भोपाल। बीजेपी जिलाध्यक्षों की लिस्ट को लेकर बीते एक हफ्ते से कयासों का दौर चल रहा है। तीन जनवरी को सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों और पर्यवेक्षकों ने जिलाध्यक्षों के नामों का पैनल प्रदेश संगठन चुनाव की टोली को सौंप दिया था। जिलेवार वन-टू-वन चर्चा के बाद भोपाल में दो दिनों तक मंथन चला। बीजेपी की ओर से 5 जनवरी को जिलाध्यक्षों की सूची घोषित होने की बात कही गई।
लेकिन, दिग्गजों के बीच सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में भी दो दिनों तक बैठकों का दौर चला, फिर भी अब तक जिलाध्यक्षों की लिस्ट जारी नहीं हो पाई।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि संगठन के दो दिग्गज अपनों को एडजस्ट करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। दोनों दिग्गज जिलेवार अपने-अपने चहेतों को जिलाध्यक्ष बनवाने के लिए ताकत लगा रहे हैं।
वहीं, क्षेत्रीय क्षत्रप भी अपने इलाके में अपनों को स्थापित करने के लिए बीटो लगा रहे हैं। ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेन्द्र सिंह तोमर, जयभान सिंह पवैया “अपना” अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। सागर में तो दिग्गजों के बीच मची खींचतान के चलते पार्टी को दो जिलाध्यक्ष बनाने का फैसला करना पड़ा है।
सभी जिलाध्यक्ष घोषित करने में लंबी माथापच्ची
बीजेपी के संगठन चुनाव के नियमों के मुताबिक 50 फीसदी जिलों के जिलाध्यक्ष और प्रदेश परिषद सदस्यों के चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। लेकिन, मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री इस प्रयास में हैं कि सारे जिलाध्यक्ष घोषित हो जाएं। पार्टी ने हफ्ते भर की लंबी मेहनत में सभी जिलों में नाम तय करने के लिए मैराथन बैठकें की हैं।
चुनाव पर्यवेक्षक और अधिकारी भी नहीं बता पा रहे समय
जिलाध्यक्षों की लिस्ट कब जारी होगी इसका जवाब प्रदेश संगठन चुनाव की पर्यवेक्षक सरोज पांडे और बीजेपी के प्रदेश चुनाव अधिकारी विवेक शेजवालकर के पास भी नहीं हैं। दैनिक भास्कर ने दोनों से पूछा कि जिलाध्यक्षों की सूची कब आएगी, तो सरोज पांडे और विवेक शेजवालकर ने एक ही जवाब दिया—”जल्दी जारी हो जाएगी।”