PWD MP : चहेती कंपनी को ठेका देने अधिकारी ने रात 9 बजे नियम विरुद्ध किया टेंडर कैंसिल, 15 साल से गृह जिले में ही पदस्थ हैँ कार्यपालन यंत्री

भोपाल। एक तरफ प्रदेश सरकार में सुशासन और जीरो टॉलरेंस की बात कही जा रही है मुख्यमंत्री अपने शासन में पारदर्शी तरीके से विकास कार्य करने के लिए अधिकारियों को लगातार निर्देशित कर रहे हैं, दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग मुख्यमंत्री के सुशासन को ठेंगा दिखाते हुए नियम को ताकत पर रख भ्रष्टाचार का बीज हो रहे हैं। वो भी किसी और संसदीय क्षेत्र में नहीं बल्कि भाजपा संगठन की कमान अपने हाथों में थामने वाले सांसद वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र छतरपुर में हो रहा है।
मामला टीकमगढ़ जिला के लोक निर्माण विभाग का है।  जिले के कार्यपालन यंत्री ने अपने अपने चाहते ठेकेदार को टेंडर दिलाने के लिए योग्य ठेकेदार का टेंडर अपात्र ठहरा दिया। लोक निर्माण विभाग के छतरपुर संभाग कार्यालय द्वारा 7 करोड़ 82 लाख 69 हजार का कंदौरा एमपी सीमा से मोटे का हार तक मार्ग निर्माण कार्य हेतु टेंडर जारी किया था। इसके लिए सुभिक्षा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने अपनी निविदा ऑनलाइन सबमिट की थी। जब कंपनी एल 1 आई तो कार्यपालन यंत्री ने टेंडर से सुभिक्षा को बाहर करने के लिए टीकमगढ़ के कार्यपालन यंत्री ने कंपनी को पत्र लिखा जिसमें उल्लेख किया गया कि संभाग के ई-टेण्डर पोर्टल पर दस्तावेज जो विड क्वालिफिकेशन के लिए आवश्यक थे आपके द्वारा डाले गये जिसमें विड क्वालिफिकेशन की गणना कर work in Hand की स्थिति शून्य दर्शायी गई आपके द्वारा पोर्टल पर दो प्रमाण पत्र (वर्क सार्टिफिकेट/कम्पीलीशन प्रमाण पत्र) उपलब्ध कराये गये।

इस मामले में कार्यालीयन पत्र कमांक 379 दिनांक 1 मार्च के द्वारा तीन बिन्दु की जानकारी चाही गई जिसके अनुसार यह जानकारी तीन दिवस यानि 15 मार्च तक कार्यालय में प्रस्तुत करनी थी। विड कैपेसिटी की गणना हेतु यह महत्वपूर्ण जानकारी थी जो आपके द्वारा आज दिनांक तक प्रत्त्तुत नहीं की गई इसके पूर्व में इस कार्यालय के पत्र कमांक 351 दिनांक 6मार्च  के द्वारा कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग संभाग छतरपुर से 5 बिन्दु की जानकारी चाही गई थी, जो उनके द्वारा अपने पत्र क्रमांक 644 दिनांक 7 मार्च को इस कार्यालय को उपलब्ध कराई गई जिसमें सबंधित कार्यपालन यंत्री द्वारा अनुबंध कमांक 101/2023-24 के अन्तर्गत कार्य की पीएसी 782.69 लाख दर्शायी गई है।

दूसरा प्रनाण पत्र जो अनुबंध कमांक 104/2022-23 से संबंधित हैं, उसमें ठेकेदार के द्वारा कुल कितने का कार्य संपादित किया गया स्पष्ट नही है। बीस मार्च को कंपनी को पत्र दिया गया, जिसमे उसे कार्य क़े लिए अपात्र घोषित कर दिया।
सुभेच्छा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इसे भेदभावपूर्ण कार्रवाई करार देते हुए विभाग को पत्र लिखा कि निविदाओं में उपलब्ध दस्तावेज सही नहीं पाये जाने कारण अपात्र घोषित किया गया है, जो कि पूर्णतः अनुचित है। आपके द्वारा संदर्भित पत्रों में मुझे अपात्र पाये जाने के लिए जिन कारणों का उल्लेख किया गया है, वे पूरी तरह से गलत एवं तथ्यहीन है। पत्र के उल्लिखित उक्त समस्त कारणों के संबंध में मैं आपके समक्ष अपना पक्ष निम्नानुसार प्रस्तुत करना चाहता हूँ। मेरे द्वारा निविदाओं की तकनीकी बिड में लोक निर्माण विभाग संभाग छत्तरपुर में वर्क/कम्पलीशन सर्टिफिकेट संलग्न किये गए थे। उक्त दोनों ही सर्टिफिकेट कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग छतरपुर द्वारा जारी किये गए थे, जिनका सत्यापन भी उनके द्वारा आपको प्रेषित पत्र क्रमाक 644/ व.ले.लि./2024-25 दिनांक 7 मार्च में किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि मेरे द्वारा कार्य अनुभव हेतु कोई गलत अथवा फर्जी दस्तावेज संलग्न नहीं किया गया है।

15 वर्षों से गृह जिले में पदस्थ हैँ कार्यपालन यंत्री

इंदू शुक्ला, कार्यपालन यंत्री, जो  टीकमगढ़ में ही उपयंत्री रहे ल, वही पर सहायक यंत्री रहे और अब वही पर कार्यपालन यंत्री है। लगातार 15 वर्षों से गृह जिले में पदस्थ हैँ।

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Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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