MP: भिंड जिले में पटवारी का फर्जीवाड़ा, पट्टों की अहस्तांतरणीय जमीन पर लिया कब्जा, पचास बीघा में बनाया फार्म हाउस, दस बीघा जमीन को किया पंद्रह बीघा और रजिस्ट्री करा ली

भिंड । भिंड जिले में बागड़ ही खेत खा रही है। एक पटवारी खोद ही भू माफिया बन गया है। ये पटवारी है आशीष त्रिपाठी, जिन पर आरोप है कि उन्होंने उद्योग विभाग की शासकीय भूमि पर अपने ससुर के नाम से कब्जा करवा कर वहां मकान बनवा दिया। अनुसूचित जातिंके लोगों को बांटे गए पट्टों की जमीन जो अहस्तांतरणीय होती है, उसे फर्जीवाड़ा करके अपने परिजनों के नाम करवाई और विशाल फार्म हाउस बना लिया। ये कोई पचास बीघा क्षेत्र में बना हुआ है।

बताया जा रहा है कि पटवारी त्रिपाठी वर्तमान में उसी क्षेत्र में पदस्थ हैं, जहां यह अवैध निर्माण हुआ है। इस भूमि की बाजारू कीमत लगभग 1 करोड़ रुपये बताई जा रही है, और अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

प्रदेश में पटवारियों के घोटाले और काले कारनामे कोई नई बात नहीं है। जमीन से जुड़े मामलों में पटवारी ही वह व्यक्ति होता है जिसे यह बखूबी पता होता है कि कब, कहां और कैसे घोटाले को अंजाम देना है, ताकि वह पकड़ा न जाए। अपने वरिष्ठ अधिकारियों तक इसकी भनक नहीं लगने देते, और अगर किसी को पता भी चल जाए, तो उन्हें भी अपने कारनामों में शामिल कर लेते हैं। हालांकि, इनकी कुछ गलतियों के कारण काले कारनामे अक्सर उजागर हो ही जाते हैं।

भिंड जिले की शहर तहसील में वर्षों से पदस्थ पटवारी आशीष त्रिपाठी के ऐसे ही कारनामे हाल ही में सामने आए हैं। यह खुलासा तब हुआ जब वर्षों से जारी घोटाले और अवैध कार्यों की जांच की गई। पटवारी त्रिपाठी ने राजनीतिक और प्रशासनिक संबंधों का सहारा लेकर इन मामलों को दबाने की कोशिश की, लेकिन जांच अधिकारियों ने कार्रवाई के आदेश जारी किए। बावजूद इसके, राजनैतिक दबाव के चलते अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी और मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

आशीष त्रिपाठी, जो भिंड शहर तहसील में लंबे समय से पदस्थ हैं, उनके खिलाफ ऐसे कई गंभीर आरोप हैं। हालांकि उनके काले कारनामों की लिस्ट काफी लंबी है, लेकिन कुछ प्रमुख घोटाले अब सार्वजनिक हो चुके हैं, जो प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं।

इसके पहले भी भू माफिया त्रिपाठी पर जांच के आदेश जारी हुए थे, लेकिन धनबल के चलते जांच में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। एसडीएम भिंड द्वारा की गई कई जांचों में त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिशें की गई थीं, परंतु रिकॉर्ड्स में हेराफेरी कर मामले को दबा दिया गया। सिमराव ग्राम में ही आशीष ने एक दस बीघा जमीन (भगवान सिंह आदि की .54 हेक्टेयर से 1.54 हेक्टेयर कर दी) को कागजों में पंद्रह बीघा कर दिया और रजिस्ट्री करवा ली। रामसेवक बगैरा की जमीन कम करके  2.70 1.70 कर दी। 

इतना ही नहीं, त्रिपाठी ने खसरे में फर्जी इंट्री कर अपनी मां और मामी सास के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री करवाई। जांच में यह भी साबित हो चुका है, और एफआईआर के आदेश दिए गए थे, लेकिन धनबल के चलते उन्हें इस मामले से भी अलग कर दिया गया। त्रिपाठी की मां शासकीय सेवा में हैं और पहले आंगनबाड़ी और शिक्षक दोनों जगह से वेतन लेती थीं। वर्तमान में वह एक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

त्रिपाठी लंबे समय से भिंड शहर के 7/2 क्षेत्र में पदस्थ हैं, और जब भी संबंधित अधिकारी या नेता बदलते हैं, वह फिर से इसी क्षेत्र में अपनी पोस्टिंग करवाते हैं, क्योंकि उनके कई काले कारनामे इसी क्षेत्र में फैले हुए हैं। एक प्रमुख मामला शनि मंदिर के पास गोलबेश्वर महादेव (कमल बाबा मंदिर) की 6 बीघा जमीन का है, जिसे उन्होंने पेपरों में हेराफेरी कर बेच दिया था।

मा और मामी सास के नाम की हरजानो की भूमि

हाल ही में, त्रिपाठी पर एक और षड्यंत्र का मामला सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपनी चालाकी से खुद को बचाया है। इसके अलावा, भिंड के ग्राम सिमराब में उन्होंने हरिजनों को आवंटित अहस्तानांतरणीय पट्टों की जमीन को अपनी मां और मामा सास के नाम करवाया। इस मामले में ग्रामवासियों के साथ उनका विवाद भी हुआ, जिसमें पटवारी के साथ ग्रामवासियों ने मारपीट भी थी इस दौरान उनके सिर में गंभीर चोट भी आई थी लेकिन पोल खुलने के  डर से कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इस पूरे प्रकरण में अधिकारियों की निष्क्रियता और भू माफिया के बढ़ते हौसले से जनता में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

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