Madhya Pradesh: इन IAS के पास नहीं है कोई जमीन, कई हैं धन कुबेर, कुछ को मिली विरासत…!

भोपाल। प्रशासनिक अधिकारी के नाते शानदार सैलरी, तमाम सुख-सुविधाएं, घर-गाड़ी मिलती है, लेकिन इसके बाद भी क्या आप सोच सकते हैं कि किसी कलेक्टर के पास एक इंच भी अचल संपत्ति न हो. मध्य प्रदेश में ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि 10 कलेक्टर हैं, जिनके पास मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में एक इंच भी जमीन का टुकड़ा नहीं है. वहीं कई कलेक्टर ऐसे भी हैं, जिन्हें गिफ्ट या फिर विरासत में करोड़ों की प्रॉपर्टी मिली है.इसका खुलासा आईएएस अधिकारियों द्वारा कार्मिक लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय को दी गई अचल संपत्ति की जानकारी से हुआ है. इस सूची में मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी समझे जाने वाले शहर इंदौर के कलेक्टर का भी नाम है।

इन कलेक्टरों के पास नहीं जमीन
मध्य प्रदेश के 10 जिलों में पदस्थ कलेक्टरों ने अभी तक जमीन का एक टुकड़ा नहीं खरीदा. इसमें 2010 बैच के आईएएस अधिकारी और मौजूदा इंदौर कलेक्टर आशीष सिंहभी हैं. इंदौर के पहले वे भोपाल में कलेक्टर और इंदौर-उज्जैन में नगर निगम कमिश्नर रहे हैं. वे एक फेमस क्विज शो के कर्मवीर एपिसोड में हॉटशीट पर भी बैठे थे और उन्होंने इस शो में 12 लाख रुपए जीते थे. डीओपीटी को दी गई वार्षिक जानकारी में बताया कि “मध्य प्रदेश और देश में उनके पास कोई अचल संपत्ति नहीं है.”

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खंडवा कलेक्टर अनूप कुमार सिंह के पास भी कोई अचल संपत्ति नहीं है. 2013 बैच के आईएएस अधिकारी अनूप कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के इटावा के रहने वाले हैं. वे ग्वालियर और जबलपुर में अपर कलेक्टर रहे हैं.बुरहानपुर कलेक्टर भव्या मित्तल ने भी अपनी अचल संपत्ति की जानकारी में बताया कि “उनके पास किसी भी राज्य में कोई अचल संपत्ति नहीं है. इसके पहले वे नीमच में जिला पंचायत सीईओ और धार में एसडीएम रही हैं. अप्रैल 2023 में वे दिल्ली के विज्ञान भवन में सिविल सेवा दिवस के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सम्मानित हो चुकी हैं.”
देवास कलेक्टर और 2014 बैच के आईएएस ऋषभ गुप्ता के पास भी कोई अचल संपत्ति नहीं है. देवास कलेक्टर के पहले ऋषभ गुप्ता इंदौर स्मार्ट सिटी में सीईओ रहे हैं. सीईओ रहते उनके द्वारा किए गए काम को लेकर उन्हें कार्बन क्रेडिट फाइनेंसिंग मैकेनिज्म में अवार्ड मिला था.शाजापुर कलेक्टर और 2014 बैच की आईएएस अधिकारी ऋजु बाफना के पास भी कोई अचल संपत्ति नहीं है. छत्तीसगढ़ मूल निवासी ऋजु नरसिंहपुर कलेक्टर भी रह चुकी हैं. इसके अलावा भोपाल नगर निगम में अपर आयुक्त, सिंगरौली में एडीएम, उज्जैन में एडीएम, जबलपुर में जिला पंचायत सीईओ भी रह चुकी हैं।

मुरैना में कलेक्टर और 2014 बैच के आईएएस अधिकारी अंकित अस्थानाके पास भी कोई अचल संपत्ति नहीं है. भोपाल के रहने वाले अस्थाना भोपाल स्मार्ट सिटी में सीईओ रह चुके हैं. इसके अलावा शिवपुरी में बतौर एसडीएम भी पदस्थ रहे हैं. उनके मां और पिता दोनों भोपाल में सीनियर डॉक्टर हैं.रीवा कलेक्टर और 2012 बैच कीआईएएस अधिकारी प्रतिभा पाल के पास भी कोई अचल संपत्ति नहीं है. रीवा कलेक्टर के पहले वे लंबे समय तक इंदौर नगर निगम कमिश्नर भी रहीं हैं.अनूपपुर कलेक्टर और 2015 के आईएएस अधिकारी हर्षल पंचोलीके पास भी कोई अचल संपत्ति नहीं है. वे पूर्व में एसडीएम पेटलावाद, टीकमगढ़ और अनूपपुर में जिला पंचायत सीअई रहे हैं. भोपाल में अपर कलेक्टर भी रह चुके हैं. आईआईटी कानपुर से पासआउट हर्षल मूलतः उज्जैन के रहने वाले हैं.

निवाड़ी कलेक्टर और 2014 बैच के आईएएस अधिकारी लोकेश जांगिड़ मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. उनके पास भी कोई अचल संपत्ति नहीं है. वे इसके पहले बड़वानी में अतिरिक्त कलेक्टर भी रह चुके हैं. वे कई बार विवादों में भी घिर चुके हैं.

2014 बैच की आईएएस शीतला पटले अभी नरसिंहपुर कलेक्टर है. उन्होंने बताया है कि उनके पास कोई अचल संपत्ति नहीं है. वे इसके पहले छिंदवाड़ा कलेक्टर भी रह चुकी हैं. वह मध्यप्रदेश की बालाघाट की रहने वाली है

9 कलेक्टरों को गिफ्ट और विरासत में मिली प्रॉपर्टी

वहीं कई कलेक्टर ऐसे भी हैं, जिन्होंने खुद तो प्रॉपर्टी न खरीदी हो, लेकिन गिफ्ट और विरासत में जरूर इन्हें संपत्ति मिली है. ऐसे करीबन 9 कलेक्टर हैं. इनमें विरासत में संपत्ति पाने वालों में सबसे आगे सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह अढायच का नाम है. सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह अढायच को राजस्थान बीकानेर में विरासत में करीबन 69 एकड़ भूमि विरासत में मिली है. इसके अलावा उनकी पत्नी को करीबन 5 एकड़ भूमि और 23सौ वर्ग फीट का प्लॉट गिफ्ट में मिला है. हालांकि अचल संपत्ति के विवरण में इसकी कीमत नहीं बताई गई।

धार कलेक्टर और 2013 बैच के अधिकारी प्रियंक मिश्रा को लखनऊ में पिता से 1.76 करोड़ रुपए कीमत का विरासत में मकान मिला है. हालांकि उन्होंन अब तक कोई अन्य प्रॉपर्टी नहीं खरीदी.झाबुआ कलेक्टर नेहा मीनाको भी मां ने गिफ्ट में प्रॉपर्टी दी है. उन्हें गिफ्ट में राजस्थान में 1800 स्क्वायर फीट का मकान, 1 हजार वर्गफीट पर निर्मित मकान मिला है. नेहा मीणा ने भी अब तक कोई अन्य प्रॉपर्टी नहीं खरीदी.भिंड कलेक्टर और 2011 बैच के अधिकारी संजीव श्रीवास्तवको भी पिता से विरासत में 4 करोड़ कीमत का कमर्शियल लैंड मिली. यह संपत्ति संजीव और उनके भाई के नाम है.सीधी कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशीको भी मां ने कृषि भूमि खरीदकर उनके नाम की है. इससे उन्हें हर साल करीबन चार लाख रुपए आय होती है.पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार को भी कुरूक्षेत्र हरियाणा में करोड़ों की जमीन विरासत में मिली है. कुरूक्षेत्र में मकान, 3 एकड़ जमीन इसमें शामिल है. उन्होंने खुद अभी तक कोई अचल संपत्ति नहीं जुटाई.छतरपुर कलेक्टर पार्थ जैसवाल 2015 बैच के अधिकारी हैं. उन्हें भी पिता से फ्लैट, मकान और 2 दुकानें विरासत में मिली हैं.नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीना को पिता से गिफ्ट में जयपुर में एक प्लॉट मिला है.वहीं हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह को पिता से विरासत में 10 एकड़ कृषि भूमि मिली है।

कलेक्टर को कितना मिलता है वेतन
अब आपको बताते हैं कि आईएएस बनने के बाद और एक कलेक्टर को कितनी तनख्वाह और सुख-सुविधाएं मिली हैं. एक आईएएस अधिकारी का न्यूनतम वेतन 56 हजार 100 रुपए प्रति माह से शुरू होता है. यह वेतनमान तब मिलता है, जब आईएएस बनने के बाद वह प्रोवेशनल पीरियड में होते हैं और जिले में उन्हें एसडीएम या सहायक आयुक्त बनाया जाता है. हालांकि यह मूल वेतन होता है, इसमें टीए, डीए और एचआरए शामिल नहीं है. जब उन्हें 5 से 8 साल का अनुभव हो जाता है और वे एडीएम, उप सचिव या अवर सचिव बन जाते हैं, तो उनका मूल वेतन 67 हजार 700 पहुंच जाता है।

9 से 14 साल के अनुभव होने और जिले में कलेक्टर बनने पर उनका मूल वेतन 78 हजार 800 से लेकर 1 लाख 18 हजार 500 रुपए तक हो जाता है. इस समय अवधि में उन्हें जूनियर स्केल श्रेणी में आईएएस ग्रेड पे के रूप में 5400 रुपए, वरिष्ठ समय स्केल में 6600 आइएएस ग्रेड पे, जूनियर प्रशासनिक ग्रेड या 9 साल का अनुभव होने पर आईएएस ग्रेड पे के रूप में 7600 रुपए और चयन ग्रेड यानी 12 से 15 साल का अनुभव होने पर आईएएस ग्रेड पे के रूप में 8700 रुपए अलग से मिलते हैं।

इसके अलावा चिकित्सा भत्ता, कार्यालय वाहन के रूप में एक से तीन वाहन और चालक, सुरक्षा के रूप में 3 हाउस गार्ड, 2 अंग रक्षक, खतरे की स्थिति में एसटीएफ के कमांडों मिलता है. इसके अलावा कलेक्टर अपने सुरक्षा कवर का निर्माण करने के लिए स्वतंत्र होता है. हाउस रेंट, महंगाई भत्ता, यात्रा भत्ता, सर्विस क्वार्टर, फोन बिल, यात्राओं के दौरान रेस्ट हाउस की सुविधा आदि तमाम सुविधाएं मिलती हैं।

साभार

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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