Editorial: अपने स्टाइल में की प्रदेश के नये प्रशासनिक मुखिया अनुराग जैन ने की आमद, अफसरों को  दिया संदेश..

मध्यप्रदेश में बड़े इंतजार के बाद नये प्रशासनिक मुखिया के रूप में आईएएस अनुराग जैन की आमद हो गई है। कार्यभार सम्हालते ही उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली का संदेश दे दिया। उनका यह कथन चर्चाओं में है कि, फाइल और पर्चियां चलाने के बजाय अधिकारी काम को पूरा करना सीखें और समन्वय के साथ काम करें।
तेज-तर्रार और काम के साथ- साथ परिणाम की सोच रखने वाले आईएएस अनुराग जैन ने मध्य प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया बनने के बाद अपने अधीनस्थ अधिकारियों की एक घंटे से भी लंबी बैठक ले कर अपनी मंशा से उन्हें अवगत करा दिया। इस दौरान अनुराग जैन ने आईएएस अफसरों को सीधे और सपाट  शब्दों में काम करने का तौर-तरीका भी समझा दिया। मुख्य सचिव यह कहना था कि फाइल और पर्चियां चलाए के बजाय अधिकारी काम को पूर्ण करना सीखें और समन्वय के साथ काम करें।
मुख्य सचिव ने कहा कि मेरे सामने जो फाइल लाएं, उसमें यह अवश्य बताएं कि जो कर रहे हैं, उसका क्या लाभ है? और क्या अच्छा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब तकनीक का जमाना है, इसका उपयोग करके अपग्रेड हों। जहां जो भी अच्छा मिले, उसे ग्रहण करें। जैन ने कहा कि भारत सरकार के अधिकारियों से केवल प्रस्ताव भेजने के समय ही संपर्क न करें, बल्कि हमेशा संपर्क में रहें।
अनुराग जैन ने समझाया कि हम आईएएस हैं, हमें सब-कुछ आता है। इस भावना से काम न करें, बल्कि दूसरी सेवाओं के विशेषज्ञों के साथ समन्वय बनाएं और उनके अनुभव भी समझें।
मुख्य सचिव ने कहा कि एक विभाग से दूसरे विभाग को पत्र या पर्ची भेजकर औपचारिकता पूरी न करें। इससे अच्छा यह है कि अधिकारी आपस में चर्चा करें। इससे कामकाज की प्रक्रिया सरल बनेगी। अनावश्यक कागज चलाने का कोई औचित्य नहीं हैं। एक-दूसरे के संपर्क और संवाद से ही बेहतर परिणाम सामने आएंगे। सीएस अनुराग जैन से वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने मुलाकात की और उन्हें प्रदेश की वित्तीय स्थिति की जानकारी दी। इस दौरान जैन ने कहा कि परियोजना या योजना में किस तरह निजी भागीदारी हो सकती है, इस पर सबसे ज्यादा विचार करें। राज्य के पास पर्याप्त भूमि है, इसके सदुपयोग पर ध्यान दिया जाए।
पहले दिन की पहली बैठक के दो संदेश समझे जा सकते हैं। पहला तो यह कि अनुराग जैन भले ही दिल्ली में लंबे समय तक पदस्थ रहे हैं, परंतु उन्हें मध्यप्रदेश की प्रशासनिक गतिविधियों की भी अच्छी खासी जानकारी है। यानि यहां के प्रशासन की सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह की स्थितियों से वह परिचित हैं। सो यह सोचना कि पहले वह राज्य की प्रशासनिक स्थितियों की जानकारी लेंगे या अध्ययन करेंगे, सही नहीं होगा। उन्होंने सीधे काम करना शुरू कर दिया और अधिकारियों को यह संदेश भी दे दिया कि वह काम करने वाले अफसर खुद भी हैं और ऐसे ही लोग उन्हें पसंद हैं।
अनुराग जैन की शुरुआत मध्यप्रदेश से ही हुई। मैदानी पदस्थापनाओं के दौरान उन्होंने बहुत कुछ देखा भी और किया भी है। राजधानी भोपाल कलेक्टर से लेकर वह प्रदेश के वित्त मंत्रालय में भी पदस्थ रह चुके हैं। राज्य की वित्तीय स्थितियां भी अच्छी तरह से जानते हैं और संभवत: इसके लिए उनके मस्तिष्क में आगामी रूपरेखा का खाका भी बन चुका होगा। वित्तीय हालात की बात करेंं तो मध्यप्रदेश पर कर्ज का बोझ इतना बढ़ गया है कि ब्याज चुकाने तक के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। कर्ज का आंकड़ा बजट के करीब पहुंच चुका है। इसका प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती मान सकते हैं।
एक तरफ विकास योजनाएं और दूसरी ओर वित्तीय प्रबंधन। लाडली बहना योजना को बंद न करने की विवशता और पंचायतों तक के लिए पर्याप्त पैसे की अनुपलब्धता। ये एक सच्चाई है। इससे पार पाना असंभव तो नहीं, मुश्किल अवश्य है। माना जा रहा है कि नये मुख्य सचिव यदि अपने कौशल का पूरा उपयोग कर पाते हैं, तो चमत्कार भी हो सकता है। कुल मिलाकर प्रदेश में नये प्रशासनिक मुखिया के आने से सकारात्मक परिवर्तन की पूरी उम्मीद है और अनुराग जैन हर बार अपनी परीक्षा में खरे उतरते आए हैं, यहां भी खरे ही उतरेंगे, यह केवल हमारा नहीं, प्रशासनिक गलियारों में भी इसकी चर्चा है।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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