भोपाल। प्रदेश सरकार सड़क परिवहन निगम को दोबारा शुरू करने के बजाय नई व्यवस्था बनाने जा रही है। सरकार ने तय किया है कि एक ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी बनाई जाएगी, जिसके तहत 20 सरकारी कंपनियां प्रदेश की परिवहन व्यवस्था का जिम्मा संभालेंगी। ये कंपनियां फिलहाल शहरों में लोकल बसों का संचालन कर रही हैं।
नई व्यवस्था में ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ एक जिले से दूसरे जिले के बीच बस ऑपरेट करने का जिम्मा भी इन कंपनियों के पास होगा। बसों का रूट सरकार तय करेगी लेकिन संचालन प्राइवेट ऑपरेटर करेंगे। एक हफ्ते पहले प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन के सामने नई व्यवस्था का प्रेजेंटेशन हो चुका है।
दरअसल, इसी साल जून के महीने में कैबिनेट बैठक के दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए चर्चा हुई थी। इस बैठक में सड़क परिवहन निगम को फिर शुरू करने की भी बात उठी थी। सीएम डॉ. मोहन यादव ने परिवहन विभाग से प्रस्ताव मांगा था। अब ये प्रस्ताव तैयार हो चुका है।
प्रस्ताव के तहत ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के गठन का फैसला हुआ है। यह अथॉरिटी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की तरह काम करेगी।
प्रदेश में इस समय 20 कंपनियां ट्रांसपोर्ट स्पेशल पर्पज व्हीकल के तौर पर काम कर रही हैं। स्पेशल पर्पज व्हीकल का मतलब होता है एक अलग कानूनी इकाई, जो किसी खास उद्देश्य की पूर्ति के लिए मुख्य कंपनी या विभाग से अलग हटकर बनाई जाती है। कंपनी एक्ट 2013 के तहत इन कंपनियों का गठन किया गया है।
नगरीय निकायों के पास इनके ऑपरेशन का जिम्मा है। इन 20 में से 16 कंपनियां ही अभी वर्किंग स्टेज में हैं। ये शहरों के भीतर सिटी बस के तौर पर और शहरों के बाहर सूत्र सेवा के जरिए परिवहन व्यवस्था का जिम्मा संभाल रही हैं। इन रूट पर अभी डीजल बसें चल रही हैं, जिन्हें ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) में बदला जाएगा।
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इनके रूट निर्धारित करने के लिए नए सिरे से सर्वे किया जाएगा। साथ ही जो कंपनियां बंद हैं, उन्हें फिर शुरू किया जाएगा। यह जिम्मेदारी नगरीय विकास एवं आवास विभाग को सौंपी गई है।
उज्जैन को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना
मुख्य सचिव के सामने जो प्रेजेंटेशन दिया गया गया है, उसमें बताया गया कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट उज्जैन से शुरू किया जाएगा। दरअसल, उज्जैन में साल 2008 में जवाहर लाल नेहरू अर्बन मिशन के तहत उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट लिमिटेड कंपनी का गठन किया गया था। पिछले महीने तक यहां सिर्फ 6 सिटी बसें ही संचालित हो रही थी। अब ये भी बंद हो चुकी हैं।
सरकार बसों को खरीदेगी, ऑपरेटर चलाएंगे
इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने के लिए सरकार वीजीएफ फंड का इस्तेमाल करेगी। वायबिलिटी गैप फंडिग (वीजीएफ) भारत सरकार की एक योजना है, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को वित्तीय सहायता देती है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों का विभाग इस योजना का संचालन करता है। सरकार बसों को खरीदेगी जबकि इनके संचालन का जिम्मा ऑपरेटर्स का होगा। हर रूट के लिए टेंडर जारी किए जाएंगे।