भोपाल । हाईकोर्ट ने देश की सबसे भरोसेमंद मानी जाने वाली जांच एजेंसियों में से सीबीआई को नर्सिंग घोटाले की जांच का जिम्मा सौंपा। भोपाल के सीबीआई अफसरों ने हाईकोर्ट के भरोसे को तोड़ते हुए नर्सिंग कॉलेजों की जांच के नाम पर भ्रष्टाचार की दुकान खोल ली। नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने वाली हर टीम का सदस्य इस भ्रष्टाचार में शामिल था। सभी का रेट फिक्स था।
सीबीआई की एफआईआर में खुलासा हुआ है कि कॉलेजों को सूटेबल बताने के लिए भोपाल सीबीआई अधिकारियों ने 2 से 10 लाख रुपए तक का रेट फिक्स कर रखा था। जांच टीम में शामिल नर्सिंग ऑफिसर के 50 हजार और पटवारी को 20 हजार रुपए तक के रेट तय थे। अलग-अलग दलालों को एमपी के अलग-अलग हिस्सों का जिम्मा सौंपा गया था।
दिल्ली सीबीआई की एंटी करप्शन यूनिट के अधिकारियों ने अब तक इस केस में सीबीआई के डीएसपी और 3 इंस्पेक्टर सहित 23 लोगों को आरोपी बनाया है। मंगलवार को सीबीआई ने भोपाल ब्रांच में पदस्थ डीएसपी आशीष प्रसाद और इंस्पेक्टर रिषिकांत असाठे को भी नामजद कर लिया है
।इससे दो दिन पहले सीबीआई ने इंस्पेक्टर राहुल राज और सुशील मजोका को भोपाल और रतलाम से रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार किया था। राहुल राज के घर से 7.88 लाख नकद और 100-100 ग्राम के चार सोने के बिस्किट जब्त किए थे। अब तक सीबीआई इस केस में 2.33 करोड़ रुपए नकद जब्त कर चुकी है। खामियों के बावजूद नर्सिंग कॉलेजों को सूटेबल बनाने के लिए बड़े तरीके से सीबीआई अफसरों ने रिश्वत का पूरा खेल खेला।
नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने वाली टीमों ने ऐसे किया भ्रष्टाचार
सीबीआई ने इस मामले में जो एफआईआर दर्ज की है उसके मुताबिक सीबीआई के डीएसपी आशीष प्रसाद, इंस्पेक्टर राहुल राज, इंस्पेक्टर सुशील मजोका और इंस्पेक्टर रिषिकांत असाठे की अगुआई में नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए अलग अलग टीमें बनाई गई थी। इनमें सीबीआई अफसरों के अलावा इंडियन नर्सिंग काउंसिल द्वारा नामित नर्सिंग स्टाफ और पटवारियों को शामिल किया गया था। हाईकोर्ट के निर्देश पर इन्हें मप्र के करीब 600 कॉलेजों की जांच करनी थी।
सीबीआई की अलग-अलग टीमों ने 308 कॉलेजों की जांच कर इसकी रिपोर्ट इसी साल जनवरी में हाईकोर्ट में पेश की थी। इसमें 169 कॉलेजों को सूटेबल, 74 को डिफिशिएंट और 65 कॉलेजों को अनसूटेबल की कैटेगरी में रखा था।बाकी बचे हुए कॉलेजों के इंस्पेक्शन की रिपोर्ट हाईकोर्ट में सब्मिट करनी थी। इसके लिए सीबीआई अधिकारियों ने कॉलेज संचालक और दलालों के साथ मिलकरभ्रष्टाचार का एक पूरा रैकेट तैयार किया। इसमें हर किसी की भूमिका तय थी।
सीबीआई अधिकारियों का ये पूरा रैकेट अनसूटेबल कॉलेजों को सूटेबल बनाने के लिए 2 लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक की रिश्वत लेता था। रिश्वत का ये पैसा बाद में सीबीआई अफसर, नर्सिंग स्टाफ और पटवारियों के बीच बांटा जाता था।
जांच टीम में शामिल नर्सिंग स्टाफ को 25 हजार से 50 हजार, पटवारियों को 5 हजार से 20 हजार रुपए दिए जाते थे। पटवारी और नर्सिंग स्टाफ को ये पैसा इंस्पेक्शन के दिन या उसके अगले दिन पहुंचा दिया जाता था।