MP : कोर्ट के आदेश के चार माह बाद भी इंदौर हुकमचंद मिल के आधे से ज्यादा मजदूरों को नहीं मिला मुआवजा, सीएम ने खिंचवाए थे फोटो
इंदौर। हाई कोर्ट के आदेश और मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की मंच से की गई घोषणा के बावजूद हुकमचंद मिल के मजदूरों को बकाया भुगतान मिलने में दिक्कत आ रही है। हालत यह है कि 5895 मजदूरों को मुआवजा मिलना है लेकिन चार माह बाद भी सिर्फ 2500 मजदूरों के खातों में ही भुगतान पहुंच सका है। जबकि इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बकायदा मजदूरों के और उनके परिजनों के साथ फोटो भी खिंचवाए थे।
भुगतान जारी करने की गति तेज करने की लगातार मांग के बावजूद कुछ नहीं हो रहा। मजदूर नेताओं का कहना है कि जिस गति से मुआवजा जारी हो रहा है, उससे तो सभी मजदूरों को भुगतान मिलने में एक वर्ष से ज्यादा समय लग जाएगा।
हुकमचंद मिल प्रबंधन ने 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद कर दिया था। उस वक्त मिल में 5895 मजदूर काम करते थे। इन सभी ने बकाया वेतन और मुआवजे के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अक्टूबर 2023 में नगर निगम और मप्र हाउसिंग बोर्ड द्वारा मिल की जमीन पर आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट लाने की सहमति बनने के बाद मप्र हाउसिंग बोर्ड ने मजदूरों के पक्ष में 217 करोड़ 86 लाख रुपये की राशि परिसमापक के खाते में ट्रांसफर की थी।
अब तक 2500 मजदूरों को ही मिली राशि
हाई कोर्ट के आदेश के बाद बनी तीन सदस्यीय समिति द्वारा मजदूरों का सत्यापन करने के बाद यह राशि मजदूरों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है। मजदूर नेता नरेंद्र श्रीवंश ने बताया कि अब तक सिर्फ 2500 मजदूरों के खाते में ही मुआवजे की राशि पहुंची है। समिति ने 1425 मृत मजदूरों की पत्नियों की तरफ से फार्म समिति को भेज दिए हैं, लेकिन इनका भुगतान अब तक नहीं हुआ। 400 जीवित मजदूरों को भी मुआवजा मिलना बाकी है