MP: मर्जी से कर्मचारियों का ट्रांसफर करने वाला जिला शिक्षा अधिकारी सस्पेंड
भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग ने कर्मचारियों के ट्रांसफर पर प्रतिबंध होने के बावजूद, अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए, शिक्षकों का ट्रांसफर करने वाले गुना जिले के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर सिसोदिया को सस्पेंड कर दिया गया है एवं उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। दोषी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि चंद्रशेखर सिसोदिया को नोटिस भेज कर दबाव बनाने का बड़ा शौक था। किसी भी शिक्षक की जरा सी शिकायत मिले, शिकायत ना भी मिले, कहीं से कोई संकेत भी मिल जाए तो तत्काल नोटिस भेज दिया करते थे। इसके बाद कभी किसी को सस्पेंड नहीं करते थे। नोटिस का उपयोग दबाव बनाने के लिए किया जाता है। इस बार मध्य प्रदेश शासन ने उन्हें नोटिस भेजा और उसके बाद सस्पेंड भी कर दिया।
मामला 3 सितंबर से शुरू हुआ। एक शिक्षक की शिकायत जनसुनवाई में कलेक्टर के सामने पहुंची। कलेक्टर ने वहीं पर DEO चंद्रशेखर सिसोदिया से उस मामले में हुई कार्रवाई के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि इसमें शिक्षक को नोटिस जारी कर दिया गया है। DEO के इस जवाब पर कलेक्टर भड़क गए। उन्होंने DEO से कहा कि आप छह महीने से नोटिस-नोटिस कर रहे हो, ताकि आपकी दुकान चलती रहे। मैं किसी जगह देखकर आया हूं, सस्पेंड करिए उसे। हर जगह नोटिस देते रहते हो।हर दिन नोटिस। आप कौन होते हो नोटिस देने वाले। जब सस्पेंड करने का मैंने बोला तो आप क्यों नोटिस दोगे। आप को देना ही नहीं है नोटिस। सस्पेंड कौन करेगा।
DEO ने कहा कि JD करेंगे या आप (कलेक्टर) करेंगे। इस पर कलेक्टर ने कहा कि तो मुझे करने दीजिए सस्पेंड, आप क्यों नोटिस दे रहे हैं। निलंबित करने के लिए नोटिस देने की जरूरत क्यों है। कोई नोटिस नहीं देना है, निलंबित करिए। पढ़ना न लिखना, हर काम के नोटिस भेज रहे हो। बुलाओ उस बाबू को जो नोटिस दे रहा है। देखते हैं कितना बड़ा नोटिसबाज है। आपने पिछले छह महीने से एक आदमी को सस्पेंड नहीं किया। क्यों आप नोटिस – नोटिस खेलते हो।
जांच में ट्रांसफर घोटाला का खुलासा हुआ
मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने जांच बैठा दी। अगले ही दिन 4 सितंबर को ADM सहित अन्य अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचे और फाइलों की जांच की। इस जांच में कई ऐसे खुलासे हुए, जो चौंकाने वाले थे। कई दिन तक चली जांच में यह सामने आया कि DEO ने मनचाही जगह शिक्षकों की पोस्टिंग के लिए निलंबन और बहाली का तरीका अपनाया। दरअसल, शिक्षकों का तबादला प्रदेश स्तर और प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से होता है। DEO को तबादले का अधिकार नहीं है। लेकिन, वह निलंबित शिक्षक की बहाली जिले के किसी भी स्कूल में कर सकते हैं। इसी बात का DEO ने फायदा उठाया।
जांच चलती रही, उधर घोटाला भी चला रहा
कलेक्टर ने इस मामले में जिला पंचायत CEO की अध्यक्षता ने जांच समिति बनाई। समिति ने जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश की। जांच में यह भी सामने आया कि अटैचमेंट पर भोपाल से रोक लगी, तो DEO ने अतिरिक्त प्रभार देकर अपने चहेतों को कार्यालय में अटैच कर अपने आसपास ही रखा। इतना ही नहीं किसी शिक्षक को मामूली गलती पर महीनों तक निलंबित रखा, तो किसी को गंभीर लापरवाही पर चंद दिनों में ही बहाल कर दिया। डीईओ चंद्रशेखर सिसौदिया के ऐसे ही कई कारनामे कलेक्टर द्वारा गठित समिति की जांच में सामने आए हैं। डीईओ के कारनामे जांच के दौरान भी नहीं रुके।
PORTAL पर भी सही जानकारी नहीं दी
इस दौरान जब अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग आयोजित की गई, तो उसमें भी अपने चहेतों को लाभ दिया। काउंसिलिंग में पारदर्शिता न रखते हुए पोर्टल पर सही जानकारी अपलोड नहीं की। अपने चहेते शिक्षकों को लाभ देने अन्य शिक्षकों की काउंसलिंग के समय रिक्त जगह पोर्टल पर छिपाई और बाद में दूसरों को वहां ट्रांसफर कर दिया। इसी तरह लगभग 32 बिंदुओं पर DEO के कार्यों की जांच की गई, जिसमें वह दोषी पाए गए।
जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने शिक्षा विभाग को कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन भेजा। प्रतिवेदन पर कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग ने DEO चंद्रशेखर सिसोदिया को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही उन पर विभागीय जांच भी बिठाई गई है। निलंबन अवधि में उन्हें कार्यालय लोक शिक्षण संचालनालय ग्वालियर अटैच किया गया है।