MP: सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने की थी, दुबई से वापसी हो पाएगी या नहीं..? क्या है गाड़ी में रखे सोने और नकदी का राज..?

भोपाल। परिवहन विभाग के कांस्‍टेबल रहे सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति तत्कालीन परिवहन आयुक्त शैलेन्द्र श्रीवास्तव के हस्ताक्षर से हुई थी। उससे बरामद नकदी और सोने को लेकर तरह तरह की चर्चाएं चल रही हैं। उसकी दुबई से वापसी होगी या नहीं? सबसे बड़ा सवाल यह है कि गाड़ी में रखा सोना और नकदी किसके हिस्से की थी और उसे कहां ले जाया जा रहा था?

सौरभ शर्मा के पिताजी ग्‍वालियर जेल में स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी थे। उनके निधन के बाद नियमानुसार उनके पुत्र या आश्रित की नियुक्ति स्वास्थ्य विभाग में ही होनी थी। फर्जीवाड़े की शुरुआत यहीं से हुई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से लिखवाया गया कि इस विभाग में पद रिक्त नहीं हैं।जबकि पदों की कोई कमी नहीं थी। फिर सौरभ की फाइल परिवहन विभाग में चलाई गई। परिवहन मुख्यालय ग्वालियर में वर्षों से जमे कर्मचारी ऐसे फर्जीवाड़ों में माहिर रहे हैं। आसानी से प्रस्ताव बना, उसकी फीस वसूल कर ली गई और आयुक्त शैलेन्द्र श्रीवास्तव के हस्ताक्षर भी हो गए।

सवाल ये है कि आखिर नियम विरुद्ध नियुक्ति कैसे हुई ? क्या राजनीतिक दबाव था या विभागीय स्तर पर ही खेल हुआ? और, क्या इस मामले की जांच भी होगी?

अब ताजे मामले की बात करते हैं। एक मुद्दा ये है कि जब लोकायुक्त का छापा सौरभ शर्मा के यहां चल रहा था, उसी समय उसकी गाड़ी उसी बंगले से कैसे निकल गई? क्या लोकायुक्त पुलिस की शह पर निकली? या इसे निकलवाया गया? छापे के दौरान कड़ी सुरक्षा में खामी रहो या जानबूझकर उस गाड़ी को कही सुरक्षित पहुंचाया जा रहा था? फिर, जो चर्चा चल रही है वो ये कि

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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