Saurabh Sharma: ईडी ने सौरभ शर्मा-चेतन गौर के खिलाफ  दर्ज की एफआईआर, डीआरआई ने कार में मिले सोने-कैश की जांच शुरू की, सोना बाहर से आया..?

भोपाल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन गौर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज किया है। इसका आधार लोकायुक्त की एफआईआर और बेहिसाब संपत्ति जब्त होने को बनाया गया है।
दूसरी ओर, केंद्रीय राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने भोपाल में मेंडोरी के जंगल में कार से गोल्ड-कैश मिलने के मामले की जांच शुरू कर दी है। इस गोल्ड के विदेश से आयात किए जाने की आशंका के मद्देनजर डीआरआई आयकर विभाग के पैरेलल जांच करेगा। इस संबंध में निदेशालय के अधिकारी एक होटल और स्कूल से जुड़े निवेश की भी जांच कर रहे हैं, जो विवादों में घिरे हैं।
लोकायुक्त और इनकम टैक्स के छापों में सौरभ शर्मा के ठिकानों से 235 किलो चांदी सहित कुल 8 करोड़ के नकदी और आभूषण मिले हैं। ये भी पता चला है कि सौरभ जल्द ही शाहपुरा के बी सेक्टर में जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने वाला था।
स्कूल की चेयरपर्सन उसकी मां और डायरेक्टर पत्नी हैं। मेंडोरी के जंगल में बरामद 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद के साथ जो कार पकड़ी गई थी, उसका मालिक चेतन सिंह गौर जयपुरिया स्कूल की समिति में सचिव है।
सवा दो करोड़ में खरीदा था बंगला
जहां सौरभ वर्तमान में रहता है, अरेरा कॉलोनी स्थित वह बंगला E-7/78 उसने 2015 में सवा दो करोड़ रुपए में खरीदा था। हालांकि, सौरभ इसे अपने बहनोई का बंगला बताता है। बंगले की वर्तमान कीमत लगभग 7 करोड़ रुपए है। सूत्रों के मुताबिक, नौकरी करते समय खरीदा गया ये बंगला सौरभ ने किसी अन्य के नाम से खरीदा था।
दिवाली पर रिश्तेदारों-दोस्तों को LED टीवी बांटी
लोकायुक्त टीम को जयपुरिया स्कूल की बन रही बिल्डिंग से 40 पेटी पैक एलईडी टीवी मिलीं। सभी 43 इंच की हैं। सूत्रों के अनुसार, सौरभ शर्मा ने दिवाली के दौरान सैकड़ों टीवी अपने संबंधियों को गिफ्ट के तौर पर बांटी थीं। बाकी टीवी उसने स्कूल की इमारत में छिपाकर रखी थीं।
आरक्षक से बिल्डर बना सौरभ शर्मा
परिवहन विभाग में पदस्थ सीनियर अफसर बताते हैं कि सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में थे। साल 2016 में उनकी अचानक मृत्यु के बाद उनकी जगह अनुकंपा नियुक्ति के लिए सौरभ की तरफ से आवेदन दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने स्पेशल नोटशीट लिखी कि उनके यहां कोई पद खाली नहीं है।

अक्टूबर 2016 में कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती सौरभ की पहली पोस्टिंग ग्वालियर परिवहन विभाग में हुई। मूल रूप से ग्वालियर के साधारण परिवार से संबंध रखने वाले सौरभ का जीवन कुछ ही वर्षों में पूरी तरह बदल गया। नौकरी के दौरान ही उसका रहन-सहन काफी आलीशान हो गया था, जिससे उसके खिलाफ शिकायतें विभाग और अन्य जगहों पर होने लगीं।
कार्रवाई से बचने के लिए सौरभ ने वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत सेवानिवृति ले ली। इसके बाद उसने भोपाल के नामी बिल्डरों के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया।
चेतन बोला- मैं वर्कर की हैसियत से काम करता था
आयकर विभाग को दिए बयान में चेतन सिंह गौर ने खुद को सौरभ शर्मा का साधारण वर्कर बताया है। चेतन का कहना है- सौरभ जहां कहता था, मैं वहां साइन कर दिया करता था। मेरे दस्तावेज वह अलग-अलग काम बताकर ले लेता था। चेतन ने यह भी बताया कि वे दोनों पुराने परिचित थे और उसे काम की जरूरत थी। इसी कारण उसने सौरभ से कभी कोई सवाल नहीं किया। चेतन के अनुसार, सौरभ ने इसी भरोसे का फायदा उठाकर उसके दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। चेतन ने कहा- सौरभ ने उसके नाम से कार खरीद ली। चेतन के दस्तावेजों पर पेट्रोल पंप का आवंटन करा लिया। इसके अलावा भी कई संपत्तियां चेतन के नाम से खरीदीं।
पूर्व कॉन्स्टेबल की डायरी:सालभर में 100 करोड़ का लेनदेन; 52 जिलों के RTO के नाम-नंबर भी मिले
भोपाल में मेंडोरी के जंगल से गुरुवार रात 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश के साथ इनोवा कार जब्त की गई थी। मामले की पड़ताल के दौरान आयकर विभाग के अधिकारियों के हाथ एक डायरी और कुछ ऐसे दस्तावेज लगे हैं, जिनमें खुलासा हुआ है कि RTO के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग के अफसरों के साथ सालभर में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का लेन-देन किया है।
आयकर विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सौरभ को VRS (स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेने के बाद भी सारे RTO पैसे भेजते थे। जिसे वह इधर-उधर करता था। अब इस मामले में परिवहन विभाग के आला अफसरों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
52 जिलों के RTO के नाम और नंबर भी मिले
आयकर विभाग को सौरभ शर्मा से संबंधित जांच में जो रिकॉर्ड मिले हैं, उसमें प्रदेश के 52 जिलों के RTO के नाम और नंबर भी मिले हैं। इसके साथ ही यह भी लिखा है कि किस RTO से कितनी राशि मिली है। बताया जा रहा है कि राशि किसे दी गई, इसके भी कुछ दस्तावेज मिले हैं। हालांकि, अभी इसे जांच के दायरे में बताकर सामने नहीं लाया गया है।

Exit mobile version