MP: प्रधानमंत्री के दौरे पर नागरिक का खुला पत्र: कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने उठाए तीखे सवाल
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भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्य प्रदेश दौरे के बीच एक नागरिक, संगीता शर्मा, ने उन्हें खुला पत्र लिखकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। अपने पत्र में उन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति, पर्यावरणीय नुकसान, भ्रष्टाचार और महिला सम्मान जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री से जवाब मांगा है।
संगीता शर्मा ने पत्र में लिखा, “मध्य प्रदेश, जो कभी देश के सबसे समृद्ध राज्यों में गिना जाता था, आज कर्ज में डूबा है। ऐसे में क्या सिर्फ उद्योगपतियों के आनंद के लिए करोड़ों रुपये खर्च करना उचित है?”
उन्होंने आरोप लगाया कि भोपाल के मानव संग्रहालय में हुए आयोजन के लिए सैकड़ों पेड़ काटे गए, जिससे पर्यावरण को भारी क्षति पहुंची। उन्होंने सवाल किया कि “क्या आपकी खुफिया एजेंसियों ने आपको इस नुकसान की जानकारी दी है?”
पत्र में बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री की टिप्पणी को लेकर भी प्रधानमंत्री से सवाल किया गया। संगीता ने लिखा, “क्या आप अविवाहित महिलाओं को ‘खाली प्लॉट’ बताने वाले धीरेन्द्र शास्त्री को संत मानते हैं?”
मध्यप्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “क्या अब भ्रष्टाचार ने विकास का स्थान ले लिया है? व्यापम घोटाले से लेकर हाल ही में एक पुलिसकर्मी के घर करोड़ों की संपत्ति मिलने तक, आपकी चुप्पी क्या यह संकेत देती है कि अब भ्रष्टाचार भी शिष्टाचार बन चुका है?”
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किए। उन्होंने लिखा कि हाल ही में अमेरिका से भारतीय नागरिकों को हथकड़ी पहनाकर भारत भेजा गया, जबकि कुछ को ट्रंप प्रशासन ने पनामा डिपोर्ट कर दिया। “यूक्रेन से छात्रों को लाने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री इस पर चुप क्यों हैं?”
संगीता शर्मा ने अपने पत्र के अंत में एलन मस्क के साथ प्रधानमंत्री की मुलाकात पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने पूछा, “जब आपने अपने उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के धनकुबेर एलन मस्क के बच्चों को खिलाया, तो आपको क्या अनुभूति हुई?” हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस पत्र पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस खुले पत्र ने सोशल मीडिया पर काफी चर्चा बटोरी है। विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस पत्र के मुद्दों पर बहस छेड़ दी है।
क्या प्रधानमंत्री देंगे जवाब?
संगीता शर्मा ने पत्र में लिखा कि उन्हें मालूम है कि प्रधानमंत्री इन सवालों के जवाब नहीं देंगे। लेकिन, उन्होंने उम्मीद जताई कि, शायद इन सवालों पर एक बार वे विचार अवश्य करें।
प्रधानमंत्री के दौरे के बीच यह पत्र सत्ता और जनता के बीच संवाद की कमी को भी उजागर करता है। अब देखना यह होगा कि सरकार या सत्तारूढ़ दल से इस पर कोई प्रतिक्रिया आती है या नहीं।