MP: सौरभ शर्मा की डायरी में TM और TC के भी नाम; 5 महीने में 50 करोड़ की वसूली का लेखा-जोखा

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी के बाद परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हुआ है। सौरभ शर्मा की एक डायरी से पता चला है कि कैसे राज्य के विभिन्न चेकपोस्टों से करोड़ों रुपये की अवैध वसूली की जाती थी। जनवरी 2025 में लोकायुक्त पुलिस, आयकर विभाग और ईडी ने संयुक्त रूप से छापेमारी की थी। इस दौरान 54 किलो सोना और लगभग 10 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे।
यह मामला 2020-21 का है, जब चेकपोस्ट सक्रिय थे। जुलाई 2024 में राज्य सरकार ने इन चेकपोस्टों को बंद कर दिया था। सौरभ शर्मा फिलहाल फरार है। सौरभ शर्मा पर आरोप है कि वह परिवहन चेकपोस्टों के ज़रिए अवैध वसूली का संचालन करता था। सौरभ शर्मा की एक डायरी से इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं। इस डायरी में 2020 और 2021 के कुछ महीनों का हिसाब दर्ज है। इसमें 38 चेकपोस्टों और फ्लाइंग स्क्वाड से होने वाली वसूली का ब्योरा दिया गया है। हर चेकपोस्ट के लिए वसूली का लक्ष्य, प्राप्त राशि, बकाया राशि और अन्य विवरण दर्ज हैं।
डायरी में दर्ज पांच महीनों का हिसाब लगभग 50 करोड़ रुपये का है। यानी हर महीने लगभग 10 करोड़ रुपये की वसूली होती थी। सौरभ शर्मा लगभग 81 महीनों तक इस काम में शामिल रहा, जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कुल वसूली 800 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा हो सकती है।
डायरी के पन्नों पर ‘TM’ और ‘TC’ जैसे संक्षिप्त नाम लिखे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि ‘TM’ का मतलब ‘ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर’ और ‘TC’ का मतलब ‘ट्रांसपोर्ट कमिश्नर’ हो सकता है। हर पन्ने पर ‘TC’ लिखा है और उसके नीचे हस्ताक्षर भी हैं। सभी रकम लाखों में दर्ज की गई है। सबसे ज़्यादा वसूली सेंधवा चेकपोस्ट से होती थी। डायरी में ‘बेगारी’ और ‘जेब से मिलाने वाली राशि’ जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया है, जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि किस तरह से अवैध वसूली की जाती थी।
डायरी में जिन चेकपोस्टों का ज़िक्र है, उनमें सेंधवा प्लस उप इंदौर, नयागांव प्लस उप उज्जैन, मुरैना, सिकंदरा, चिरूला, मालथौन, खिलचीपुर, खवासा, शाहपुर फाटा, कैमाहा, हनुमना, चाकघाट, पिटोल, सोंयत, मुलताई, सौंसर, मोतीनाला, रजेगांव, मोरवा, पहाड़ीबंधा, फूफ, जमालपुरा, लेकी चौराहा, रामनगर तिराहा, ग्वालियर, रानीगंज तिगैला शामिल हैं। कुछ पन्नों पर 35 चेकपोस्टों के नाम हैं, तो कुछ पर 38।
मध्य प्रदेश में पहले 38 चेकपोस्ट थे, जो बाद में घटकर 30 रह गए। बड़े चेकपोस्टों पर एक आरटीई, दो सब-इंस्पेक्टर, दो हवलदार और सिपाहियों की तैनाती का प्रावधान था। छोटे चेकपोस्ट एक एसआई के अधीन होते थे। कर्मचारियों की कमी के चलते अक्सर निर्धारित संख्या में कर्मचारी तैनात नहीं होते थे। चेकपोस्ट परिवहन विभाग के लिए वसूली का मुख्य ज़रिया बन गए थे। यहां डमी पोस्टिंग की जाती थी और असली काम निजी व्यक्ति संभालते थे। वसूली करने वालों को ‘कटर’ कहा जाता था। रोजनामचे में आरटीई और अन्य कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज होती थी, लेकिन हकीकत में वे वहां मौजूद नहीं होते थे।

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