MP: जल संसाधन विभाग के रिटायर इंजीनियर चौबे के खिलाफ चलेगा केस, पांच बार दी गई थी सेवावृद्धि

10 साल बाद सरकार ने दी सहमति, अभी विभाग में  रिटायर्ड एस ई को बना रखा है ईएनसी

भोपाल । रिटायर्ड अधिकारियों के लिए स्वर्ग बने जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड प्रमुख अभियंता मदन गोपाल चौबे और अन्य अफसरों के खिलाफ अभियोजन दायर करने की सहमति दे दी है। जांच के मामले में सरकार ने 10 साल बाद स्वीकार किया है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार (Corruption) किया गया था। अब भ्रष्टाचार को लेकर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) पूर्व प्रमुख अभियंता मदन गोपाल चौबे के खिलाफ कोर्ट में केस चलाएगा। चौबे को सरकार ने रिटायर होने के बाद पांच बार सेवा वृद्धि दी थी। पूरी सरकार उस पर मेहरबान रही।

दरअसल, 2008-09 में हंसापुर और रीवा में जलाशय के करोड़ों रुपए के काम ठेकेदार को दिलाने के साथ उपयोगिता प्रमाण पत्र दिया था। टेंडर के मामले में हुई गड़बड़ी को लेकर ईओडब्ल्यू ने आर्थिक अपराध के साथ साल 2013 में केस दर्ज किया था। भष्टाचार के मामले में ईओडब्ल्यू ने अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी, जिस पर राज्य शासन ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का अभिमत मांगा था। जिस पर जल संसाधन विभाग ने भ्रष्टाचार के अधिनियम के तहत अभियोजन की स्वीकृति देने के लिए इनकार कर दिया था।

अब मामले में 10 साल बाद जल संसाधन विभाग के एसीएस राजेश राजौरा के निर्देश पर उपसचिव आशीष तिवारी ने अभियोजन की स्वीकृति दे दी है। अब अभियोजन की स्वीकृति मिलने पर ईओडब्ल्यू पूर्व प्रमुख अभियंता एमजी चौबे के खिलाफ कोर्ट में केस चलाएगा। इस मामले में कुंडम सब डिवीजन-3 के रिटायर्ड एसडीओ शिखरचंद जैन और प्रभारी कार्यपालन यंत्री हिरन जल संसाधन संभाग भी आरोपी बनाए गए हैं। इस दौरान प्रमुख अभियंता मदन मोहन चौबे तत्कालीन कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग डिंडोरी पदस्थ थे।

विधि विभाग से मिल चुकी है अनुमति
करोड़ों का अनुचित लाभ ठेकेदारों को पहुंचाने के मामले में विधि एवं विधायी कार्य विभाग द्वारा सरकार के मांगे जाने पर अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी है। जिसके बाद  राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग ने इन रिटायर्ड अफसरों के विरुद्ध न्यायालय में केस दायर करने की अनुमति दे दी है।

संविदा नियुक्ति को लेकर चर्चाओं में रहे चौबे
एमजी चौबे प्रमुख अभियंता रहने के दौरान सेवानिवृत्त हुए। लेकिन राजय सरकार द्वारा बार-बार अनुभवी और वरिष्ठ होने के कारण सेवावृद्धि देती चली गई। बार-बार सेवा वृद्धि दिए जाने के कारण चौबे हमेशा चर्चा में रहते थे। कई बार कैबिनेट में जब चौबे को सेवावृद्धि देने का प्रस्ताव आता तो वरिष्ठ मंत्री आपत्ति भी लेते थे, लेकिन विभागीय अधिकारी तर्क देते की कर्मठ और अनुभवी होने के कारण चौबे को सेवावृद्धि देना जरूरी है।

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