उमरिया। मध्य प्रदेश के एक प्रोफेसर ने 2 साल में BSC, बीएड और एमए की डिग्रियां हासिल कर लीं। उसकी डिग्रियां जांचने में कोर्ट को 9 साल लग गए जिसकी योग्यता सुन कर आप भी चौंक जायेंगे। हालांकि उस व्यक्ति की बदकिस्मती यह रही कि न्यायालय ने उसकी योग्यता का लोहा न मान कर उसे जेल भेज दिया।
मामला है जिले के ग्राम चिल्हारी निवासी अखिलेश्वर नाथ द्विवेदी पुत्र सम्पत प्रसाद द्विवेदी का। इस बारे में जानकारी देते हुए ग्राम पलझा निवासी गोविन्द प्रसाद तिवारी ने बताया कि आरोपी अखिलेश्वर नाथ की शिक्षा विभाग में वर्ग 1 के पद पर नियुक्ति तत्कालीन शहडोल जिले के जिला पंचायत शहडोल द्वारा वर्ष 1998 में हुई थी। इनकी प्रथम पदस्थापना हायर सेकंडरी मानपुर में अर्थशास्त्र के व्याख्याता के पद पर हुई।इसके बाद वर्ष 1998 में ही उमरिया जिला बनने के बाद इन्होंने अपना ट्रांसफर अमरपुर हायर सेकंडरी स्कूल में करवा लिया।
कुछ दिनों बाद वहां भी ठीक नही लगा तो ये अपना ट्रांसफर कटनी जिले के नगर परिषद सिनगौड़ी हायर सेकंडरी स्कूल में करवा लिए। बाद में पदोन्नति का भी लाभ लिए और प्रभारी प्राचार्य के प्रभार में आ गए। उसके बाद इन्होंने अपना स्थानांतरण हायर सेकंडरी स्कूल डोकरिया करवा लिया और वहां प्रभारी प्राचार्य के पद पर विराजमान रहे।
अब इनकी डिग्रियों और टैलेन्ट के बारे में भी जान लीजिए
इन्होंने वर्ष 1994 में बीएससी की डिग्री झांसी बुंदेलखंड से प्राप्त की। वर्ष 1995 में बीएड की डिग्री बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से प्राप्त कर 1996 दिसंबर में उस्मानिया हैदराबाद से एमए अर्थशास्त्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर एक और डिग्री प्राप्त की।
एसपी ने दिए थे जांच के आदेश
इतनी योग्यता और 2 वर्ष में बीएससी, बीएड और एमए की डिग्री देख कर फर्जीवाड़े की शंका हुई। इस पर गोविन्द प्रसाद तिवारी ने 31 दिसंबर 2012 को उमरिया जिले के कलेक्टर, डीईओ, सीईओ जिला पंचायत को लिखित शिकायत देकर इनकी योग्यता एवं डिग्रियों की जांच करने की मांग की। हालांकि कुछ हुआ नहीं। तब आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो भोपाल से पत्र व्यवहार किया गया, जिस पर तत्कालीन एसपी उमरिया के पास वहां से पत्र आने पर थाना इंदवार को जांच के लिए निर्देशित किया।
फर्जी पाई गईं सारी डिग्रियां
उस जांच में इनकी सारी योग्यता और डिग्री फर्जी पाई गईं, जिस पर थाना इंदवार के तत्कालीन थाना प्रभारी देव करण डेहरिया द्वारा दिनांक 28/11/2013 को अपराध क्रमांक 255/13 धारा 420, 467, 468, 471 आईपीसी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच शुरू की गई। इसके बाद दिनांक 20/10/2015 को अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया।
ये लगी धाराएं
शासकीय अधिवक्ता रचना गौतम ने बताया कि हर बिंदुओं पर सुनवाई करने के बाद दिनांक 07/10/2024 को 9 वर्ष बाद जिला अपर सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार चौधरी ने आरोपी को धारा 420, 467, 468 और 471 में सजा सुनाकर जेल भेज दिया गया।