भिंड। भिंड जिले में बागढ़ ही खेत खा रही है। पटवारी आशीष त्रिपाठी के खिलाफ राजस्व मंत्री, बले के प्रभारी मंत्री और मुख्यमंत्री को शिकायत गई है कि उसने उद्योग विभाग की शासकीय भूमि पर अपने ससुर के नाम से कब्जा करवा कर वहां मकान बनवा दिया। अनुसूचित जातिके लोगों को बांटे गए पट्टों की जमीन जो अहस्तांतरणीय होती है, उसे फर्जीवाड़ा करके अपने परिजनों के नाम करवाई और विशाल फार्म हाउस बना लिया। ये ये फार्म पचास बीघा क्षेत्र में बना हुआ है। बताया जा हा है कि पटवारी त्रिपाठी वर्तमान में उसी क्षेत्र में पदस्थ हैं, जहां यह अवैध निर्माण हुआ है। इस भूमि की बाजारू कीमत लगभग करोड़ रुपये बताई जा ही है।
इस मामले की शिकायत राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा को की गई, जहां उनके विशेष सहायक ने भिंड कलेक्टर को पूरे मामले की जांच के लिए पत्र लिखा, लेकिन वह पत्र कलेक्टर द्वारा रद्दी की टोकरी में फेक दिया गया। कार्रवाई तो दूर, अभी तक इस मामले की फाइल तक नहीं खोली गई है।
भिंड जिले की शहर तहसील में वर्षों से पदस्थ टवारी नाशीष त्रिपाठी के ऐसे ही कारनामे हाल ही सामने आए हैं। यह खुलासा तब हुआ जब वर्षों जारी घोटाले और अवैध कार्यों की निचले स्तर पर जांच की गई। पटवारी ने हालांकि इन मामलों को दबाने की कोशिश करवाई, लेकिन जांच अधिकारियों ने कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए, पर कलेक्टर स्तर पर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
इसके पहले भी भू माफिया त्रिपाती पर जांच के आदेश जारी हुए थे, लेकिन धनबल और कलेक्टर तक पहुंच के चलते जांच में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
एसडीएम भिंड द्वारा की गई कई जांथों में त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिशें की गई थीं, परंतु रिकॉर्ड्स में हेराफेरी कर मामले को दबा दिया गया। सिमराव ग्राम में ही आशीष ने एक दस बीघा जमीन (भगवान सिंह आदि को 54 हेकटेयर से 1.34 हेक्टेयर कर दी) को कागजों में पंद्रह बीघा कर दिया और रजिस्ट्री करवा ली। रामसेवक बगैरा की जमीन कम करके 2.70 1.70 कर दी। इतना ही नहीं, त्रिपाठी ने खसरे में फर्जी एंट्री कर अपनी मां और मामी सास के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री करवा दी। जांच में यह भी साबित ही चुका है, और एफआईआर के आदेश दिए गए थे, लेकिन उन्हें इस मामले से भी अलग कर दिया गया। त्रिपाठी की मां शासकीय सेवा में हैं और वह आंगनवाड़ी और शिक्षक के रूप में दोनों जगह से वेतन लेती रहीं। वर्तमान में वह एक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। त्रिपाठी लंबे समय से भिंड शहर के 7/2 क्षेत्र में पदस्थ हैं, और जब भी संबंधित अधिकारी या नेता बदलते हैं. वह फिर से इसी क्षेत्र में अपनी पोस्टिंग करवाते हैं, क्योंकि उनके कई काले कारनामे इसी क्षेत्र में फैले हुए हैं। एक प्रमुख मार शनि मंदिर के पास गोलवेश्वर महादेव (कमल व मंदिर) की 6 बीघा जमीन का है, जिसे उन्होंने हेराफेरी कर बेच दिया था।
उक्त पटवारी के एक और षड्यंत्र मामला सामने आया है, जिसमें उन्होंने चालाकी से खुद को बचा लिया। ग्राम सिमराब में उन हरिजनों के अहस्तानांतरणीय पट्टों की जमीन को अपनी मां और मामी सास के नाम करवाया। इस मामले में ग्रामवासियों के साथ उनका विवाद भी हुआ। पटवारी के साथ ग्रामवासियों ने मारपीट भी की, जिसमें उनके सिर में गंभीर चोट भी आई थी, लेकिन पोल खुलने के डर से कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई।
ग्राम सिमराव निवासी आकाश शर्मा पुत्र रामसेवक शर्मा की ओर से राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा को शिकायती आवेदन दिया गया है। इसमें इन्होंने बताया कि मेरे पिता के नाम से सिमराव गांव में सर्वे क्रमांक 377 में 5 बीघा जमीन है। इसे बिना किसी आदेश के पहले भगवान सिंह आदि के नाम दर्ज कर दी, फिर इसी जमीन को पटवारी आशीष त्रिपाठी ने अपनी मां के नाम करा ली। वर्ष 2009 में
इस मामले की सिटी कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज की गई थी। लेकिन बाद में इसका रिकॉर्ड ही कलेक्टर कार्यालय से गायब हो गया। मेरे भाई ने सीमांकन का आवेदन दिया, तो उसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें लाइनें नहीं पड़ी। बाद में पटवारी आशीष त्रिपाठी ने जमीन खरीदी तो तुरंत नक्शे में लाइनें डाल दी गई। बाद में पटवारी आशीष त्रिपाठी ने सर्वे नंबर 380 को जबरन जुतवा लिया। इस आवेदन के बाद राजस्व मंत्री के विशेष सहायक विष्णु प्रसाद यादव की ओर से भिंड कलेक्टर को पत्र दिया गया है। इसमें उन्होंने प्रकरण की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई के लिए कहा है। भिंड कलेक्टर कार्यालय में इस पत्र पर अभी तक किसी तरह की जांच के निर्देश तक नहीं दिये गये हैं। उलटे पटवारी द्वारा अधिकारियों के सहयोग से मंत्रियों के स्टाफ को भ्रमित करने के प्रयास किये जा रहे हैं।