Editorial: हिंदी दिवस
हम हिंदी मात्र बोलते ही नहीं, ओढ़ते हैं, बिछाते हैं। हिंदी को जीते हैं। फिर भी आज हम राष्ट्रीय हिंदी दिवस मना रहे हैं। इसलिए कि हम कहें,े हिंदी मात्र एक भाषा नहीं है, अपितु हम भारतवासियों की पहचान हैं। यह भारतीयों को जोडऩे वाली भाषा है। स्वदेश से दूर किसी विदेशी गंतव्य पर जब किसी हिंदी भाषी से मुलाकात हो जाती है तो अपने आप ही एहसास हो जाता है कि इन अनजान व्यक्ति का नाता भारत से है।
भारतीय संविधान ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को देवनागरी लिपि में भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया था। इस दिन को मनाने का विचार राजभाषा आयोग ने प्रस्तुत किया था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को प्रसारित करना था।
अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 122 भाषाएं हैं जो बोली और समझी जाती हैं। यह बात और है कि भारतीय संविधान में कुल 22 भाषाओं को ही मान्यता दी गई है। परंतु देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी का भी नाम शामिल है, जो कि तीसरे स्थान पर है।
हिंदी दिवस मनाने की एक वजह देश-दुनिया में हिंदी का प्रचार-प्रसार भी है। युवा वर्ग जो अंग्रेजी भाषा की ओर आकर्षित हो रहे हैं, उन्हें हिंदी के महत्व और उपयोगिता से अवगत कराना भी है। यही कारण है कि हिंदी के इतने समृद्ध होने के कारण आज हिंदी दिवस मनाया जाना चाहिए और अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए।
देवभाषा संस्कृत के गर्भ से निकली हिंदी भारत की एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। हमारे संविधान में हिंदी को प्रमुख स्थान दिया गया है। वहीं इस भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। हिंदी देश के तमाम हिस्सों में लोगों के बातचीत करने वाली प्रमुख भाषा है। हिंदी दिवस का दिन हम सभी को हिंदी की विरासत की याद दिलाता है। हिंदी साहित्य का देश में बहुत बड़ा योगदान है। ङ्क्षहदी साहित्य और हिंदी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी बहुत महती भूमिका निभाई है।
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक में हिंदी साहित्य ने समाज को दिशा दी है। तुलसीदास, कबीर, महादेवी वर्मा, प्रेमचंद और अन्य लेखकों व कवियों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध करने का काम किया है। आज भी हिंदी साहित्य से लेकर हिंदी पत्रकारिता समाज को दिशा देने का काम कर रहे हैं। हमें गर्व है कि हमारी मातृभाषा ङ्क्षहदी है। जय हिंदी, जय हिंदुस्थान।
– संजय सक्सेना