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MP: शेरों के लिए तैयारी की थी, चीतों को ले आए.. कूनो में हुआ घपला, खामियाजा भुगत रहे चीते, बहुत कुछ कहती है ऑडिट रिपोर्ट

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भोपाल। मध्य प्रदेश में प्रोजेक्ट चीता के दो साल पूरे हो गए हैं।  RTI कार्यकर्ता अजय दुबे ने मध्य प्रदेश सरकार की एक ऑडिट रिपोर्ट हासिल की है। रिपोर्ट में ‘प्रोजेक्ट चीता’ में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए बने मैनेजमेंट प्लान में चीतों का कोई जिक्र नहीं था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कूनो को गिर के शेरों के दूसरे घर के तौर पर चुना गया था लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उदघाटन करवाने को चक्कर में सब गड़बड़ कर दिया गया। पीएम मोदी ने दो साल पहले यहां अपने जन्म दिन पर नामीबिया से लाए चीतों को छोड़ा था।

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों के पुनर्वास के लिए बने प्रोजेक्ट चीता को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य सरकार की एक ऑडिट रिपोर्ट में नियमों के उल्लंघन और खर्च से जुड़े दस्तावेजों की कमी की ओर इशारा किया गया है। हैरानी की बात ये है कि कूनो के मैनेजमेंट प्लान में चीतों का कोई जिक्र नहीं था।

शेर बसाने की थी योजना
दरअसल, कूनो को गिर के शेरों के लिए दूसरा घर बनाने की योजना थी। इसे एशियाई शेरों के लिए एक महत्वपूर्ण दूसरा निवास स्थान के रूप में नामित किया गया था। लेकिन, ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि नवंबर 2023 तक शेरों को फिर से बसाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। ऑडिट टीम ने इस चूक पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इससे प्रबंधन योजना के पालन और संरक्षण प्रयासों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े होते हैं।

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44 करोड़ रुपए चीता प्रोजेक्ट पर खर्च हुए
वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक प्रोजेक्ट चीता पर 44.1 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किया गया, लेकिन यह खर्च स्वीकृत प्रबंधन योजना के अनुरूप नहीं था। RTI कार्यकर्ता अजय दुबे ने कहा कि यह विसंगति धन के दुरुपयोग का संकेत देती है और वित्तीय संसाधनों के उचित उपयोग के बारे में चिंता पैदा करती है।

वित्तीय संहिता नियम का उल्लंघन
ऑडिट में पाया गया कि वन विभाग वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 के लिए स्टोर सामग्री का भौतिक सत्यापन करने में विफल रहा, जो मप्र वित्तीय संहिता के नियम 133 का उल्लंघन है। भौतिक सत्यापन के लिए आवश्यक प्रमाण पत्र गायब था और स्टॉक खाते तैयार नहीं किए गए थे। ऑडिट रिपोर्ट में इसे नियमों का गंभीर उल्लंघन बताया गया है।

जियोटैग्ड तस्वीरें नहीं रखी गई
ऑडिट में यह भी पाया गया कि जियोटैग्ड तस्वीरें, जो परियोजना के काम का दस्तावेजीकरण करने के लिए आवश्यक हैं, नहीं रखी गई थीं। वर्ष 2020-21, 2022-23 और 2023-24 में चारागाह विकास और खरपतवार/लैंटाना उन्मूलन पर 3,64,74,930 रुपये के खर्च के साथ प्रलेखन की यह कमी ‘दोषपूर्ण प्रक्रिया और अपव्यय की संभावना’ की ओर इशारा करती है।

चीतों के पुनर्वास का जिक्र नहीं
रिपोर्ट में ऑडिटरों के हवाले से कहा गया है कि प्रोजेक्ट चीता के लिए स्वीकृत प्रबंधन योजना 2020-21 से 2029-30 तक कूनो नेशनल पार्क के लिए है। इसमें कहीं भी चीतों के पुनर्वास का कोई उल्लेख नहीं है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यह परियोजना स्वीकृत प्रबंधन योजना में शामिल नहीं थी।

स्टॉक का भौतिक सत्यापन नहीं किया
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वन विभाग ने 2021-22 और 2022-23 के दौरान खरीदे गए स्टॉक का भौतिक सत्यापन नहीं किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जियो टैगिंग और फोटोग्राफ के बिना की गई परियोजनाओं के काम से जुड़े बिलों का भुगतान ‘गलत प्रक्रिया’ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की चूक से ‘सरकारी धन का दुरुपयोग हो सकता है।’

शेरों के बसाने पर नहीं हुआ काम
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि गिर शेरों के लिए दूसरा घर विकसित करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक समिति की रिपोर्ट, जो कूनो में शेरों के पुनर्वास की निगरानी कर रही थी, वन विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।

सवाल उठ रहे हैं
ऑडिट रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 28 जनवरी, 2020 को नियुक्त तीन सदस्यीय विशेषज्ञ टीम की रिपोर्ट न होने पर भी सवाल उठाए गए हैं। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि ये रिपोर्ट वन विभाग के रिकॉर्ड में नहीं मिली, जिससे सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए तथ्यों की सत्यता की जांच नहीं हो सकी।

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