MP Saurabh sharma: ईडी सहित तीन एजेंसियों को तलाश, एक माह बाद भी हाथ खाली…

भोपाल। परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा को फरार हुए पूरा एक महीना हो गया है। पिछले महीने 19 दिसंबर को ही लोकायुक्त ने भोपाल में अरेरा कॉलोनी स्थित उसके दो घरों पर छापा मारा था। सौरभ के मामले की जांच लोकायुक्त, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग (आईटी) जैसी जांच एजेंसियां कर रही हैं लेकिन 30 दिन बाद भी इनके हाथ खाली हैं।

जांच एजेंसियां अब तक ये भी कन्फर्म नहीं कर पाई हैं कि सौरभ देश में ही है या बाहर भाग गया। लोकायुक्त ने कोर्ट को बताया है कि सौरभ के दुबई में छिपे होने की आशंका है लेकिन ईडी और आईटी विभाग को आशंका है कि सौरभ देश में ही छिपा है। वह दिल्ली के आसपास हो सकता है और सड़क के रास्ते अपने ठिकाने बदल रहा है।

ऐसा मानने के पीछे एजेंसियों का तर्क है कि इनकम टैक्स विभाग ने सौरभ के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है लेकिन अब तक देश के किसी एयरपोर्ट पर सौरभ की आमद नजर नहीं आई है। वहीं, सौरभ की मां उमा शर्मा से दैनिक भास्कर ने बात की तो वे बोलीं- मेरा बेटा भागा नहीं है। हालांकि उन्होंने जांच एजेंसियों को ये नहीं बताया कि वह दुबई में नहीं है तो कहां है?

लोकायुक्त: दोस्त और मां से पूछताछ, उसके बाद चुप
लोकायुक्त को सौरभ के ठिकानों से 7.98 करोड़ रुपए नगद और गहने मिले। इसमें 2 क्विंटल से ज्यादा चांदी भी शामिल है। लोकायुक्त ने इस कार्रवाई के बाद सौरभ, मां उमा शर्मा, पत्नी दिव्या शर्मा, उसके दोस्त शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को बयान देने के लिए नोटिस जारी किया था। मां उमा शर्मा और और दोस्त चेतन के बयान हुए लेकिन बाकी लोगों के बयान नहीं हो सके।
चेतन ने अपने बयान में बताया कि उस पर सौरभ के कई एहसान हैं। इसलिए सौरभ जैसा कहता था, वो वैसा करता था। सौरभ का दूसरा राजदार शरद लोकायुक्त की कार्रवाई के दिन से ही फरार है। लोकायुक्त के अधिकारी अब सौरभ शर्मा के मामले पर आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

आयकर विभाग: सोना किसका, कहां से आया, नहीं पता चला
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 19 दिसंबर की रात को भोपाल के मेंडोरी में फॉर्म हाउस में रखी एक कार से 11 करोड़ कैश और 54 किलो सोना बरामद किया। ये कार सौरभ के दोस्त चेतन के नाम रजिस्टर है। गाड़ी में रखा सोना किसका है, इस बारे में आयकर विभाग को अब तक कुछ पता नहीं चला है। विभाग ने सौरभ के दोस्त शरद को भी पूछताछ के लिए समन जारी किया, मगर वो बयान देने नहीं आया।
शरद आयकर के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी जांच के दायरे में है। सौरभ के सहयोगी चेतन सिंह गौर और शरद की कंपनी अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से विभाग को बड़े खुलासे की उम्मीद है। इस कंपनी के जरिए चेतन, सौरभ और शरद ने करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन किया है।इसके जरिए देवास के राजेश पांडे को नकद राशि दी गई थी। फरवरी से नवंबर 2023 तक 6 ट्रांजेक्शन में करीब सवा सात करोड़ रुपए भेजे गए थे। सूत्रों का कहना है कि कंस्ट्रक्शन कंपनी के जरिए नकदी कॉलोनी निर्माण में खपाई जा रही थी।
इनकम टैक्स विभाग ने सौरभ को पकड़ने के लिए लुकआउट सर्कुलर जारी करवाया, ताकि एयरपोर्ट पर आते ही उसे पकड़ा जा सके। लेकिन अब तक किसी एयरपोर्ट पर उसके आने की जानकारी नहीं मिली है।

ईडी: एक महीने में दो बार सर्च ऑपरेशन, इन्वेस्टमेंट के खुलासे
इस पूरे मामले में ईडी की एंट्री लोकायुक्त छापे के 4 दिन बाद हुई। ईडी ने लोकायुक्त के छापे के एक हफ्ते बाद 27 दिसंबर को भोपाल में सौरभ के मकान, दफ्तर और ग्वालियर में उसके पैतृक आवास सहित जबलपुर में उसके रिश्तेदार के घर सर्च की थी। इस दौरान ये खुलासा हुआ कि लोकायुक्त ने सौरभ के उस मकान पर छापा नहीं मारा, जहां से सोने से लदी गाड़ी निकली थी।

ईडी ने चेतन गौर, शरद जायसवाल, रोहित तिवारी के ठिकानों पर छापे मारे थे। इस ऑपरेशन के बाद ईडी ने सौरभ के परिजन और दोस्तों के बैंक खातों में 4 करोड़ रुपए के बैलेंस का खुलासा किया। इसके अलावा 23 करोड़ की संपत्ति भी जांच के दायरे में ली है। भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर में की गई जांच में 6 करोड़ रुपए की एफडी की जानकारी भी ईडी के हाथ लगी थी। साथ ही फर्म और कंपनियों के जरिए किए गए निवेश का भी खुलासा हुआ था।

17 जनवरी को भी ईडी ने भोपाल में नवोदय कैंसर अस्पताल के मालिक श्याम अग्रवाल और ग्वालियर में रिटायर्ड सीनियर सब रजिस्ट्रार केके अरोरा के ठिकानों पर दबिश दी। ईडी ने सौरभ की मां के बयान दर्ज कर लिए हैं, लेकिन सौरभ और उसका राजदार दोस्त शरद जायसवाल ईडी की पहुंच से दूर हैं।

डॉ.अग्रवाल से सौरभ का कनेक्शन, फॉर्म हाउस की रजिस्ट्री अरोरा के नाम
ईडी ने 17 जनवरी को भोपाल में नवोदय अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. श्याम अग्रवाल के ठिकानों पर छापेमारी की। यहां से कुछ दस्तावेज बरामद किए गए हैं। बताया जा रहा है कि डॉ. अग्रवाल और सौरभ के बीच पैसों का लेनदेन हुआ है।
ग्वालियर में जिस रिटायर्ड सीनियर सब रजिस्ट्रार केके अरोरा के ठिकानों पर दबिश दी गई, उनके ही नाम पर उस फॉर्म हाउस की रजिस्ट्री है, जिसमें 11 करोड़ कैश और 54 किलो सोना लदी कार खड़ी थी। इस फार्म हाउस का इस्तेमाल सौरभ का मौसेरा दामाद विनय हसवानी करता है लेकिन रजिस्ट्री अरोरा के नाम है।ये भी बताया जा रहा है कि हसवानी ने ही सौरभ की कार उस फार्म हाउस पर रखवाई थी। जांच एजेंसियों को दिए बयान में हसवानी ने कहा है कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि कार में सोना और 11 करोड़ रुपए नकद रखा था।

ईडी को दिए बयान में मां ने कहा- सौरभ ने खरीदवाए थे मकान
ईडी इस केस में लगातार एक्शन मोड में दिख रही है। ईडी के अफसर सौरभ से जुड़े हर किरदार को खंगाल रहे हैं। ईडी के पास इस केस से जुड़े तमाम कनेक्शन की रिपोर्ट है। लेकिन इसे कुरेदने के लिए सबसे जरूरी है सौरभ की गिरफ्तारी।

ईडी ने सौरभ शर्मा की मां के भी बयान लिए हैं। सौरभ की मां उमा ने ईडी को बताया है कि उन्होंने भोपाल और अन्य शहरों में प्रॉपर्टी खरीदी है। उमा शर्मा ने स्वीकार किया है कि अरेरा कॉलोनी के मकान सौरभ ने ही खरीदवाए हैं। हालांकि, 11 करोड़ नगद और 54 किलो सोने पर उमा शर्मा ने कहा है कि ये तो सौरभ ही बता पाएगा कि ये सोना और नगदी किसकी है?

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