भोपाल। परिवहन विभाग की काली कमाई से धन कुबेर बना सौरभ शर्मा का नेटवर्क दूसरे विभागों में भी काम करता था। पुलिस सुरक्षा में हुई पूछताछ के दौरान उससे कई बड़े काले कारनामों का भी खुलासा हुआ है। वह सरकारी जमीनों में हेराफेरी का भी काम करता था। इसके बदले वह मोटी रकम भी लेता था। सौरभ शर्मा ने ग्वालियर में 95 बीघा शासकीय जमीन को निजी करने का ठेका भी लिया। इसका करार भी किया।
सौरभ शर्मा के फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद विशेष स्थापना पुलिस (लोकायुक्त पुलिस) ने जमीनों के सर्वे नंबर की सूची पंजीयन विभाग को भेजी है। ताकि वह जमीन को बेच न दे। यह सर्वे नंबर वर्तमान में सरकारी दर्ज हैं। यह सरकारी जमीन शहर की बेशकीमती जमीन है। जिसकी कीमत करोड़ों में है।
लोकायुक्त पुलिस की जांच में जो खुलासा हुआ, उसमें पुरासानी, बरउआ पिछोर, आलुपुरा व महलगांव की 95 बीघा शासकीय जमीन को निजी करने का करार किया था। राजस्व विभाग के खसरे में सर्वे नंबर सरकारी दर्ज हैं।
ग्वालियर ग्रामीण तहसील के पुरासानी हल्के के सर्वे क्रमांक 477, 478, 479, 480, 494, 481, 517, 519 का रकबा 26 बीघा को शासकीय मदद से मुक्त करने का करार किया गया।ग्राम बरउआ पिछोर का 374, 348, 353/1 का रकबा 36 बीघा जमीन को शासकीय से निजी कराने का करार किया।
26 अगस्त 2024 को बकील, ज्ञान सिंह, बंटी गुर्जर, पुरंदर से ग्राम आलुपुरा की सर्वे क्रमांक 650, 651, 90, 92 का रकबा 18 बीघा 2 बिसवा जमीन को शासकीय मद से मुक्त कराने का करार किया।
सिटी सेंटर तहसील के महलगांव के सर्वे क्रमांक 1736 व 1737 का रकबा 45 बीघा को शासकीय मुक्त कराने का करार किया।
महलगांव क्षेत्र की जमीन की कीमत करोड़ों में है, क्योंकि यहां पर नई कॉलोनी विकसित हो रही है, जबकि पुरासानी, बरउआ पिछोर व आलूपुरा की भी जमीनों की कीमत करोड़ो में है।