MP: भोपाल-ग्वालियर में 8 जगह ईडी का छापा, पूर्व रजिस्ट्रार केके अरोरा के ठिकानों पर कार्रवाई… जिस जगह मिला था सौरभ शर्मा का 52 किलो सोना, वो जगह केके अरोरा की
भोपाल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अलग-अलग टीमों ने आज सुबह भोपाल और ग्वालियर में 8 जगह छापे मारे हैं। कार्रवाई पूर्व सीनियर सब रजिस्ट्रार केके अरोरा के ठिकानों पर की गई है। भोपाल में इंद्रपुरी स्थित नवोदय हॉस्पिटल समेत 4 ठिकाने जबकि ग्वालियर में मुरार स्थित सीपी कॉलोनी समेत 4 जगहों पर छापे मारे गए हैं।
ईडी की टीम सुबह करीब 5 बजे अरोरा के सभी ठिकानों पर पहुंची। फिलहाल, अधिकारी दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं।
पूर्व सीनियर सब रजिस्ट्रार अरोरा, विनय हासवानी के बिजनेस पार्टनर हैं। भोपाल के मेंडोरी स्थित विनय हासवानी के फार्म हाउस से ही 54 किलो गोल्ड और 11 करोड़ कैश से लदी कार मिली थी। वह आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के मौसा, पूर्व डीएसपी मुनीश राजोरिया का दामाद है।
ग्वालियर में किरायेदारों से पूछताछ
पड़ोसियों के मुताबिक, केके अरोरा और उनकी पत्नी 25 दिन पहले ही घर से चले गए थे। वे बेंगलुरू में हैं। उनके घर में दो किरायेदार रहते हैं, जिनसे पूछताछ की जा रही है। ईडी की टीम ने छापेमारी के वक्त किरायेदारों को घर के अंदर लॉक कर दिया था। उनके बच्चों को भी स्कूल नहीं जाने दिया गया।
जानकारी के अनुसार ईडी कई जगहों पर पहुंची है। बड़ी बात यह है कि जिस जगह पर 52 किलो सोने से भरी हुई गाड़ी मिली थी उस जगह के मालिक के घर भी ईडी ने दबिश दी है। उम्मीद है जल्द ही सारे तार जुड़ जाएंगे। श्वष्ठ ने किन- किन जगहों पर छापा मारा है, यह साफ नहीं हो सका है। हालांकि ग्वालियर के मुरार में छापे की पुष्टि हो चुकी है।
0 मिली जानकारी के अनुसार ईडी ने ग्वालियर के मुरार में स्थित सीपी कॉलोनी में केके अरोरा के घर पर रेड की है। बताया जा रहा है कि पिछले महीने भोपाल में 52 किलो सोने से भरी हुई जो गाड़ी मिली थी, वह जगह कमलेश अरोरा वाइफ ऑफ केके अरोरा के नाम पर दर्ज है। केके अरोरा रिटायर रजिस्टार हैं और वर्तमान में हाई कोर्ट में वकालत कर रहे हैं।
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त ने 19 दिसंबर, गुरुवार को अरेरा कॉलोनी स्थित उसके घर पर छापा मारा था। इस रेड में सौरभ के घर से 1.15 करोड़ रुपए कैश मिले थे। वहीं, आधा किलो से ज्यादा सोना मिला, जो 50 लाख रुपए से ज्यादा का है। इसके अलावा प्रॉपर्टी के कई अहम दस्तावेज भी मिले हैं। इसी के साथ उसके साथी चेतन सिंह गौर के ठिकाने से 1 करोड़ 70 लाख रुपए मिले हैं। दोनों के घर से मिले सामान और गाडिय़ों की कीमत 2 करोड़ रुपए आंकी गई है।
बता दें कि सिर्फ सात साल की मामूली नौकरी में ही सौरभ शर्मा ने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। उसने अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी पाई और फिर चंद सालों में सिस्टम को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हुए रसूखदार बिल्डरों और नेताओं के साथ सांठगांठ कर ली। एक साल पहले उसने वीआरएस लेकर खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन उसका खेल यहीं खत्म नहीं हुआ। सौरभ ने भोपाल के शाहपुरा इलाके में एक बड़े स्कूल की फ्रेंचाइजी, एक होटल और अवैध प्रॉपर्टी डीलिंग में निवेश किया। वह अभी जहां रहता है, उस मकान को अपने साले का बताता है। हालांकि लोकायुक्त टीम सभी पहलुओं की जांच कर रही है।
फर्जी दस्तावेजों से पाई थी नौकरी
मिले दस्तावेजों से साफ है कि सौरभ शर्मा ने फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाई थी। ग्वालियर के एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर के अनुसार सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे और उसका भाई रायपुर में डिप्टी कमिश्नर फाइनेंस के पद पर पोस्टेड है। ऐसे में सौरभ शर्मा किसी भी स्थिति में नौकरी की पात्रता नहीं रखता था। बावजूद इसके उसने फर्जी दस्तावेजों के सहारे क्रञ्जह्र में नौकरी पाई। एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर ने इस मामले में क्रञ्जढ्ढ भी लगाई है, मगर अब तक उन्हें विभाग ने कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई है।
सौरभ और उसके दोस्त शरद की तलाश
इस मामले में आयकर विभाग आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी शरद जायसवाल की तलाश है। उसे आयकर ने समन भेजा था लेकिन वो बयान देने के लिए नहीं आया। ऐसे में उसकी भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। शरद आयकर के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी जांच के दायरे में है। सौरभ के सहयोगी चेतन सिंह गौर और शरद की कम्पनी अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से विभाग को बड़े खुलासे की उम्मीद है।
हालांकि सौरभ के सामने आने के बाद ही यह क्लियर होगा कि वह सोना कहां से लाता था। टीम यह जानने की कोशिश कर रही है कि यह गोल्ड किस देश या शहर से बुलाया था। आयकर विभाग ने बरामद बिस्किट की डिजाइन के आधार पर कई ज्वेलर्स से पूछताछ की है। लेकिन टीम को कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। विभाग अब सौरभ शर्मा के मूवमेंट का इंतजार कर रहा है ताकि वह कहीं आए-जाए तो उसकी जानकारी मिले और उसका बयान लिया जाए।
छापे के दो दिन पहले से बंद है सौरभ का मोबाइल
आयकर विभाग की जांच के दायरे में आने के पहले सौरभ लोकायुक्त छापे की जद में आया था। जांच में यह बात सामने आई कि उसका मोबाइल 16 दिसम्बर से बंद है। वह लोगों से संपर्क करने के लिए अपने मोबाइल नम्बर का इस्तेमाल नहीं कर रहा है।
आयकर ने लोकायुक्त से मांगी जानकारी
आयकर विभाग ने लोकायुक्त पुलिस से सौरभ शर्मा के यहां मारे गए छापे के बारे में जानकारी मांगी है। लोकायुक्त के यहां से मिली जानकारी के आधार पर आयकर विभाग अन्य दस्तावेज जुटाएगा और सौरभ की इनकम के सोर्स पता करेगा। इसके पहले लोकायुक्त पुलिस संगठन भी आयकर विभाग को इसी तरह पत्र लिखकर जानकारी मांग चुका है।