भोपाल। प्रदेश के प्रमुख सचिव वाणिज्य कर, पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक और इंदौर कलेक्टर पर जिला पंजीयक ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। वल्लभ भवन सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों के निर्णय से असंतुष्ट जिला पंजीयक ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिसको लेकर उच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश शासन से जबाब मांगा है। उक्त आदेश जारी किए जाने के दौरान प्रमुख सचिव वाणिज्य कर विभाग दीपाली रस्तोगी, महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक एम सेलवेंद्रम और इंदौर कलेक्टर पद पर इलैया राजा पदस्थ थे।
गौरतलब है कि इंदौर जिले में पदस्थ जिला पंजीयक दीपक शर्मा ने उन्हें वरिष्ठ जिला पंजीयक पद से हटाए जाने के बाद उच्च न्यायालय की शरण ली है। याचिकाकर्ता दीपक शर्मा ने उच्च न्यायालय इंदौर में WP 314 /2024 के माध्यम से प्रतिवादियों की पूरी कार्रवाई को भ्रष्टाचार, द्वेष और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन और उनके अधिकार क्षेत्र के विरुद्ध अवैध और मनमाने रुप से काम करने का आरोप लगाया है।
क्या है मामला – 22 मार्च 2012 को राज्य सरकार ने वाणिज्यिक कर विभाग के प्रभावी प्रशासन के उद्देश्य से इंदौर जिले को, अन्य जिलों के साथ, चार उप-जिलों में विभाजित किया था। राज्य सरकार द्वारा दिनांक 25 सितंबर 2012 के आदेश के तहत वरिष्ठ जिला रजिस्ट्रार और जिला रजिस्ट्रार के नए पद सृजित और स्वीकृत किए गए, जिसके तहत इंदौर जिले में 1 वरिष्ठ जिला रजिस्ट्रार और 3 जिला रजिस्ट्रार को मंजूरी दी गई ।कार्य-वितरण आदेश के तहत यह निर्दिष्ट किया गया कि जिस जिले में एक से अधिक वरिष्ठ जिला रजिस्ट्रार तैनात हैं । वरिष्ठतम जिला रजिस्ट्रार वरिष्ठ जिला रजिस्ट्रार के कार्यालय के कर्तव्यों का निर्वहन और निष्पादन करेगा।
उक्त निर्णय अनुसार मध्यप्रदेश शासन द्वारा इंदौर जिले में कार्य किया जा रहा था। 7 मार्च 2023 से दीपक शर्मा वरिष्ठ जिला पंजीयक के पद पर कार्यरत रहे। 12 जुलाई 2023 को राज्य शासन ने जिला पंजीयक स्थानांतरित आदेश में अमरेश नायडू को धार से इंदौर पदस्थ कर दिया। शासन के पूर्वानुसार जारी किए गए आदेश के तहत वरिष्ठता क्रम को देखते हुए अमरेश नायडू को वरिष्ठ जिला पंजीयक का प्रभार दे दिया गया। जिसके बाद दीपक शर्मा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। वाणिज्य कर विभाग की प्रमुख सचिव रही दीपाली रस्तोगी से जब इस बारे में चर्चा करने फोन लगाया तो उन्होंने सवाल सुनकर यह कहा कि मैं इस बारे में बात नहीं करुंगी। मेरा ट्रांसफर हो गया है।
महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक एम सेल्वेंद्रम को जब फोन लगाया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। उनके मोबाइल पर वाट्स एप एवं मैसेज बॉक्स पर जब मैसेज (देखें चित्र) भेजा तो उन्होंने रिप्लाई (देखें चित्र) करते हुए कहा कि यह मामला न्यायालय में है। इसलिए वे कुछ नहीं कहेंगे।
इस मामले को लेकर तत्कालीन कलेक्टर इंदौर इलैया राजा से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि मुझे जो याद है उसके अनुसार शासन से जो आदेश या डायरेक्शन आए थे। उसके तहत नियमानुसार निर्णय किया था। उन्होंने यह भी कहा कि शासनादेश के बाद दोनों पक्षों से चर्चा की थी और शासन से भी चर्चा की थी। ऐसी परिस्थिति में चार्ज देने से इसमें भ्रष्टाचार कैसे हो सकता है। उन्होंने पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक एम सेल्वेंद्रम की कार्यशैली में ईमानदार रहने की तारीफ की। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह इंदौर जिला पंजीयक कार्यालय के अधिकारियों की आपसी लड़ाई है। इसमें मुझे इंवाल्व मत कीजिए।
साभार गौरव चतुर्वेदी