अलीम बजमी
भोपाल। 45 साल की कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा ने खुद को जलाया था या किसी ने उन्हें जलाया था? ये सवाल 27 साल बाद आज भी जस का तस खड़ा है। होशंगाबाद की रहने वालीं सरला कांग्रेस में तेजतर्रार नेता की छवि रखती थीं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह सरीखे बड़े कांग्रेसी नेता तक उनके व्यक्तित्व से बखूबी वाकिफ थे। सक्रिय राजनीति में हिस्सेदारी रखने वाली सरला टीटीनगर के एक सरकारी आवास में रहती थीं। सागर यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में एमजे करने वाली सरला 14 फरवरी 1997 को घर में रहस्यमय परिस्थितियों में जल गई थीं। 70% जल चुकीं सरला ने 19 फरवरी को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। तब प्रदेश में कांग्रेस का शासन था और मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे। इस घटना के विरोध में विपक्ष (भाजपा) ने 15 दिनों तक विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी थी। तब तत्कालीन गृहमंत्री चरणदास महंत ने सीबीआई जांच की घोषणा सदन में की थी, लेकिन यह सिर्फ घोषणा बनकर ही रह गई। उधर, तीन साल की जांच के बाद टीटी नगर पुलिस ने केस की फाइल ही बंद कर दी। वहीं, राज्य शासन ने नोटिफिकेशन जारी नहीं किया तो सीबीआई जांच भी नहीं हो सकी। कुल मिलाकर 27 साल बाद भी इस मामले के सवाल अनसुलझे ही हैं।
संदिग्ध परिस्थितियों में सरला की मृत्यु होने के मामले में तब एक शीर्ष कांग्रेसी नेता और उनके सहयोगी एक अन्य नेता, एक डॉक्टर के दामन पर सरला की हत्या के आरोपों के छींटे भी उछले थे। परिजनों ने सरकार बदलने पर भाजपा नेताओं के समक्ष भी फरियाद की, लेकिन सरला की मौत को लेकर विधानसभा में कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़े करने वाली भाजपा के तेवर भी सत्ता में आते ही नरम पड़ गए।
वो सवाल जो आज भी जिंदा तो हैं, लेकिन उनके उत्तर किसी के पास नहीं…
सरला की मौत पर उनके परिजनों द्वारा सवाल खड़ा करने पर ये मामला गर्माया था। उस समय समूचा विपक्ष तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया था। बाद में हुए चुनावों में भी ये मुद्दा बना। परिस्थितियों के अनुसार परिजनों की दलील रही कि केरोसिन कहां से आया? क्योंकि घर में रसोई गैस का चूल्हा था। उन्हें काफी देरी से इलाज के लिए अस्पताल क्यों ले जाया गया? पुलिस आने के पहले किसके ऑर्डर से वहां पहुंचे एक डॉक्टर ने घर के अंदर से केरोसिन की गंध को खत्म कराया? इसके लिए किसने धुलाई यानी साफ-सफाई कराई थी? मृत्यु पूर्व सरला मिश्रा के पुलिस को दिए कथन को भी परिजनों ने स्वीकार नहीं किया। मामले में आरोप लगा था कि सत्ता पक्ष के एक बड़े नेता के इशारे पर जरूरी साक्ष्य मिटाए गए। पुलिस से मनमानी रिपोर्ट भी तैयार करवाई गई। उनके जलने के समय कौन नेता उनसे मिलने गया था? उसके बयान क्यों नहीं लिए गए? पड़ोसियों से जरूरी पूछताछ क्यों नहीं की गई?
कांग्रेस नेता पर लगा आरोप… सरला मिश्रा के परिजनों ने पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उनकी संदिग्ध मौत को आत्महत्या का रूप कांग्रेस एक बड़े नेता के दबाव के कारण दिया गया। परिजनों ने सरला की हत्या किए जाने का आरोप लगाते हुए भोपाल के टीटी नगर थाना में शिकायत भी दर्ज कराई थी। उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की मांग भी की लेकिन ठोस रूप में अब तक हुआ कुछ नहीं।
फेसबुक की वाल से साभार