भोपाल। मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन की गड़बड़ियां उजागर होने लगी हैं। केंद्र की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि जिन गांवों में एक भी नल नहीं लगा, वहां मिशन के तहत काम पूरा होना दिखा दिया गया है। वहीं, जिन गांवों में इस मिशन के तहत पानी सप्लाई हो रहा है, उनमें से कई जगह पीने का पानी साफ नहीं है।
दरअसल, 2024 में भी मिशन का काम पूरा होता न देखकर केंद्र ने जुलाई में इसकी जमीनी स्तर पर जांच कराई। इसके लिए एक निजी एजेंसी को मप्र के 1,271 सर्टिफाइड गांवों में हुए कार्यों की जांच का जिम्मा सौंपा गया। जांच में केवल 209 गांवों में सभी जरूरी मानक पूरे पाए गए।
वहीं, 217 गांवों में नल कनेक्शन तो हुए, लेकिन पानी की सप्लाई नहीं हो रही है। खास बात यह है कि 9 जिलों के 13 गांव ऐसे हैं जहां नल कनेक्शन तक नहीं मिल पाए हैं, जबकि यहां कार्य पूरा होना बताया है। सबसे खराब स्थिति अलीराजपुर और सिंगरौली जिलों के गांवों की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 778 गांवों के पानी की जांच में 390 सैंपल अमानक पाए गए, जिनमें बैक्टीरियल कंटामिनेशन मिला है। इससे मिशन के तहत कार्य पूरे होने के जरूरी दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। खास बात यह है कि यह सर्वे जुलाई में, यानी बारिश के दौरान किया गया था, जब भूजल स्तर बेहतर होता है। 19 नवंबर को केंद्र ने यह रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेजी है।
केंद्र की रिपोर्ट मिलने के बाद अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) ने भी प्रमुख अभियंता से जवाब तलब कर लिया है। अवर सचिव शैलेष कुमार जैन ने पत्र लिखकर सवाल किया है कि इस मामले में क्या कोई कार्रवाई की गई है, यदि हां तो क्या?
थर्ड पार्टी एजेंसी ने सर्वे में जल परीक्षण के लिए जो सैंपल लिए, उनमें 48.70% सैंपल जीवाणु पैरामीटर में और 50.80% सैंपल रासायनिक पैरामीटर में उपयुक्त नहीं पाए गए।