17 साल बाद भी चार साल की मासूम के हत्यारों को नहीं पकड़ पाई पुलिस

अलीम बजमी

भोपाल। 17 साल पहले शहर में एक दर्दनाक घटना घटित हुई थी। चार साल की मासूम की लाश दामखेड़ा में एक खंती में पड़ी मिली थी। हत्यारों ने उसे मौत की नींद सुलाने से पहले दरिदंगी भी की थी। ये चौंकाने वाला खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ था। पुलिस ने जांच के नाम पर काफी सक्रियता दिखाई। परिजनों ने कुछ संदिग्धों के नाम भी बताएं, लेकिन पुलिस के हाथों से हत्यारा आज भी दूर और कानून से आजाद है। इस घटना ने पूरे शहर को न केवल स्तब्ध, बल्कि शर्मसार भी किया था। घटना से आक्रोशित शहर ने मोमबत्तियां भी जलाईं और पुलिस-प्रशासन को कई दिनों तक कोसा भी, लेकिन वक्त गुजरने के साथ ही आक्रोश भी ठंडा पड़ गया और केस भी फाइलों में दब कर रह गया। यद्यपि ये मासूम किसी हाई प्रोफाइल परिवार से ताल्लुक नहीं रखती थी। न ही वोट पॉलिटिक्स का वोटिंग टूल थी। ऐसे में सीबीआई से जांच कराने जैसी बात भी नहीं हुई। ये बात है 3 सितंबर 2007 की है। कुरकुरे खाने की शौकीन चार साल की मासूम हमेशा की तरह अपने घर से हंसते-मुस्कुराते हुए निकली थी। लेकिन काफी देर तक घर नहीं लौटी, तो परिजनों ने उसे खोजना शुरू किया। आखिरकार काफी मशक्कत के बाद मासूम दामखेड़ा पेट्रोल पंप के पास खंती में मृत मिली। उसकी गला घोंटकर हत्या की गई थी।

पुलिस की सक्रियता पर सवाल
17 बरस गुजरने के बाद इस घटना के आरोपियों का अब तक कुछ अता-पता नहीं चला है। इस मामले में पिपलानी पुलिस के हाथ खाली रहने पर उसकी सक्रियता पर भी सवालिया निशान लगा हुआ है। हालांकि घटना घटित होने के बाद पुलिस ने जरूर सतर्कता दिखाई थी। दावा भी किया था कि आरोपी जल्द ही गिरफ्त में होगा। पुलिस की तत्परता को देखकर लगा था कि जल्द ही मासूम के हत्यारे सलाखों के पीछे नजर आएंगे, लेकिन गुजरते वक्त के साथ पुलिस का भी दम फूल गया। उसने या तो हथियार डाल दिए या वह किसी दबाव में आ गई। हालांकि ये इल्जाम नहीं, सिर्फ मासूम के गुनहगारों को सजा दिलाने के लिए टीस मात्र है।
सामान्य पूछताछ के बाद क्लीन चिट दे दी
बताते हैं कि चार साल की मासूम के पिता ने आला अफसरों से फरियाद करते हुए शिकायती लहजे में कहा था कि पुलिस मामले की सही जांच नहीं कर रही है। इस कारण मासूम बच्ची के हत्यारे पकड़े नहीं जा रहे हैं। परिजनों का आरोप रहा कि पुलिस का मानवीय सरोकार से नाता होता तो आरोपी जेल में होते। मासूम के पिता ने पुलिस के आला अफसरों से फरियाद में कहा था कि मासूम बच्ची की हत्या के मामले में उसे तीन लोगों पर शक है। इनके नाम भी पुलिस को बताए थे, लेकिन पुलिस ने इन्हें कानूनी शिकंजे में नहीं कसा। उनका दर्द है कि यदि वे हाई प्रोफाइल होते तो अब तक संदेह के आधार पर ही पुलिस आरोपियों को पकड़कर जेल भेज चुकी होती। जांच पड़ताल गंभीरता और सूक्ष्मता से होती तो परिणाम मिलते।

फेसबुक वाल से साभार

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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