MP: RERA अध्यक्ष अजीत श्रीवास्तव की मुश्किल बढ़ी,जस्टिस करेंगे जांच,  EOW में भी मामला दर्ज

भोपाल। रेरा चेयरमैन अजीत श्रीवास्तव के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज किया है। इसके साथ ही उन पर लगे आरोपों की जांच जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी करेंगे। यह जांच रेरा एक्ट की धारा 26 के तहत होगी।
रेरा के चेयरमैन अजीत श्रीवास्तव पर लगे आरोप की जांच हाईकोर्ट के जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी करेंगे। दरअसल रियल स्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के चेयरमैन श्रीवास्तव के सख्त रवैये ने बिल्डरों की नींद उड़ा रखी है। इस मामले में कई बिल्डरों ने रेरा चेयरमैन के खिलाफ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को शिकायत कर उन्हें हटाने की मांग की थी, लेकिन रेरा एक्ट के अनुसार सरकार चाहकर भी रेरा चेयरमैन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। एक्ट के अनुसार रेरा चेयरमैन को हटाने के लिए धारा 26 में हाईकोर्ट जस्टिस से जांच करवाई जा सकती है, जांच में दोषी पाए जाने पर ही रेरा चेयरमैन को हटाया जा सकता है।
सरकार ने इस मामले में विधि विभाग से सहमति लेने के बाद रेरा चेयरमैन के खिलाफ आई शिकायतों की जांच के लिए हाईकोर्ट चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत को प्रस्ताव भेजा था। जिस पर मप्र हाईकोर्ट चीफ जस्टिस कैत ने जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी को नियुक्त किया है। जस्टिस भट्टी की जांच रिपोर्ट में यदि शिकायतें सही पाई जाती हैं तो उस रिपोर्ट के आधार पर सरकार रेरा चेयरमैन को हटाने का फैसला लेगी। यदि ऐसा होता है तो वे समय से पहले हटाए जाने वाले दूसरे चेयरमैन होंगे। रेरा मप्र के पूर्व चेयरमैन और आईएएस अधिकारी एंटोनी डिसा को भी समय से पहले हटाया गया था, लेकिन यह प्रक्रिया स्वेच्छा वाली थी।
चेयरमैन श्रीवास्तव पर रेरा में सरकार की बिना अनुमति के की गई भर्तियों, बिल्डर व डेवलपर के प्रोजेक्ट को समयसीमा से ज्यादा देर तक लटकाने सहित उन्हें परेशान करने के आरोप हैं। बता दें कि श्रीवास्तव 1984 बैच के IAS रहे हैं। रिटायरमेंट से पहले वे प्रशासन अकादमी के डीजी भी रह चुके हैं।

रेरा चेयरमैन एपी श्रीवास्तव पर EOW ने दर्ज की प्राथमिकी, नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप
दूसरी बार गलत प्रक्रिया अपना रही सरकार

रेरा चेयरमैन को हटाने की जल्दबाजी में सरकार दूसरी बार गलत प्रक्रिया अपना रही है। इसके पहले तत्कालीन मुख्य सचिव वीरा राणा ने सभी निगम- मंडलों के साथ रेरा चेयरमैन की नियुक्ति रद्द कर दी थी। जिस पर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। दरअसल रेरा चेयरमैन संवैधानिक पद है। ऐसे में साधारण आदेश से सरकार चैयरमेन को नहीं हटा सकती। ये साधारण सी बात तत्कालीन मुख्य सचिव राणा से लेकर जिम्मेदार आला अफसर समझ ही नहीं पाए। अब दूसरी बार भी उसी तरह की गलती सरकार करने जा रही है। सरकार ने जल्दबाजी में विधि विभाग से सहमति लेकर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस कैत से रेरा चेयरमैन श्रीवास्तव की जांच के लिए जस्टिस भट्टी की नियुक्ति तो करवा ली, लेकिन रेरा एक्ट की धारा 26 के नियम 35 को शायद पढ़ना भूल गई। जिसमें साफ साफ लिखा है कि रेरा चेयरमैन के खिलाफ आने वाली शिकायतों की प्रारंभिक जांच सरकार स्तर पर होगी। इन शिकायतों की स्क्रूटनी करने के बाद उसकी जांच हाईकोर्ट जस्टिस से करवाई जाएगी, लेकिन सरकार ने बिल्डरों की शिकायतों की स्क्रूटनी किए बिना ही जस्टिस भट्टी की नियुक्ति करवा ली। चौंकाने वाली बात ये है कि विधि विभाग ने भी रेरा एक्ट का अध्ययन किए बगैर ही सरकार के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए हाईकोर्ट चीफ जस्टिस को प्रस्ताव भेज दिया।

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ईओडब्ल्यू ने भी दर्ज किया है मामला

भोपाल के एक व्यक्ति प्रभाष जेटली की शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की है। उन पर रेरा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी करने का आरोप है। साथ ही आकृति बिल्डर्स के मामलों को रद्द करने पर भी सवाल खड़े हुए हैं। हालांकि अभी ये आरोप हैं। इसी आधार पर ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की है। जांच के बाद आरोपों की सच्चाई सामने आ सकेगी। जेटली ने शिकायत की है कि आकृति डेवलिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के आकृति गार्डंस प्रोजेक्ट में श्रीवास्तव और उनकी पत्नी नीति श्रीवास्तव ने आवासीय भूखण्ड नं. बी-168 लिया है। इसके साथ रेरा अध्यक्ष की हैसियत से श्रीवास्तव ने आकृति डेवलिंक्स के सभी प्रोजेक्ट को रद्द भी कर दिया, जबकि न्यायिक प्रक्रिया की सुचिता को देखते हुए श्रीवास्तव को आकृति डेवलिंक्स के प्रोजेक्ट को रेरा अध्यक्ष की हैसियत से सुनवाई नहीं करनी थी। शिकायत में ये भी कहा गया है कि रेरा में कई पदों पर भर्ती की गई हैं। इसमें एक न्याय निर्णय अधिकारी के स्वीकृत दो पदों में से एक पद का विज्ञापन निकाला गया, जबकि एक पद को बिना विज्ञापन के भर दिया गया। वहीं, संविदा नियुक्ति के अनुसार 65 वर्ष से अधिक उम्र के ऊपर भर्ती नहीं की जा सकती। इसके उलट श्रीवास्तव ने नियमों के विरुद्ध जाकर 65 वर्ष से अधिक उम्र पर भी नियुक्त कर दी।

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रेरा ने ईओडब्ल्यू की कार्रवाई को गलत ठहराया था

रेरा के सचिव ने डीजी EOW को पत्र लिखकर कहा था कि ईओडब्ल्यू द्वारा की गई कार्रवाई असंवैधानिक है। रेरा सचिव ने अपने पत्र में कहा कि आकृति बिल्डर पर न्यायलियन प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की गई है। आकृति बिल्डर ने हाईकोर्ट में 10 याचिकाएं की थीं, जिसे हाईकोर्ट ने 29 मार्च, 2022 को करते हुए उन्हें प्रारंभिक स्तर पर ही निरस्त किया गया था। रेरा सचिव ने कहा कि अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर लेने के लिए सरकार ने रेरा अधिनियम की धारा 28 में प्रावधान किए गए हैं, जिसमें साफ लिखा है कि रेरा में न्याय निर्णायक अधिकारियों की नियुक्ति रेरा ही करेगा। नियुक्ति प्रक्रिया में केवल राज्य शासन का परामर्श लिया जाएगा। रेरा ने जो भी नियुक्तियां की हैं वो नियम-कानून के अनुसार की गई हैं। रेरा सचिव ने ये भी कहा कि रेरा एक्ट की धारा 90 के अनुसार रेरा के अध्यक्ष, सदस्य और अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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