रीवा । प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के गृह जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार स्पेशलिस्ट पूरी तरह हावी हैं। विडंबना ही है कि शुक्ल ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं। यहां अटैचमेंट और प्रभार वाले पदों पर ऐसे कर्मचारियों अधिकारियों को बैठाया गया है जो सीएमएचओ ही नहीं पूरे सिस्टम पर भारी पड़ जाते हैं य यूं कहें कि प्रभार वाले पदों की कोख में ऐसे- ऐसे सूरमा पल- पोष रहे हैं जो स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं को ही नहीं पूरे सिस्टम को अपने तरीके से चला रहे हैं यहां तक कि ऐसे अधिकारी कर्मचारी कभी कभार सीएमएचओ और क्षेत्रीय संचालक जैसे अधिकारियों पर भी भारी पड़ चुके हैं।
बीते वर्षों में उनके द्वारा किए गए कारनामों का चिट्ठा खुलने के बाद भी अब तक यथावत अपने पदों पर बने हुए हैं इसके साथ ही अपने प्रभाव और राजनीतिक संरक्षण से अतिरिक्त प्रभार वाले पद पर भी सवार हैं उन्हीं अधिकारियों में से एक राघवेंद्र मिश्रा हैं जिनके विरुद्ध वर्ष 2016 में तत्कालीन सीएमएचओ रीवा डॉ एस के त्रिपाठी ने जांच रिपोर्ट में लिखा था कि राघवेंद्र मिश्रा द्वारा वित्तीय आनियमित्ता व भ्रष्टाचार किये जाने का आरोप है लेकिन मजाल है कि कोई उनको टस से मस कर सके उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सुझाव देने वाले सीएमएचओ तो अपना कार्यकाल पूरा करके चलता बने लेकिन राघवेंद्र मिश्रा अपने पद पर रीवा सीएमएचओ कार्यालय में अब तक यथावत डंटे है ऊपर से रिक्त पड़े डीपीएम पद का भी प्रभार सौंपा गया है।
बताया जाता है कि वर्ष 2022 में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ बी एल मिश्रा काफी सख्त अधिकारियों में गिने जाते थे उनके
द्वारा भी मिशन संचालक भोपाल को राघवेंद्र मिश्रा के विरुद्ध भ्रष्टाचार करने और उनकी कार्यशैली को लेकर विभागीय पत्र में लेख किया था कि इन्हें रीवा जिले से बाहर स्थानांतरित किया जाए जिससे कि विभाग की व्यवस्थाओं को सुधरा जा सके लेकिन उसके आदेश निर्देश सुझाव रद्दी की टोकरी में चले गए और संविदा कर्मचारी राघवेंद्र मिश्रा अपने पद पर यथावत जमें रहे तो वहीं तत्कालीन सीएमएचओ की कुर्सी उनके कार्यकाल में हिचकोले खाती रही हालाकि उस दौरान राघवेंद्र मिश्रा शिकायतों और आक्षंरोपों को लेकर मीडिया की सुर्खियों में बने रहे इसके साथ ही भ्रष्टाचार और कार्य व्यवहार को लेकर तत्कालीन सीएमएचओ का एन एच एम भोपाल को लिखा गया पत्र भी चर्चा में रहा लेकिन कुछ हुआ नहीं।
शिकायतों पर नहीं हुई कार्रवाई
दो वर्ष पहले रीवा जिले के सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ संविदा कर्मचारी राघवेंद्र मिश्रा डीसीएम को तत्काल रीवा जिले से दूसरे जिलों में ट्रांसफर किये जाने एक तरफ जहां सीएमएचओ ने लेख किया था तो वहीं दूसरी तरफ आशा उषा संघ के पदाधिकारियों द्वारा भी शिकायत की गई थी कि राघवेंद्र मिश्रा द्वारा एच बी एन सी के नाम पर रीवा जिले में करोङो का घोटाला किया गया है इस शिकायत पर एनएचएम भोपाल से उप संचालक दिनेश सिंघवी द्वारा जांच कार्यवाही हेतु लेख भी किया गया था लेकिन जांच कार्यवाही हवा हवाई हो गई इन सबके अलावा तत्कालीन समय के जनप्रतिनिधि सरपंच जावेंद्र सिंह इंटहा द्वारा भी शिकायत की गई थी कि राघवेंद्र मिश्रा की प्रथम नियुक्ति आईईसी सलाहकार में पूर्णतः फर्जीवाड़ा करके नियुक्ति पाई गई है उन्होंने फर्जी अवैधानिक नियुक्ति की बिंदुवार शिकायत भी की थी जावेंन्द्र सिंह की शिकायत पर तत्कालीन रीवा कलेक्टर मनोज पुष्प द्वारा शिकायत प्रकरण को टी एल में भी लिया गया था लेकिन मामला यहां भी जैसे तैसे दब गया।
सब पर भारी संविदा कर्मचारी
वित्तीय अनियमितता और कार्य व्यवहार को लेकर तत्कालीन सीएमएचओ द्वारा लेख किए गए पत्रों करोड़ों के भ्रष्टाचार की शिकायत अवैध तरीके से प्राप्त की गई नियुक्ति जैसी गंभीर आरोपों के बावजूद राघवेंद्र मिश्रा पर किसी तरह की आंच नहीं आना यह बताने के लिए काफी है कि उनका दबदबा और रसूख पूरे सिस्टम पर भारी है पूर्व में किए गए भ्रष्टाचार की जांच रिपोर्ट अधिकारियों के लेख और शिकायतें बीते वर्षों से दफ्तर में दम तोड़ रही है लेकिन कुछ होता- जाता नजर नहीं आ रहा है हमारे विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि राघवेंद्र मिश्रा को राजनीतिक संरक्षण के साथ ही वर्तमान सीएमएचओ रीवा का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है ऐसे में संभावना बहुत ही कम नजर आती है कि राघवेंद्र मिश्रा के विरुद्ध किसी भी प्रकार से स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यवाही की जाएगी।