IAS posting inside story : कन्याल को मिला रावत की हार का पुरस्कार..? मनीष का कद बढ़ा, दुबे फिर सीएम के कोर ग्रुप में, नेहा को भी मिल गया मौका..

भोपाल। राज्य में ताजा प्रशासनिक फेरबदल ने एक साथ कई संदेश दिए हैं। जहां शासन के पावर सेंटर कहे जाने वाले भरत यादव की न केवल सीएम सचिवालय से विदाई हो गई, अपितु नगरीय प्रशासन विभाग से भी हटा दिया गया। हालांकि ये फेरबदल एक मंत्री की नाराजगी के चलते हुआ, लेकिन बाकी कई अफसरों की नई पदस्थापना से भी कई संदेश निकाले जा रहे हैं।

राजनीतिक हार का बदला अकसर सरकारें प्रशासनिक डंडे से लेती आई हैं और ऐसा कई बार हुआ। लेकिन, सोमवार को निकली लिस्ट में किशोर कान्याल को श्योपुर की अपेक्षा बड़े और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिले गुना की जवाबदारी सौंप दी गई। यहां से उपचुनाव में कुछ माह के मंत्री रामनिवास रावत हार गए थे। इसे भाजपा उम्मीदवार की हार का पुरस्कार समझा जा रहा है।

मनीष सिंह की सीएम के विश्वस्त अफसरों में एंट्री!

अधिकारियों की इस लिस्ट से एक और बात साफ होती दिख रही है कि 2009 बैच के मनीष सिंह ने मुख्यमंत्री का विश्वास हासिल कर लिया है। उन्हें वर्तमान दायित्व के साथ-साथ जेल विभाग का सचिव भी बनाया गया है। जाहिर है वह अब सकारात्मक रूप से मुख्यमंत्री की नजरों में आ गए हैं। सब जानते हैं कि मध्य प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में उनकी गिनती परिणाम देने वाले अधिकारी के रूप में होती है।

यादव की जगह चक्रवर्ती…!

सरकार के पावर सेंटर रहे भरत यादव की जगह सीबी चक्रवर्ती को मुख्यमंत्री ने अपनी टीम में शामिल करने के साथ-साथ नगरीय प्रशासन विभाग का आयुक्त पद का दायित्व भी सौंप दिया। इस बहाने उन्होंने यह इशारा भी कर दिया कि सीबी चक्रवर्ती के तार सीएम हाउस से सीधे जुड़े हुए हैं। यानी नगरीय प्रशासन का करंट सीएम हाउस तक बहेगा।

अरविंद दुबे फिर सीएम हाउस में

इस लिस्ट का एक संदेश यह भी रहा कि रायसेन कलेक्टर अरविंद दुबे को मुख्यमंत्री की टीम में अपर सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह काफी महत्वपूर्ण पद है और निश्चित रूप से उनके अनुभव का मुख्यमंत्री की टीम को फायदा मिलेगा। क्योंकि, वे पिछले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की टीम में भी उप सचिव के रूप में काम कर चुके हैं।

सोशल मीडिया पर दर्द छलका था नेहा का

इस सूची में एक महत्वपूर्ण नाम है नेहा मारव्या का, जो अभी तक राजस्व विभाग में अपर सचिव थी। कल की लिस्ट में उन्हें कलेक्टर डिंडोरी बनाया गया। जबकि, वे वरिष्ठता क्रम में काफी ऊपर है। लेकिन, प्रशासनिक जगत में सब जानते हैं कि पिछले चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैस से हुए एक विवाद को लेकर वे उनके निशाने पर आ गई थी और साइड लाइन रही। जबकि, उन्हें कलेक्ट्री चार साल पहले ही मिल जाना थी, जो कि उनके बैच के दूसरे IAS अधिकारियों को मिल चुकी है। कुछ ही दिन पहले नेहा का दर्द सोशल मीडिया पर छलक चुका है। लेकिन अब वे बमुश्किल दो साल ही जिले की कमान संभाल पाएंगी। क्योंकि, 2 साल बाद वे सुपर टाइम स्केल में आ जाएंगी।

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