MP: इंदौर के पार्षद जीतू को भाजपा ने बाहर निकाला:समर्थकों ने पार्टी के ही पार्षद के घर किया था हमला

इंदौर। इंदौर में भाजपा पार्षद के घर में घुसकर हमले के 8 दिन बाद पार्टी ने एमआईसी मेंबर जीतू यादव (जाटव) को बाहर निकाल दिया। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पूरे विवाद को अशोभनीय बताते हुए एक्शन लिया है।

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अपराधों की कुंडली खंगाल रही पुलिस

इंदौर में भाजपा के दो पार्षदों के आमने-सामने होने को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बयान के बाद पुलिस जीतू यादव के अपराधों की कुंडली खंगाल रही है। पुलिस का कहना है कि जीतू यादव 11 साल की उम्र से अपराध की दुनिया में है।

36 साल के भाजपा पार्षद जीतू यादव ने पहला अपराध 1999 में किया था। तब नाबालिग जीतू ने परदेशीपुरा इलाके में दोस्त के साथ घर में घुसकर चाकूबाजी की थी। यहां जीतू और उसके दोस्तों ने मिलकर जान से मारने की धमकी भी दी थी। जीतू के क्राइम का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ। इसी साल उनको परदेशीपुरा पुलिस ने जुआ खेलते हुए पकड़ा था। पुलिस का कहना है कि 2019 से जीतू यादव पर कोई केस दर्ज नहीं किया गया है। हालांकि कई लिखित शिकायतें थाने जरूर पहुंची हैं। पुलिस इन शिकायतों की जांच भी कर रही है।

15 दिन पहले ऑडियो वायरल होने के बाद से वार्ड 65 के पार्षद कमलेश कालरा और नगर निगम कर्मचारी के बीच हुए विवाद में वार्ड 24 के पार्षद जीतू यादव का नाम आने के बाद से ही विवाद गरमाया हुआ है।

50 से ज्यादा बदमाशों ने किया था हमला
बीते शुक्रवार को 50 से ज्यादा बदमाशों ने पार्षद कालरा के घर पर हमला किया था। कालरा ने जीतू यादव पर हमला कराने के आरोप लगाए। 8 दिन के अंतराल में जूनी इंदौर पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज देखकर 12 बदमाशों की पहचान कर ली। इनमें से 6 को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस का कहना है कि अभी तक जीतू यादव के नाम से कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, वहीं किसी भी आरोपी ने जीतू यादव का नाम भी नहीं लिया है। इस कारण पुलिस जीतू के इस मामले में शामिल होने या न होने को लेकर कोई बयान नहीं दे रही है।

हालांकि पुलिस जीतू यादव पर कालरा के आरोपों की पड़ताल कर रही है। इस बीच पुलिस ने जीतू की पूरी क्राइम कुंडली खंगाल ली है। पुलिस का कहना है कि जीतू यादव ने 1999 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। तब से 2019 तक जीतू पर 11 केस दर्ज हो चुके हैं। इनमें से 10 केस परदेशीपुरा और 1 संयोगितागंज थाने में ही दर्ज हुआ है।

साल दर साल ऐसे दर्ज हुए जीतू पर केस
1999 में दो केस दर्ज होने के बाद परिवार ने जीतू पर सख्ती दिखाना शुरू कर दिया था। इसके चलते 2005 तक जीतू ने पढ़ाई पूरी की। 2005 में एक के बाद एक चाकूबाजी के दो प्रकरण दर्ज किए गए। इसी साल संयोगितागंज पुलिस ने लूट का प्रयास करने, सरकारी अधिकारी को डराने और अपनी मांगें मनवाने के लिए धमकाने जैसी धाराओं में केस दर्ज किया। जांच के बाद पुलिस ने जीतू की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए धाराएं बढ़ाई थीं।

2010 और 2011 में तीन केस दर्ज हुए थे
दो साल में जीतू यादव पर अवैध हथियार रखने का भी केस दर्ज किया गया। इसके साथ ही एक केस गंभीर चाकूबाजी और बलवा और हत्या के प्रयास के दो केस दर्ज किए गए। 2017 और 2019 में मारपीट और प्रतिबंधात्मक धाराओं में केस दर्ज किया गया। जीतू पर 2010 में बाउंड ओवर की कार्रवाई भी की गई थी। इसके बाद जीतू यादव राजनीति में कदम रखा।

डोजियर में बड़े अपराधियों के नाम
सोशल मीडिया पर पार्षद जीतू यादव के शहर के कई बड़े अपराधियों और हिस्ट्रीशीटर के साथ फोटो वायरल हो रहे हैं। पुलिस का कहना है कि पुलिस कमिश्नर ने इंदौर में डीआईजी रहते बड़े बदमाशों से जुड़े वकील, राजनेता और पुलिसकर्मियों के नाम डोजियर में भरवाए थे। इसमें जीतू यादव के नाम भी कई डोजियर में शामिल थे।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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