MP: जल संसाधन विभाग में मुख्य अभियंता के प्रभार का मामला राज्यपाल के पास पहुंचा..

भोपाल। मध्यप्रदेश में जल संसाधन विभाग की हालत इतनी खराब है कि यहां पिछले पांच सालों से प्रमुख अभियंता सहित दर्जनों बड़े पद खाली पड़े हुए हैं। प्रभारी अधिकारियों के भरोसे ही इतना बड़ा और महत्वपूर्ण विभाग चल रहा है। हालत ये हो गई है कि रिटायर्ड अफसर को संविदा पर रखा कर प्रमुख अभियंता का प्रभार सौंपा गया है। अब मामला राज्यपाल तक पहुंच गया है।

प्रदेश के शासकीय अधिकारी कर्मचारी महासंघ ने राज्यपाल से विभाग में पदस्थ किसी मौजूदा अधिकारी को ही इंजीनियर को विभाग प्रमुख का पद का प्रभार देने का अनुरोध किया है। महासंघ की अध्यक्ष रघुवीर शर्मा ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा है.. विकास से जुड़े जल संसाधन विभाग में विभाग प्रमुख के पद पर वरिष्ठ स्थाई अधीक्षण इंजीनियर को कार्यभार नहीं सौंपा गया है, जबकि विभाग में इस पद के योग्य लगभग 10 अधीक्षण यंत्री  रूप से कार्यरत है। इनकी सेवा 12 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है। विभाग में तकनीकी सचिव एवं प्रमुख अभियंता जल संसाधन के साथ-साथ नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में गेग्बर इंजीनियर का पाद भी वरिष्ठ अधिकारियों इंजीनियरों को कार्यभार नहीं सौंपा गया है।

उनका कहना है किनइतने बड़े महत्वपूर्ण विभाज में अधीक्षण यंत्री जो कि सेवा निवृत्त हो चुके हैं, उन्हें संविदा देकर प्रमुख अभियंता के पद का दो पद ऊपर प्रभार दिया गया है, जो कि नियम विरुद्ध है। वर्तमान में जनजाति वर्ग के अधीक्षण यंत्रियों के साथ सौतेला व्यावहार किया जा रहा है।
महासंघ ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि उक्त विसंगति को दूर करते हुए नियमानुसार जल संसाधन विभाग एवं कर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण वरिष्ठ स्थायी अधीक्षण को तकनीकी सचिव का प्रभार दिलाने की कृपा करें।

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