MP: डरा-सहमा सिक्योरिटी गार्ड पहुंचा बैंक, बोला – ‘सर! मेरे खाते में’, मैनेजर ने बैलेंस देखा तो…हड़कंप मच गया..

सतना। सतना के इंडसलैंड बैंक की ब्रांच में एक सुरक्षा गार्ड केके गौतम डरा-सहमा हुआ पहुंचा. उसने बैंक कर्मी से को अपना अकाउंट बताया. जैसे ही शख्स ने अपना बैंक अकाउंट बताया, पूरी ब्रांच में हड़कंप मच गया. जब बैंक अकाउंट डिटेल देखी तो सबके होश उड़ गए. बैंक मैनेजर ने एक के बाद एक कई खातों की डिटेल खंगालनी शुरू कर दी।

जबलपुर में स्टेट साइबर सेल ने साइबर फ्रॉड के जरिये लोगों से ठगी गई राशि को म्यूल खातों की सहायता से मनी लॉन्ड्रिंग कर ठिकाने लगाने वाले गिरोह का भांडाफोड़ हुआ है. स्टेट साइबर सेल पुलिस ने आरोपियों को जबलपुर और सतना से हिरासत में लिया है. आरोपियों में 2 युवतियां और 10 युवक शामिल हैं. पकड़े गए आरोपियों को जबलपुर जिला कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

पूछताछ में सामने आया कि सतना निवासी अनजर हुसैन ने दिल्ली, गुड़गांव, उत्तर प्रदेश, रायपुर, हरियाणा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों में अपनी गैंग का विस्तार किया.पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया उसमें, अनजर हुसैन, ऋतिक श्रीवास, मदन पाल, शशांक अग्रवाल, अमित निगम, अनुराग कुशवाहा, स्नेहिल गर्ग, सुमित शेवानी, अमित कुशवाहा, संदीप चतुर्वेदी, नितिन कुशवाहा और सगीर अख्तर के नाम शामिल हैं।

इस फर्जीवाड़े का खुलासा भी हैरतअंगेज तरीके से हुआ. मार्च 2024 में सतना निवासी सुरक्षा गार्ड केके गौतम अपने एक दोस्त की दुकान पर पहुंचा. वहां पर उसे पता चला कि आधार कार्ड के जरिये बैंक बैलेंस की जानकारी हासिल की जा सकती है. गौतम ने अपना आधार नंबर चेक करवाया तो पता चला कि उसके खाते में 1.09 लाख रुपये जमा थे. गौतम ने इतने रुपये अपने खाते में कभी जमा नहीं किए थे. गौतम सतना के इंड्सइंड बैंक पहुंचा और मैनेजर से अपने खाते की जानकारी मांगी. सतना के ही आधा दर्जन से अधिक लोगों के खाते में भी करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन की जानकारी सामने आई।

उनके खाते खुलवाते थे. फिर फ्रॉड करने वाले गिरोह को खाते उपलब्ध करवाए जाते थे. इसके बाद उन खातों के जरिए साइबर ठगी के तहत ठग करोड़ों रुपए का हेरफेर करते थे. पकड़े गए आरोपियों को बैंक ट्रांजेक्शन के बदले मोटा कमीशन दिया जाता था. साइबर सेल के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों ने कई लोगों के बैंक खाते खुलवाए हैं. आरोपियों ने सतना में बिरला यार्ड में काम करने वाले सुरक्षा गार्डों के भी खाते खुलवाए थे. उन खातों के जरिये एक साल में 3 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन पाया गया है.।

जिन गार्डों के जरिये इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ है,उनको झांसा देकर उनके आधार कार्ड,पैन कार्ड, मोबाइल नंबर तो लिए और खाता खोलने के फॉर्म में हस्ताक्षर भी लिए,लेकिन जब बैंक में इन दस्तावेजों को जमा किया गया तो उसके पहले आरोपियों ने गार्डों के मोबाइल नंबर न लिखवा कर अन्य मोबाइल मोबाइल नंबर लिख दिए. ये मोबाइल नंबर मुख्य साजिशकर्ता इस्तेमाल करते थे. खास बात यह है कि आरोपियों ने सभी सिम फर्जी तरीके से हासिल की थी।

साइबर सेल के मुताबिक मनी लांड्रिंग के लिए खुलवाए गए खातों में यूपीआई के जरिए राशि आती थी. यह राशि ज्यादा बड़ी नहीं होती थी. छोटी छोटी राशि कर जालसाज इन खातों में डालते थे. इसके बाद जब राशि एक बड़े अमाउंट में आ जाती थी तो उसे नेट बैंकिंग के जरिए निकाल लिया जाता था. रुपए निकालने का काम चेन्नई और उसके आसपास के इलाकों से होता था. इस गिरोह पर कई महीनों से एटीएस की नजर थी।

एटीएस को संदेह था कि गिरोह द्वारा खातों में करोड़ो का ट्रांजक्शन कर उसे देश विरोधी गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा रहा है. एटीएस ने एक-एक एकाउंट और उसमें होने वाले लेनदेन की गोपनीय तरीक से जांच की. गिरफ्तार किए गए सभी 12 आरोपियों की गतिविधियों पर नजर रखी,लेकिन जब मामला साइबर फ्रॉड से जुड़ा पाया तो एटीएस ने मामले को स्टेट साइबर सेल को सौंप दिया था।

निरीक्षक राज्य साइबर सेल नीलेश अहिरवार ने बताया, ‘कुछ सुरक्षा गार्ड हमारे पास पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि उनके दस्तवेज के आधार पर फर्जी खाते खोले गए हैं. साइबर क्राइम का मामला होने की वजह से हमें प्राप्त हुआ. हमने केस दर्ज कर मामले की विवेचना की. चूंकि अपराधी कई लोकेशन पर थे, इसलिए टीम का कई टीमों का गठन किया गया. हमने 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. करोड़ों में ट्रांजेक्शन हुए हैं.’

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