MP: न्यायालयीन मामलों में मुख्य सचिव जैन ने पूर्व सीएस डिसा का आदेश किया निरस्त, वित्त विभाग के नये निर्देशों का पालन करने के निर्देश

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों को लेकर समय पर कार्यवाही करने के लिए पूर्व मुख्य सचिव अंटोनी डिसा द्वारा 14 जनवरी 2015 को जारी किए गए निर्देशों को निरस्त कर दिया है। अब उन्होंने ऐसे मामलों में कार्यवाही के लिए वित्त विभाग के नये निर्देशों का पालन करने को कहा है।
पूर्व मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने चौदह जनवरी 2015 को एक आदेश जारी किया था। इन निर्देशों में पूर्व सीएस डिसा ने माना था कि न्यायालयों में प्रस्तुत याचिकाओं में न्यायालय द्वारा पारित कतिपय प्रकरणों मे आदेश प्रचलित शासकीय नियमों और निर्देशों के विपरीत रहते है। इसका मुख्य कारण संबंधित विभाग द्वारा पक्ष समर्थन में शिथिलता तथा सामयिक कार्यवाही सुनिश्चित नहीं किया जाना प्रतीत होता है। जिन प्रकरणों में एक से अधिक विभाग शमिल रहते है उनमें अपेक्षित समन्वय न हो पाने के कारण भी ऐसी स्थिति निर्मित होती है। ऐसे निर्णयों का दूरगामी प्रभाव राज्य की वित्त और अन्य प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर भी पड़ता था। शासकीय सेवकों की सेवा शर्तो से संबेंधित प्रकरणों मे सामान्यत: सुस्पष्ट आदेश पारित करने के निर्देश दिए जाते है। ऐसी स्थिति में संबंधित विभाग को यह सुनिश्चित करना होता है कि निर्णय के अनुसार विभाग स्वयंपूर्ण एवं सुस्पष्ट आदेश शासन के प्रचलित नियमों और निर्देशों के अनुसार समयसीमा में पारित करें। जिसमें संबंधित अधिकारी, कर्मचारी द्वारा न्यायालय में उठाए गए विषय का निराकरण प्रचलित नियमों से हो सके। ऐसे मामलों में अवमानना याचिका दायर होने पर भी विभाग को पारित किये गए आदेश के पक्ष के समर्थन में पूर्ण तार्किकता के साथ अपना पक्ष रखना चाहिए। जहां न्यायालयों ने प्रचलित नियमों के विपरीत आदेश पारित किए हो वहां नियमों की व्याख्या करते हुए अपील की जाना चाहिए। पूर्व सीएस ने यह भी कहा था कि जहां प्रचलित नियमों के विपरीत न्यायालयीन आदेशों के आधार पर वित्तीय लाभ देने की स्थिति बने तो वित्त विभाग की सहमति से स्पष्ट बोलता हुआ आदेश पारित किया जाए जिसमें न्यायालय के आदेश के परिप्रेक्ष्य में आदेश पारित करने और इसे पूर्व उदाहरण नहीं माने जाने का उल्लेख करना होता था।
मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने पूर्व सीएस का यह पूरा निर्देश ही निरस्त कर दिया है। अब न्यायालयीन प्रकरणों के संबंध में आवश्यक कार्यवाही के लिए वित्त विभाग के अलग-अलग आदेशों का पालन करने को कहा गया है। इसमें वित्त विभाग के 12 सितंबर 2017, बारह जून 2020 और 2 नवंबर 2021 के आदेशों का पालन करने को कहा गया है। वित्त विभाग ने इन परिपत्रों में संबंधित प्रशासकीय विभागों को सामान्यत: न्यायालयीन निर्णयों के अनुक्रम में विभाग की प्रक्रिया के अनुसार गुण दोष के आधार पर आवश्यक कार्यवाही करने के लिए प्राधिकृत किया है। न्यायालयीन निर्णयों में ब्याज की राशि के भुगतान के संबंध में भी वित्त विभाग के दो नवंबर 2021 के आदेश के तहत प्रक्रिया निर्धारित करते हुए प्रशासकीय विभाग को ही अधिकार प्रत्यायोजित किए गए है। अब इन नये निर्देशों के अनुसार विभागों को कार्यवाही करना होगा।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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