MP: इंजीनियर्स की गधा हम्माली पर अफसरों में विवाद:पैनलिस्ट की बात पर चीफ इंजीनियर को ऐतराज; कहा- इंजीनियर्स को गधा मत कहिए

भोपाल। रवीन्द्र भवन में रविवार को दो दिवसीय इंडियन रोड कांग्रेस का सेमिनार खत्म हो गया। सेमिनार का आयोजन सड़क और पुल के निर्माण में आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर चर्चा के लिए किया गया था। इस पर चर्चा भी हुई लेकिन यहां गधा शब्द पर विवाद खड़ा हो गया। एक पैनलिस्ट ने गधा हम्माली कहा तो जबलपुर पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर ने आपत्ति दर्ज कराई कि इंजीयनियर्स को गधा मत बोलिए। इस विवाद से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस सेमिनार का उद्घाटन किया था।

पैनलिस्ट संजय श्रीवास्तव ने सेमिनार में कहा कि सब चीज मॉनिटरिंग सपोर्ट से ही चल रही है। कैपेसिटी बिल्डिंग और ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। हर साल रेफरेशन कोर्स होने चाहिए। रेगुलर इंप्लीमेंटेशन हो जाए, ये हो जाएगा। बाकी जगह हो रहा है ब्यूरोक्रेट्स रेगुलर बाहर जा रहे हैं। इंटरनेशनल लेवल पर घूम रहे हैं। मगर हमारे यहां सब गधे की तरह लगे हुए हैं। सारे इंजीनियर्स… कि सुबह साइट पर चले जाओ, शाम को वहां आ जाओ ।
जबलपुर पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर ने उन्हें तुरंत रोका। कहा- सर, गधा मत बोलिए। ये गलत है।

श्रीवास्तव ने कहा- गधा हम्माली का मतलब…
उनकी बात पूरी होती इससे पहले ही एसके वर्मा ने उन्हें रोकते हुए कहा कि ये गलत बात है। इसे वापस लीजिए।
श्रीवास्तव ने कहा- सर, मैंने इसे वापस ले लिया। मगर हम एक टाइप ऑफ वर्किंग में बंध गए हैं। एक रेगुलर फैकल्टी वर्किंग है।

पैनलिस्ट के विचार गडकरी से भी अलग रहे
एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री गडकरी ने यहां कहा था कि मुख्यमंत्री जी आपके यहां इजीनियरिंग कॉलेज होंगे। सड़क-पुल के डीपीआर चेक करने का काम उन्हें दीजिए। इससे उनका अनुभव भी बढ़ेगा और डीपीआर क्रॉस चेक भी हाे जाएगा।
इस विचार से ठीक अलग पैनलिस्ट श्रीवास्तव ने कहा कि आईआईटी के बच्चों को पढ़ाई छोड़कर रिसर्च में घुसा दिया है। जो बेसिक काम है, आईआईटी का वो तो पढ़ाना है और बच्चों को निकालना है। उनसे प्रोजेक्ट प्रोविजन बनवा लो, सब कुछ वहीं से होगा तो फिर कैसे होगा?
उनके पास चले जाओ तो एक डिजाइन अप्रूव कराने में 6-6 महीने लग जाते हैं। फिर हम वहां से शिफ्ट कराने के लिए घूमते हैं कि इस आईआईटी को छोड़ दो, आप दूसरी जगह से करा दो, एनआईटी से करा दो। यह प्रैक्टिकल प्रॉब्लम है, जिसके बारे में बात कर रहा हूं, इसको हमें समझने की जरूरत है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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