MP: खेल विभाग का घोटाला फिर सुर्खियों में, क्या खुलेगी फर्जी हस्ताक्षर वाली फाइल?

भोपाल। खेल एवं युवा कल्याण विभाग में तीन अफसरों के फर्जी साइन कर निर्माण और खरीदी के 3.5 करोड़ के टेंडर का मामला फिर से सुर्खियों में है। इस मामले में ठेकेदार को भुगतान भी कर दिया गया। जिन अफसर के फर्जी साइन कर घोटाला किया गया, उन्हें पता चला तो शिकायत विभाग और ईओडब्ल्यू तक पहुंची। विभाग के डायरेक्टर के निर्देश पर पीएचक्यू ने हैंड राइटिंग एक्सपर्ट्स से जांच कराई। इसमें फर्जी साइन होने की पुष्टि भी हुई। लेकिन ऊंची पहुंच के चलते 2021 में यह शिकायत साक्ष्य प्रामाणिक नहीं होने की बात कहकर खत्म कर दी गई।

असल में मामला 2011 का है। उस समय डीएस डेकोर नामक कंपनी को निर्माण और सामग्री की आपूर्ति के लिए 3.5 करोड़ रुपए के टेंडर दिए गए थे। तत्कालीन संयुक्त संचालक विनोद प्रधान का आरोप था कि तत्कालीन खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी बीएस यादव ने उनके (विनोद प्रधान), विभाग के अधीक्षक बीएल श्रीवास्तव और प्रशासक पीएस बुंदेला के फर्जी हस्ताक्षर कर टेंडर और पेमेंट करा दिया। जांच में ये हस्ताक्षर फर्जी पाए गए। ईओडब्ल्यू ने मामले में कई लोगों से बयान लेने की बात भी कही थी, लेकिन आज तक न तो आरोपी और न उन अफसरों के बयान लिए, जिनके फर्जी साइन हुए।

2021 में साक्ष्य न होने की बात कहकर जांच बंद कर दी गई।

इस मामले में 2019 में विधायक आरिफ मसूद ने भी ईओडब्ल्यू से सवाल किया था, जिसके जवाब में ईओडब्ल्यू ने लिखा था कि कुछ दस्तावेज प्राप्त हो गए हैं। कुछ लोगों के कथन लिए जाने हैं। हालांकि, ये बयान कभी हुए ही नहीं।

जांच और भुगतान… की फाइलों में भी फर्जीवाड़ा जांच और भुगतान की फाइलों में भी फर्जीवाड़ा चहेती फर्म को वर्क ऑर्डर से लेकर भुगतान पत्रक में भी यही फर्जीवाड़ा किया गया। शूटिंग अकादमी में अतिरिक्त कार्य के नाम पर डीएस डेकोर फर्म को 24.21 लाख रुपए के भुगतान को मंजूरी देने वाली फाइल में भी विनोद प्रधान के कूटरचित हस्ताक्षर किए गए। जिन तत्कालीन अफसरों के कूटरचित हस्ताक्षर कर चहेती कंपनी को मनमाने दाम पर ठेका दिया गया है, वे ईओआई से लेकर टेंडर में दिए गए मनमाने रेट को लेकर आपत्ति जता चुके थे। ऐसे में इन अफसरों की फाइल पर लिखित आपत्ति आने पर भ्रष्टाचार का ये पूरा खेल बिगड जाता।

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अफसरों को समिति में तो शामिल किया, लेकिन फर्जी साइन किए

9 जून 2010 को खेल अकादमी और अन्य निर्माण के लिए विभाग ने एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (ईओआई) जारी किया। फाइल पर तत्कालीन संयुक्त संचालक विनोद प्रधान के फर्जी साइन किए गए। प्रस्तावों के परीक्षण के लिए बनाई गई 4 सदस्यीय समिति में प्रधान और तत्कालीन खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी बीएस यादव भी थे। इसमें भी प्रधान के फर्जी साइन किए गए।

मास्टरमाइंड… आपत्ति जताने वाले अफसरों को दूर रख साइन बनाते रहे

1 खेल परिसर, अकादमियों में निर्माण और सप्लाई के लिए 91.3 लाख रुपए के काम की फाइल पर विनोद प्रधान और बीएल श्रीवास्तव के कूटरचित हस्ताक्षर हुए।

2 दूसरे चरण में डीएस डेकोर को 79.97 लाख के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बीएल श्रीवास्तव और विभाग के पूर्व प्रशासक पीएस बुंदेला के हस्ताक्षर कूटरचित थे।

3 सामान सप्लाई के प्रस्ताव पर डीएस डेकोर को 42.36 लाख के काम की मंजूरी दी गई। इस फाइल पर भी विनोद प्रधान और बीएल श्रीवास्तव के फर्जी साइन।

4 शूटिंग अकादमी में फाल्स सीलिंग व पैनलिंग प्रस्ताव का काम डीएस डेकोर को 96.32 लाख में दिया। फाइल पर भी एक अधिकारी के हस्ताक्षर कूटरचित मिले हैं।

सबूतों वाली फाइलें लापता… अफसरों ने पहले ही कॉपी करवाकर रखी थी

तत्कालीन संयुक्त संचालक विनोद प्रधान ने शिकायत विभाग में की। जांच में प्रधान समेत दो अफसरों के हस्ताक्षर कूटरचित पाए गए। विभाग ने ये फाइलें मंगवाई थीं, पर अब कहा जा रहा है कि फाइलें गायब हैं। अधिकारियों को शक था, इसलिए विभाग को फाइलें सौंपने से पहले उन्होंने इनकी फोटो कॉपी करवाकर रिसीविंग ली थी।

विनोद प्रधान, पूर्व संयुक्त संचालक, खेल एवं युवा कल्याण

मेरे और तत्कालीन अधिकारियों के फर्जी साइन किए गए। विभागीय स्तर पर इसकी जांच हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से कराई गई, जिसमें सिद्ध हुआ कि ये साइन फर्जी हैं। शासन स्तर पर मामले की जांच के लिए खरीदी से संबंधित सभी फाइलें मंगवाई गईं। ईओडब्ल्यू में भी शिकायत की गई थी, पर मुझे कभी भी बयान के लिए नहीं बलाया गया।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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