भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार का बन मेला… जड़ी बूटियों का बाजार.. अचानक एक स्टाल से एक आवाज आती है, दांपत्य जीवन में आपको कोई परेशानी है, शारीरिक और मानसिक चिंताएं हैं.. ये अंगूठी आपकी सारी समस्याएं दूर कर देगी।
आम तौर पर ऐसी दुकानें सड़कों के किनारे बिकती देखी जाती हैं। लेकिन यहां सरकारी वन मेला, जिसे कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिल चुका है, वहां ये दुकानें लगी हैं। मेले में चालीस से साठ वर्ष के लोग ज्यादा जाते दिखे। कई स्टाल वाले पास आ आकर सी पावर वाली दवा लेने पर जोर देते हैं। तीन सौ की तीन खुराक… विज्ञापनों की तरह दावे।
12 से अधिक स्टॉल पर जादुई अंगूठियां बेची जा रही थीं। दुकानों पर बड़े-बड़े पोस्टरों में लिखा था- ये अंगूठियां “संतान प्राप्ति, वास्तु दोष निवारण, शादी में बाधाएं दूर करने, आर्थिक संकट समाप्त करने और मानसिक-शारीरिक शांति” के लिए प्रभावी हैं।
इन अंगूठियों को बेचने वाले दुकानदार भी ग्राहकों के सामने इसी तरह से मार्केटिंग कर रहे थे। इनकी कीमत ₹250 से ₹1,100 तक है। विक्रेताओं का दावा है कि ये अष्ट धातुओं की बनी हैं। इनमें तांबा, पीतल, सोना और अनेक धातु मिली हुई हैं। एक ऐसा पदार्थ है जो इन धातुओं को आपस में जोड़ता है। खास बात ये है कि न केवल आम लोग बल्कि सरकारी कर्मचारी और पुलिसकर्मी भी इन अंगूठियों को खरीदते हुए देखे गए।
जहां तक जड़ी बूटियों का सवाल है, तो ये मेले का मुख्य आकर्षण होता है। लेकिन जिस तरह से दवाएं बेची जा रही हैं, वो तरीका बहुत भद्दा है। एकदम सड़क छाप। जहां नीम हकीमों और झोला छाप डाक्टरों के खिलाफ मुहिम चला रही है, यहां वही लोग हर रोग का इलाज अधिकृत रूप से कर रहे हैं।
असल में भोपाल के वन मेले का आकर्षण लगातार कम होता जा रहा है। जो दवाएं या वस्तुएं मेले में बी रही हैं, सामान्य बाजार में भी मिल जाती हैं। बल्कि बाजार में उनके रेट कम ही होते हैं। जड़ी बूटियों से लेकर कई तरह के लड्डू, नमकीन, पापड़ आदि चीजें अभी भोपाल उत्सव मेले में भी उपलब्ध हैं। इनके भाव अधिक हैं। इसके चलते शहर के लोग तो कुछ खरीदने में रुचि ही नहीं ले रहे हैं। वन विभाग द्वारा मेले का सही प्रबंधन भी नहीं किया जा रहा है।कुल मिलकर वन मेला सरकार का फ्लॉप शो हो गया है।b