MP: हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं हटाए गए जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता शिरीष मिश्रा, कोर्ट ने कहा नियुक्ति अवैध, वित्तीय अधिकार वापस लिए जाएं

भोपाल। हाइकोर्ट  ने जल संसाधन विभाग में संविदा आधार पर नियुक्ति रिटायर्ड एसई को इसोनियरिंग इन चीफ (इंएनसी) और चीफ इंजीनियर के पद तत्काल छोड़ने और  सभी वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार भी तत्काल छोड़ने के आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक ई एन सी मिश्रा को हटाया नहीं गया है। उलटे पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम की पूरी तैयारी मिश्रा ही कर रहे हैं। विभागीय मंत्री ने इस मामले से सीएम को अवगत कर दिया था, पर नए प्रमुख अभियंता की नियुक्ति नहीं हो पाई।

कोर्ट ने जूनियर एस को सक्दिा नियुक्ति देकर ईएनसी और चीफ इंजीनियर की जिम्मेदारी देने के राज्य सरकार के आदेश को गलत ठहराया है। चीफ  जस्टिस सुरेश कुमार केत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने इस संबंध में कोर्ट को एकलपीठ के आदेश को पलटते हुए यह फैसला दिया है। जल संसाधन विभाग में ही पदस्थ सनियर एमई जोश सिंह कुरे और विनोद सिंह टेकाम करे अपील पर यह आदेश दिया गया है। जिसमें कहा था कि ये दोनों ही शिरीष कुमार मिश्रा से 5 वर्ष रिटायर्ड एसई शिरीष मिश्रा को एक साल के बाद संविदा आधार पर एसई पद पर एक साल के इंजीनियर और बरिष्ठरहने इंजीनियर दोनों के प्रभार पिछले 10 माह से नियुक्ति देरखी है।

चीफ जस्टिस ने अपने आदेश में साफ लिखा है… प्रतिवादी नंबर 4 को तुरंत इंजीनियर-इन-चीफ के पद का प्रभार छोड़ने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें सभी प्रशासनिक प्रभारों के साथ-साथ उक्त पदोन्नति पद के वित्तीय प्रभारों का त्याग भी शामिल होगा। प्रतिवादी संख्या 4 को मुख्य अभियंता (केंद्रीकृत निविदा इकाई), भोपाल का प्रभार भी दिया गया है जो अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति पद भी है। वह उस पद का वित्तीय और प्रशासनिक प्रभार भी छोड़ देंगे और यह स्पष्ट किया जाता है कि उन्हें केवल अधीक्षण अभियंता के पद या समान वेतनमान वाले समकक्ष पद का प्रभार संभालने की अनुमति दी जाएगी, न कि विभाग में किसी पदोन्नति पद का। जो अधीक्षण अभियंता के पद से उच्चतर है। प्रतिवादी नंबर 4 को ऐसे सभी प्रचार शुल्क तुरंत त्यागने होंगे

राज्यपाल को दिया था ज्ञापन

प्रदेश के शासकीय अधिकारी कर्मचारी महासंघ ने राज्यपाल से विभाग में पदस्थ किसी मौजूदा अधिकारी  को विभाग प्रमुख का पद का प्रभार देने का अनुरोध किया था। महासंघ की अध्यक्ष रघुवीर शर्मा ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा था,  विकास से जुड़े जल संसाधन विभाग में विभाग प्रमुख के पद पर वरिष्ठ स्थाई अधीक्षण इंजीनियर को कार्यभार नहीं सौंपा गया है, जबकि विभाग में इस पद के योग्य लगभग 10 अधीक्षण यंत्री  रूप से कार्यरत है। इनकी सेवा 12 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है। विभाग में तकनीकी सचिव एवं प्रमुख अभियंता जल संसाधन के साथ-साथ नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में गेग्बर इंजीनियर का पाद भी वरिष्ठ अधिकारियों इंजीनियरों को कार्यभार नहीं सौंपा गया है।उनका कहना है कि इतने बड़े महत्वपूर्ण विभाज में अधीक्षण यंत्री जो कि सेवा निवृत्त हो चुके हैं, उन्हें संविदा देकर प्रमुख अभियंता के पद का दो पद ऊपर प्रभार दिया गया है, जो कि नियम विरुद्ध है। वर्तमान में जनजाति वर्ग के अधीक्षण यंत्रियों के साथ सौतेला व्यावहार किया जा रहा है।
महासंघ ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि उक्त विसंगति को दूर करते हुए नियमानुसार जल संसाधन विभाग एवं कर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण वरिष्ठ स्थायी अधीक्षण को तकनीकी सचिव का प्रभार दिलाने की कृपा करें।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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