MP: 9 दिन के बजट सत्र को लेकर राज्यपाल से मिले कांग्रेस विधायक नेता प्रतिपक्ष बोले- लोकतंत्र नहीं चाहते तो एमपी को केंद्र शासित बनाने का प्रस्ताव भेज दें

भोपाल। प्रदेश में 10 मार्च से 24 मार्च तक बजट सत्र बुलाया गया है। इस सत्र में मात्र 9 दिन ही बैठकें होंगी। सत्र की अवधि कम होने को लेकर कांग्रेस विधायकों ने आपत्ति जताई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल मंगू भाई पटेल से मुलाकात की। नेता प्रतिपक्ष के साथ उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे, विधायक आरिफ मसूद और सुरेश राजे ने राज्यपाल को कांग्रेस विधायकों की ओर से ज्ञापन सौंपा।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मीडिया से चर्चा की। उन्होंने कहा कि, सामान्यतः पिछले सालों के बजट सत्र पूरे एक महीने चलते थे और हर विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा होती थी। लेकिन अब तो यह आपातकाल जैसी स्थिति बन गई है मध्य प्रदेश में। हमने राज्यपाल जी से अनुरोध किया है कि वे इसमें हस्तक्षेप करें।

राज्यपाल ने हमसे पूछा कि “आपकी सरकार से इस विषय पर कोई चर्चा हुई है क्या?” इस पर हमने कहा कि पहले परंपराएं थीं, लेकिन अब उन्हें बदल दिया गया है। राज्यपाल जी ने आश्वासन दिया है कि वे इस विषय में सरकार से बात करेंगे।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा, हमने राज्यपाल से कहा कि प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या हो रही है और आपको इसमें हस्तक्षेप करना पड़ेगा। अगर आप लोकतंत्र नहीं चाहते हैं तो बता दें और यहां से एमपी को केंद्र शासित करने का प्रस्ताव भेज दें।

सरकार डरपोक और नपुंसक हो गई

उमंग सिंघार ने आगे कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि मोहन यादव की सरकार चर्चा से क्यों डरती है? क्या सरकार इतनी डरपोक और नपुंसक हो गई है कि आज जनता और विपक्ष के सवालों से घबरा रही है?
“अगर आपकी सरकार समाज, युवाओं और ‘लाड़ली बहना’ के लिए काम कर रही है तो सामने आए। आप विधानसभा से क्यों भाग रहे हैं? यह लोग सिर्फ मंत्री और मुख्यमंत्री बनने के लिए सरकार बनाते हैं।

इन्हें जनता की आवाज और समस्याओं से कोई मतलब नहीं है। इसीलिए ये विधानसभा में चर्चा नहीं करना चाहते और लाइव टेलीकास्ट से बचते हैं। जब जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र की बात उठाता है तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं होता।
यह सरकार सिर्फ भ्रष्टाचार और घोटालों की सरकार है, बंद कमरों में काम करने वाली डरपोक और नपुंसक सरकार है। यह मध्य प्रदेश की जनता के लिए दुख की बात है कि बीजेपी जिन मुद्दों को लेकर आई थी, उनसे अब दूर भाग रही है।”

लैपटॉप और स्कूटी के लिए बजट में प्रावधान क्यों नहीं था

लैपटॉप और स्कूटी के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा, पहली बात यह है कि उनके बजट में प्रावधान क्या था? जब बजट में प्रावधान ही नहीं था तो ये स्कूटी कहां से देंगे? अब आनन-फानन में यहां-वहां से बजट तोड़कर स्कूटी दी जा रही हैं।
इससे यह साफ होता है कि प्रदेश के मेधावी छात्रों को लैपटॉप या स्कूटी देने की इनकी कोई मंशा नहीं थी। अगर मंशा होती तो बजट में प्रावधान होता और समय पर वितरण किया जाता।
“हर मेधावी छात्र को सरकार ने लैपटॉप देने का वादा किया था। हम सरकार से यह वादा पूरा करवाएंगे। कांग्रेस पार्टी ने स्कूटी के मुद्दे को उठाकर कुंभकरणी सरकार को जगाने का प्रयास किया। यह हमारे मेधावी छात्रों के लिए प्रयास था, जिनका अधिकार बनता है कि उन्हें लैपटॉप और स्कूटी मिले।

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