इतिहास के झरोखे से: नवाब हमीदुल्ला खां के प्रयासों से भारतीय क्रिकेट बोर्ड बना
रियासत के दौर में कुलीन वर्ग का खेल माना जाता था

अलीम बजमी
05 सितंबर 2024। बहुत कम लोगों को पता होगा कि भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खां नवाब के प्रयासों से भारतीय क्रिकेट बोर्ड बना था।
रियासत के दौर में क्रिकेट कुलीन वर्ग का खेल माना जाता था। इस काल खंड में भोपाल में हॉकी का चलन अधिक होने से बाद भोपाल को हाकी का मक्का माना जाने लगा। कई ने इसे हॉकी की नर्सरी भी कहा।
फिलहाल बात भोपाल में क्रिकेट खेल के अस्तित्व में आने की है। जी हां। भारतीय क्रिकेट बोर्ड के गठन में भोपाल की अहम भूमिका रही है। इसके सूत्रधारनवाब हमीदुल्ला खां रहे। नवाब हमीदुल्ला खां ने महाराज पटियाला के साथ मिलकर भारतीय क्रिकेट बोर्ड का न केवल गठन कराया बल्कि आर्थिक मदद भी की। ये भी जान लीजिए कि नवाब हमीदुल्लाह खान भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई के तीसरे अध्यक्ष रहे।
रियासत के दौर में भोपाल में क्रिकेट और पोलो जैसे खेल भी खेले जाते थे। दोनों खेल मुख्यत: कसरे-ए-सुल्तानी मैदान (आज का सैफिया कॉलेज) पर खेले जाते थे। इसमें नवाब हमीदुल्ल्ला खां के परिचित औरअग्रेज अफसरों की हिस्सेदारी रहती थीं। इसके बाद बाबेआली मैदान में भी क्रिकेट खेलने का जो सिलसिला शुरु हुआ, वे अब भी जारी हैं। ये भी एक तथ्य है कि आज के दौर में जहां क्रिकेट आम लोगों का खेल है परंतु द्वितीय विश्व युद्ध के पहले यह कुलीन वर्ग के लोगों के खेल के रूप में ही प्रसिद्धि हासिल कर चुका था। उस दौर में अंग्रेजों ने यह खेल केवल नवाबों, जागीरदारों, एवं कुलीन वर्ग के लोगों को न केवल सिखाया बल्कि क्रिकेट से जोड़ा।
भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खा जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए गए, उस दौर में यूनिवर्सिटी को अलीगढ़ एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के नाम से जाना जाता था। हमीदुल्लाह खान हमेशा खिलाड़ी प्रवृत्ति के रहे। इसके चलते वह जल्दी ही अलीगढ़ की पोलो टीम में शामिल हो गए। उसके बाद उनको जो खेल रस आया वह था क्रिकेट। अलीगढ़ कॉलेज का क्रिकेट क्लब बनाने में हमीदुल्लाह खान की सक्रिय भूमिका रही।
जब भारत के लिए अलग क्रिकेट बोर्ड बनाने की कवायद शुरू हुई तो नवाब हमीदुल्लाह खान ने महाराजा पटियाला के साथ इस मुहिम में शामिल रहे। सैफिया कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर अशर किदवई की मानें तो 21 नवंबर 1927 में दिल्ली के महाराजा पटियाला की अध्यक्षता में ब्रिटिश सरकार के साथ बीसीसीआई के गठन की कवायद शुरू हुई तो इस मीटिंग में नवाब हमीदुल्लाह खान जोरदार तरीके से भारतीय क्रिकेट बोर्ड बनाने का पक्ष लिया। नवाब हमीदुल्लाह खान हमेशा से ही भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पक्ष में थे जिसके लिए उन्होंने उसमें काफी आर्थिक सहायता भी दी। नवाब हमीदुल्लाह खान और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के कठोर परिश्रम के चलते 10 दिसंबर 1927 को बीसीसीआई यानी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का गठन हुआ। आर. ई. ग्रांट गोवनी क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पहले अध्यक्ष चुने गए।
किदवई के अनुसार नवाब हमीदुल्लाह का क्रिकेट के प्रति लगाव और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड मैं दी गई सेवाओं को देखते हुए नवाब हमीदुल्लाह खान को आजीवन सदस्यता दी गई। वे वर्ष 1935 से 1937 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। जब जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी अलीगढ़ से दिल्ली आई तो यूनिवर्सिटी के स्पोर्ट्स कंपलेक्स के लिए नवाब हमीदुल्लाह खान एक बड़ी जमीन खरीदकर यूनिवर्सिटी को दान कर दी। आज भी जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के मैदान को भोपाल ग्राउंड के नाम से जाना जाता है।अलग-अलग समय में भोपाल नवाब के परिवार के सदस्यों ने भारतीय क्रिकेट टीम में अहम भूमिका निभाई है।
नवाब हमीदुल्लाह खान के समधी इफ्तिखार अली खान पटौदी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे। उन्हें 1946 में ब्रिटेन के दौरे में भारतीय टीम का कप्तान चुना गया। इससे पहले 1932 और 1933 में उन्होंने इंग्लैंड के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला था। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उनके बेटे नवाब मंसूर अली खान पटौदी भी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे। नवाब मंसूर अली खान पटौदी को भारतीय क्रिकेट टीम को जीत की आदत दिलाने वाले कप्तान के रूप में जाना जाता है। उन्हीं की कप्तानी के दौरान भारत ने कई टेस्ट मैचेस जीतकर एक मजबूत टीम होने का परिचय दिया।
फेसबुक वाल से साभार।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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