सकता है, क्या उकसावे में आकर सरकार कार्रवाई करती है? अगर ऐसा है तो निश्चित तौर पर सिस्टम खतरनाक हो रहा है।
एनकाउंटर उत्तरप्रदेश के उन्नाव में हुआ, यहां सुल्तानपुर डकैती के आरोपी अनुज प्रताप सिंह को एसटीएफ ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। डकैती के इस मामले का यह दूसरा एनकाउंटर है। इसके पहले एक आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार गिराया गया था।
मंगेश के एनकाउंटर को लेकर यूपी के पूर्व सीएम तथा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सवाल उठाए थे उन्होंने अपने एक्स एकाउंट पर लिखा कि मंगेश यादव था इसलिए उसका एनकाउंटर किया गया। उन्होंने और भी कुछ सवाल उठाए थे और सरकार की नीयत पर संदेह व्यक्त किया था, लेकिन आज एक ठाकुर आरोपी का एनकाउंटर हो गया। मीडिया चैनल पर मृतक के परिवार वालों के बयान चल रहे हैं और वह इस एनकाउंटर को दोष अखिलेश यादव के सिर मढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि अब अखिलेश यादव के कलेजे को ठंडक मिल गई होगी क्योंकि एक ठाकुर का भी एनकाउंटर हो गया
एनकाउंटर को लेकर पुलिस की कहानी एक जैसी ही होती है। पुलिस हर बार कहती है कि आरोपी को सरेंडर के लिए कहा गया लेकिन उसने पुलिस पर गोलियां चलानी शुरू कर दी और जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। हर बार एक कहानी, कई बार यह कहानी झूठी साबित हुई और दोषी पुलिस वालों को हत्या के मुकदमों का सामना करना पड़ा इसके बावजूद एनकाउंटर अपनी इस कहानी से कभी टस से मस नहीं हुआ। या यूं कहें कि एनकाउंटर की इसके अलावा और कोई कहानी बन ही नहीं सकती। B
उत्तर प्रदेश में इसके पहले बुलडोजर का आतंक रहा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से बुलडोजर पर कुछ समय के लिए ब्रेक लग गया है। बुलडोजर थमा तो अब बुलेट कहर बरपा रही है और उसको लेकर राजनीति भी सरगर्म है। एनकाउंटर को जातियों से जोड़कर देखा जा रहा है, हालांकि पुलिस के आला अफसर दावा करते हैं कि पुलिस जाति देखकर कार्रवाई नहीं करती। हो सकता है कि पुलिस सच बोल रही हो लेकिन डकैती के मामले में हुए यह एनकाउंटर जिस तरीके का चित्र पेश कर रहे हैं वह चिंताजनक जरूर है। यह सवाल भी उठा है कि अगर अखिलेश यादव ने आरोपी मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल नहीं उठाए होते तो आज अनुज सिंह का एनकाउंटर नहीं होता। अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ की राजनीति में डैमेज कंट्रोल के लिए ठाकुर को भी मार दिया गया क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठाकुर हैं और इसी आधार पर अखिलेश यादव ठाकुरों के वर्चस्व को लेकर भी मुखर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की राजनीति जातियों के बिना अधूरी ही है। यहां जातियों की जनसंख्या के आधार पर नेताओं के कद और रुतबे तय होते हैं लेकिन यह कोई नई बात नहीं है। नई बात यह है कि राजनीति को साधने के लिए अगर किसी के उकसावे पर सरकार अपनी कार्रवाई तय करें तो यह बहुत ही गंभीर और चिंताजनक बात है। यह सरकार की अस्थिरता का प्रतीक है।