MP: केंद्र से मिलने वाली राशि में कटौती,  नहीं मिले 16155 करोड़, लाडली बहना के लिए भी कम बजट मिला

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार को 31 मार्च को तक केंद्र से मिलने वाले 37652 करोड़ रुपए में से 16155 करोड़ रुपए कम मिले हैं। कई विभागों की योजनाओं में बजट के लिए प्रावधान करने के बाद भी राशि जारी नहीं की गई है।
ऐसे विभागों में कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राजेंद्र शुक्ल, उदय प्रताप सिंह, राकेश सिंह, संपतिया उइके, निर्मला भूरिया जैसे मंत्री शामिल हैं। वहीं, केंद्रीय किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान के विभाग से भी कई योजनाओं में तय बजट के बाद भी कम राशि मिली है। एमपी में जल जीवन मिशन के लिए 4571.49 करोड़ रुपए भी तय थे। बावजूद इसके केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए एक रुपया जारी नहीं किया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्‌डा का एमपी से गहरा रिश्ता है। जबलपुर में उनकी ससुराल है। फिर भी स्वास्थ्य महकमे को करीब 40 फीसदी ही राशि मिल सकी है। यानी ढाई हजार करोड़ रुपए कम मिले हैं। एमपी में यह विभाग डिप्टी सीएम राजेंद्र कुमार शुक्ल के पास है।
जिन योजनाओं के लिए राशि का प्रावधान होने के बाद भी केंद्र से बजट नहीं मिल पाया है उसमें ऑक्सिलियरी नर्स, मिडवाइफ एवं हेल्थ विजिटर्स को परिवार कल्याण का प्रशिक्षण देने 23.71 करोड़, उप स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 668.17 करोड़, सिकलसेल एनीमिया के लिए 23.28 करोड़, जिला स्तरीय अमले के लिए 87.72 करोड़ रुपए मिलने थे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए 2701.95 करोड़ रुपए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मिलने थे वह भी केंद्र ने नहीं दिए हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के लिए 210.25 करोड़ रुपए भी नहीं मिले हैं।
इसके अलावा हेल्थ सिस्टम की मजबूती के लिए प्रावधान न होने के बाद भी केंद्र ने 1633.56 करोड़ और 521.87 करोड़ रुपए अलग से जारी किए हैं।

इसी तरह चिकित्सा शिक्षा विभाग को जबलपुर में कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिए 50.40 करोड़, एमपी में नए नर्सिंग कालेज निर्माण के लिए 15 करोड़, सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल के लिए 35.07 करोड़, एमबीबीएस की सीट्स में वृद्धि के लिए 38 करोड़, टरसियरी केयर कैंसर ग्वालियर के लिए 23.02 करोड़, मानसिक चिकित्सालय इंदौर और मानसिक आरोग्य शाला ग्वालियर के उन्नयन के लिए 13 करोड़ तथा नए मेडिकल काॅलेज की स्थापना के लिए 239 करोड़ रुपए दिए जाने का प्रावधान किया था लेकिन एक रुपए भी साल भर में जारी नहीं किए गए।

विजयवर्गीय के विभाग को 1400 करोड़ कम मिले

नगरीय आवास और विकास विभाग के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपने विभाग के लिए घोषित राशि में से 1400 करोड़ रुपए नहीं ला पाए हैं। इस विभाग में अमृत 2.0 के लिए 51.03 करोड़, शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 कैपिसिटी बिल्डिंग के लिए 22.64 करोड़ रुपए, जबलपुर और उज्जैन स्मार्ट सिटीज के लिए अलग-अलग 14-14 करोड़ रुपए दिए जाने का प्रावधान था।
मेट्रो रेल के लिए 120 करोड़ मिलने थे जो नहीं दिए गए हैं। यूज्ड वाटर मैनेजमेंट 255 करोड़ के बदले केंद्र ने 347.59 करोड़ और हाउसिंग फॉर ऑल के लिए 612 करोड़ के बदले 281.44 करोड़ रुपए दिए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के लिए 75 करोड़ रुपए में से सिर्फ 5.38 करोड़ रुपए ही एमपी के खाते में जमा हुए हैं।

किसान कल्याण और कृषि विभाग से नहीं मिले 690 करोड़

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के विभाग किसान कल्याण और कृषि की ओर से 2024-25 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 159.86 करोड़ रुपए मिलना थे। लेकिन, 105.51 करोड़ रुपए ही दिए गए। ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों पर अनुदान के लिए 125 करोड़ दिए जाने थे।
इसी तरह आत्मा परियोजना के लिए 39 करोड़, मिशन ऑन फार्म वाटर मैनेजमेंट के लिए 140.85 करोड़, मिशन स्वाइल हेल्थ मैनेजमेंट के लिए 30 करोड़, नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान के लिए 52.86 करोड़, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के लिए 237.33 करोड़, नेशनल आइल सीड एंड आइल पाल्म मिशन अंडर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में 50.19 करोड़ रुपए केंद्र से मिलने थे। यह राशि 31 मार्च 2025 तक नहीं मिली है।
राकेश सिंह और उदय प्रताप के विभाग को भी कम मिला केंद्र से फंड

राकेश सिंह लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं और कई बार सांसद रह चुके हैं लेकिन उनके विभाग के लिए भी केंद्रीय सड़क निधि में मिलने वाले 1150 करोड़ रुपए नहीं आ सके। सिर्फ 944.87 करोड़ ही एमपी सरकार मिले हैं।
इसी तरह की स्थिति स्कूल शिक्षा मंत्री और सांसद रहे राव उदय प्रताप सिंह के मामले में भी है। समग्र शिक्षा के लिए 13.20 करोड़, मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 14.65 करोड़, स्टार्स परियोजना के लिए 100.80 करोड़ रुपए का प्रा‌वधान किए जाने के बाद भी राशि नहीं मिली है।
इस विभाग में समग्र शिक्षा अभियान के लिए 3060 करोड़ के विपरीत 3434.71 करोड़ रुपए मिले हैं। वहीं, पीएम पोषण शक्ति निर्माण में साक्षरता के लिए 662.43 करोड़ और शिक्षा के लिए 36.70 करोड़ रुपए प्रावधान नहीं होने के बाद भी एमपी को मिले हैं।

प्रहलाद पटेल के विभाग को बजट अधिक मिला

पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग प्रहलाद पटेल केंद्र में मंत्री और सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में ग्रामीण विकास विभाग भी पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है। पंचायत विभाग की ओर से 106.17 करोड़ एमपी को मिलने थे। जिसमें से 40 करोड़ रुपए ही आए हैं।
इसी तरह ग्रामीण विकास विभाग की ओर से एमपी को प्रधानमंत्री जनमन योजना आवास के लिए 600 करोड़, प्रधानमंत्री जनमन योजना सड़क के लिए 300 करोड़, पीएम पोषण शक्ति निर्माण के लिए 540 करोड़, मध्यान्ह भोजन सामग्री परिवहन के लिए 68.25 करोड़ नेशनल रूरल इकोनामिक ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट के लिए 18 करोड़, स्टार्ट अप विलेज इंटर प्रिन्योर शिप प्रोग्राम के लिए 30 करोड़ और दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के लिए 90 करोड़ रुपए एमपी सरकार को मिलने थे। यह राशि नहीं मिली है।

इस विभाग में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन के लिए 692.98 करोड़, इंदिरा गांधी निशक्त पेंशन के लिए 29.21 करोड़, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन के लिए 134.71 करोड़ प्रावधान न होने के बाद भी मिले हैं।
इसके अलावा निर्मल भारत अभियान के लिए 300 करोड़ की बजाय 121.05 करोड़, पीएम कृषि सिंचाई योजना वाटरशेड विकास के लिए 177.60 करोड़ के बदले 71.26 करोड़, पीएम आवास योजना के लिए 2400 करोड़ के बदले 4277.68 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 480 करोड़ के बदले 1577.52 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए 2625 करोड़ के बदले 971.94 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने दिए हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 726 करोड़ के बजाय 703.28 करोड़ का ही फंड रिलीज हुआ है।

पैक्स और RDSS के लिए नहीं मिली राशि
ऊर्जा विभाग को आरडीएसएस (रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) में 1933.93 करोड़ मिलने थे लेकिन एक रुपए भी नहीं मिले। इसी तरह सहकारिता विभाग में पैक्स (प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था) के कम्प्यूटरीकरण के लिए 19.20 करोड़ रुपए मिलने थे लेकिन एक रुपए भी जारी नहीं हुए।
श्रम विभाग को अंसगठित श्रमिकों के नेशनल डेटाबेस के लिए 1.25 करोड़ मिलने थे। इसी तरह विधि और विधायी कार्य विभाग को पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना के लिए 122.76 करोड़ मिलने थे। न्यायालय भवनों के निर्माण के लिए 180 करोड़ में से सिर्फ 36.39 करोड़ रुपए ही दिए गए हैं।
एससी-एसटी, ओबीसी के लिए भी कम आया बजट
अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के लिए मिलने वाले 128.75 करोड़, अजा-अजजा बस्ती विकास के लिए 30 करोड़, छात्रवृत्ति के लिए 62.72 करोड़, अजा-अजजा अत्याचार निवारण के लिए 67.50 करोड़, पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 461 करोड़ रुपए केंद्र से मिलने थे।
जनजातीय कार्य विभाग को पीएम जनमन बहुउद्देशीय केंद्र निर्माण योजना में 75 करोड़, माडा पॉकेट के लिए 259 करोड़, विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए मिलने थे।
छात्रवृत्ति के लिए 375 करोड़ के बजाय 250 करोड़ मिले हैं। कक्षा नवमी और 10वीं की छात्रवृत्ति के लिए 93.75 करोड़ रुपए नहीं मिले हैं। पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लिए छात्रवृत्ति के 200.20 करोड़, अल्पसंख्यक बाहुल्य जिलों में विकास के लिए 84 करोड़ रुपए नहीं मिले हैं।
लाड़ली बहना के लिए सिर्फ 1541 करोड़
महिला और बाल विकास विभाग को पिछले वित्त वर्ष में केंद्र से सिर्फ 1541.60 करोड़ रुपए ही मिले हैं। इस विभाग के लिए आंगनबाड़ी को लेकर 3014.37 करोड़ मिलने थे लेकिन 376.47 करोड़ रुपए ही मिले हैं।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लिए 210 करोड़ रुपए दिए जाने थे जो नहीं दिए गए। मिशन वात्सल्य के लिए 5.10 करोड़, आंगनबाड़ी सह क्रेश योजना के लिए 9.71 करोड़, समेकित बाल संरक्षण योजना के लिए 89.40 करोड़, न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम विशेष पोषण आहार योजना के लिए 578 करोड़ मिलने थे, जिसमें से एक रुपए भी नहीं भेजे गए।
इस विभाग को पोषण अभियान के लिए 120.03 करोड़ के बदले 768.06 करोड़, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए 15.10 करोड़ के बदले 256.99 करोड़ दिए गए हैं। मिशन वात्सल्य के लिए प्रावधान न होने के बाद भी 117.23 करोड़ रुपए एमपी सरकार को दिए गए हैं।
गृह विभाग को सुरक्षा के लिए नहीं मिली राशि
केंद्र क्षेत्रीय योजना के अंतर्गत सुरक्षा के लिए 16.42 करोड़ रुपए दिए जाने को कहा गया था लेकिन एक रुपया भी नहीं दिया है। इसी तरह सुरक्षा संबंधी अन्य खर्च के लिए 7.37 करोड़ के बदले कोई राशि जारी नहीं की गई है। स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चरल स्कीम में 15 करोड़ मिलने थे जो नहीं मिले हैं।
निर्भया फंड के लिए नहीं मिली रकम
सार्वजनिक परिवहन पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड में 1.50 करोड़ और ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए अनुदान के रूप में 2 करोड़ रुपए दिए जाने का प्रावधान 2024-25 के बजट में था लेकिन केंद्र ने कोई राशि नहीं दी।
वन विभाग को मिली अधिक राशि
वन विभाग के लिए प्रोजेक्ट एलीफैंट में कोई राशि नहीं मिलने वाली थी लेकिन मोदी सरकार ने 59.10 करोड़ रुपए दिए। इसी तरह पर्यावरण और वन महकमे के लिए बिना किसी प्रावधान के 1191.24 करोड़ रुपए दिए गए हैं।

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