MP: युवा उत्सव में शास्त्रीय नृत्य और नाटक से दिया महिला सशक्तिकरण का संदेश, इरा सक्सेना ने दी भरत नाट्यम की सुंदर प्रस्तुति
सागर। डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के संस्थापक और महान दानवीर डॉ. सर हरिसिंह गौर के 155वें जन्म दिन के मौके पर भारतीय विश्वविद्यालय संघ नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में सागर में मध्य क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालयीन युवा उत्सव का आयोजन किया गया है। युवा उत्सव के तीसरे दिन प्रदेश समेत अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया। इसमें शास्त्रीय नृत्य भरत नाट्यम और कथक के साथ ही नाटकों की प्रभावी प्रस्तुति दी गई।
इसके साथ ही विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में सात नाट्य प्रस्तुतियां हुईं। रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने गरीबी का जीवन जी रहे एक अपाहिज लडक़े को परिवार और समाज द्वारा बोझ के रूप में देखे जाने की मार्मिक कहानी को दर्शाया। इसी विवि की छात्रा इरा सक्सेना ने भरत नाट्यम की प्रभावी प्रस्तुति दी। इसमें मृदंगम पर सी के रमन और गायन एवं ताल में समृद्धि श्रीवास्तव ने संगत की। इरा के नृत्य ने जहां कार्यक्रम में समां बांध दिया, वहीं उपस्थित युवाओं और शिक्षकों ने नृत्य की सराहना की।
आईटीएम विश्वविद्यालय ग्वालियर ने महाभारत के पात्र कर्ण के उदाहरण के माध्यम से जाति व्यवस्था, पक्षपात और भाई-भतीजावाद पर प्रहार किया। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा ने समाज में गालियों के बढ़ते चलन और उनके दुष्प्रभाव को हास्यपूर्ण ढंग से उजागर किया।
गालियों के स्थान पर कुत्ते के भौंकने की आवाज का प्रयोग एक रचनात्मक तत्व था। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल ने महाभारत की पृष्ठभूमि पर आधारित प्रस्तुति में युद्ध के दौरान पांडवों और कौरवों की सेनाओं में लड़ते हुए एक ही परिवार के दो बेटों की मृत्यु को दिखाया। इसके माध्यम से धर्म और अधर्म के द्वंद्व को उकेरा गया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी ने भारत विभाजन की त्रासदी को सआदत हसन मंटो की कहानियों के माध्यम से मंच पर जीवंत किया।
देशभक्ति और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित रहीं समूह गान की प्रस्तुतियां
विश्वविद्यालय के गौर प्रांगण में समूह गान (भारतीय) और समूह गान (पाश्चात्य) की प्रस्तुतियां हुईं। इस दौरान बुंदेली के प्रख्यात लोक गायक शिव रतन यादव, हरगोविन्द सिंह, देवी सिंह राजपूत उपस्थित थे। विश्वविद्यालयों ने देशभक्ति गीतों से ओत-प्रोत प्रस्तुति दी। साथ ही महिला सशक्तिकरण का संदेश देने वाले गीतों की प्रस्तुति दी गईं। बुंदेली और भोजपुरी में लोकगीत भी प्रस्तुत किए गए। जिसने श्रोताओं का मन मोह लिया। कजरी के तंज भरे बोल श्रोताओं को लुभाते नजर आए और होली के गीतों ने भी ऊर्जा का संचार किया।
प्रतिभागियों ने दीं भारतीय शास्त्रीय नृत्य की कलात्मक प्रस्तुतियां
विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में भारतीय शास्त्रीय नृत्य की प्रतियोगिता आयोजित की गई। नृत्य की विभिन्न शैलियों के प्रदर्शन के लिए आयोजित इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को 12 से 15 मिनट का समय दिया गया था। प्रतियोगिता में कथकली, भरतनाट्यम, मणिपुरी, कुचिपुड़ी शास्त्रीय नृत्य शैलियों का प्रदर्शन किया गया। प्रतियोगिता के नियमों के अनुसार, रिकॉर्डिंग उपकरणों का उपयोग पूर्ण रूप से वर्जित था। निर्णायक मंडल में कथक की विशेषज्ञ शालिनी शर्मा, उमा महेश्वरा और समीक्षक रूपइंदर पवार थे। इसके अलावा अन्य प्रस्तुतियां हुईं।