MP: सुधीर सक्सेना की जगह 1988-1989 बैच में से बनेगा डीजीपी
भोपाल। प्रदेश के वर्तमान डीजीपी सुधीर सक्सेना आगामी नवंबर माह में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसी माह नए डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो रही है। सुधीर सक्सेना की जगह 1988-1989 बैच में से कोई अधिकारी डीजीपी बनेगा।
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि सुधीर सक्सेना की गिनती स्वच्छ छवि वाले अफसरों में होती है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मार्च 2024 में उन्हें 2 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी डीजीपी बनाए रखा है और फ्री हैंड भी दिया। मौजूदा डीजीपी सक्सेना इसी साल नवंबर में रिटायर हो रहे हैं।
नए नियमों के मुताबिक डीजीपी की दौड़ में अरविंद कुमार, अजय कुमार शर्मा और जीपी सिंह आगे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसी में से किसी एक नाम पर सहमति बन सकती है। हालांकि कैलाश मकवाना भी जोर लगा रहे हैं। यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो साल के लिए होना अनिवार्य है। इससे अधिक वक्त के लिए भी डीजीपी को रखा जा सकता है।
अक्टूबर में पैनल भेजा जाएगा यूपीएससी
गृह विभाग के सूत्रों का कहना है कि नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए फाइल मूवमेंट शुरू हो गया है। 12 सितंबर को पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) को पत्र भेजकर 20 दिन में दावेदारों की सहमति के साथ उनके सेट प्रोफार्मा में प्रस्ताव मांगे हैं।
प्रस्ताव मिलने के बाद शासन उन्हें संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजेगा। इस बार नए प्रावधान के कारण पिछली बार की तुलना में तीन चौथाई नाम घट जाएंगे। इस बार सिर्फ 9 स्पेशल डीजी के नाम ही दिल्ली जाएंगे।
बताया गया है कि नए नियमों के मुताबिक डीजीपी का पद खाली होने वाले दिन से जिस भी दावेदार की सर्विस कम से कम छह माह बची हो, उसका नाम ही दिल्ली भेजा जाएगा। इसलिए 1987 बैच के शैलेष सिंह, 1988 बैच के सुधीर शाही और 1990 बैच के विजय कटारिया के नाम पैनल में नहीं होंगे, क्योंकि ये तीनों अफसर जनवरी-फरवरी 2025 में रिटायर होने वाले हैं। लिहाजा ये पात्रता से बाहर हो जाएंगे।
तीन नामों का पैनल सरकार को भेजेगा यूपीएससी
जो नाम यूपीएससी भेजे जाएंगे, उनमें 1988 बैच के अरविंद कुमार व कैलाश मकवाना, 1989 बैच के अजय कुमार शर्मा, जीपी सिंह व सुषमा सिंह, 1991 बैच के वरुण कपूर, उपेंद्र कुमार जैन, आलोक रंजन व प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव का नाम होगा।
यूपीएससी इन पर विचार करने के बाद तीन नाम का पैनल मप्र सरकार को भेजेगा, जिसमें एक पर मुहर लगेगी। माना जा रहा है कि नवंबर की शुरुआत में ही तमाम प्रक्रिया शासन स्तर पर पूरी हो जाएगी।