भोपाल। गृह विभाग की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में पुलिस अफसरों के 319 स्वीकृत पदों में से अभी सिर्फ 253 अफसर ही तैनात हैं, और 66 पद खाली हैं। यह संख्या साल के अंत तक 77 तक पहुंच सकती है क्योंकि 11 अफसर इसी साल रिटायर होने वाले हैं।
किस महीने कौन अधिकारी होंगे रिटायर-
अप्रैल: डीआईजी डालूराम तेनीवार, मई: डीजी अरविंद कुमार, संजय कुमार सिंह, जूनः एडीजी डीसी सागर, जुलाई: डीजी गोविंद प्रताप सिंह, अगस्तः आईजी जेएस राजपूत, योगेश मुदगल, अशोक कुमार गोयल, सितंबरः आईजी अनुराग शर्मा, नवंबर: कमांडेंट भगत सिंह विरदे, दिसंबर: डीजीपी कैलाश मकवाना, स्पेशल डीजी पवन श्रीवास्तव।
डीजीपी सहित सीनियर अफसरों के रिटायरमेंट से फील्ड और मुख्यालय दोनों पर दबाव बड़ जाएगा। इतनी बड़ी संख्या में सीनियर आईपीएस अधिकारियों के एक ही साल में रिटायर होने से फील्ड स्तर और पुलिस मुख्यालय (MP Police) दोनों पर कार्यभार बढ़ने की आशंका है। गृह विभाग इन रिक्तियों को भरने के लिए केंद्र से अतिरिक्त कैडर स्वीकृति की मांग कर सकता है और भर्ती/प्रोन्नति प्रक्रिया में तेजी लाने की योजना पर काम कर रहा है।
प्रदेश में डीजी स्तर के कुल 10 पद स्वीकृत हैं, लेकिन मौजूदा रुझान के अनुसार 2033 तक सिर्फ 5 अफसर ही इस पद के योग्य रह जाएंगे। इन अफसरों में विवेक शर्मा (1998), दीपिका सूरी (1999), प्रमोद वर्मा (2001), अभय सिंह (2002), और हरिनारायणचारी मिश्र (2003) शामिल हैं। डीजी पद के लिए न्यूनतम 30 साल की सेवा जरुरी मानी जाती है।
हर साल चाहिए 7 अफसर
प्रदेश में 222 डायरेक्ट और 97 प्रमोटी आईपीएस, कुल मिलाकर 319 स्वीकृत पद हैं। चूंकि कोई भी आईपीएस औसतन 33 साल की सेवा देता है, इस आधार पर हर साल 6.72 यानी करीब 7 आईपीएस अफसरों की नियुक्ति जरुरी है। यह औसत लंबे समय तक नहीं पूरा हो पाने के कारण भविष्य में गंभीर अफसर संकट सामने आ सकता है।
1997 से 2009 के बीच निकले कम अफसर
एमपी आईपीएस अफसर की कमी से जूझ रहा है। इसकी मुख्य वजह मानी जा रही है 1997 से 2009 तक के छोटे बैच । 2000 से 2002 के बीच के केवल एक-एक अफसर ही एमपी को मिल सका। हालांकि 2010 के बाद से भर्ती में सुधार आया और अब 6-7 अफसर हर साल नियुक्त हो रहे हैं।