Bhind: लाडली बहना योजना में बड़ा घोटाला, 2 महीने से अधिकारियों के चक्कर काट रही महिलाएं
भिंड । जिले में लाडली बहना योजना के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. यहां कई महिलाओं के खाते में दो महीने की क़िस्त के पैसे नहीं आ रहे है, जिसमें दो महिलाओं के मामले सामने आए हैं. जिसको लेकर अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है. हालात यह है कि अधिकारी अब कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। इस मामले में कलेक्टर के पास भी शिकायतें। पहुंची लेकिन उन्होंने कोई सख्त कदम नहीं उठाया।
भिंड के फूप क्षेत्र के वार्ड 8 की रहने वाली संतोषी देवी की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. पति महेनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता है. सरकार द्वारा लाडली बहना योजना से मिलने वाली किस्त 1250 से उसका कुछ गुजारा चल जाता था. संतोषी के लिए यह क़िस्त उस वक्त अहम हो जाती है. जब बाइक से गिरकर संतोषी के सिर में चोट लग जाती है. संतोषी डॉक्टर से चैकअप कराने से लेकर दवाइयों का खर्चा भी इसी क़िस्त से चुकाती है. संतोषी को झटका तब लगता है जब उसके अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर माह की लाडली बहना योजना की क़िस्त आना बंद हो गई।
हालात यह है कि संतोषी की तीन महीने की दवाई बंद हो है. संतोषी देवी के पति ने इसकी शिकायत बैंक, नगर परिषद फूप और महिला बाल विकास अधिकारी से की।
दूसरे के खाते में स्थानांतरित हो गई राशि
जब इसकी जांच की गई तो जांच अधिकारियों ने इसे आधार कार्ड या केवाईसी की त्रुटि बताया, लेकिन जब संतोषी देवी ने लिखित शिकायत दर्ज कराई, तो सच्चाई सामने आई. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, उनकी राशि सुमन देवी नामक महिला के खाते में स्थानांतरित हो चुकी थी. सुमन देवी का बैंक खाता सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, चचाई शाखा, जिला अनूपपुर में है।
जब बैंक रिकॉर्ड की गहराई से जांच की गई, तो पता चला कि दिसंबर माह में सुमन देवी के खाते में करीब 9,22,000 रुपये जमा किए गए. इस राशि का अधिकांश हिस्सा जल्द ही निकाल लिया गया और खाते में केवल 5,000 रुपये शेष रहे।
इन महिलाओं के साथ खाते में नहीं आ रहा पैसा
लाडली बहना योजना की क़िस्त संतोषी देवी की नहीं नयागांव थाना क्षेत्र के बरैहिन निवासी कंचन देवी के साथ भी ऐसा ही हुआ है. कंचन देवी का खाता बैंक ऑफ इंडिया, पांडरी शाखा में है. उनकी नवंबर और दिसंबर माह की राशि राजकुमार पगारे नामक व्यक्ति के खाते में स्थानांतरित हो गई. जब कंचन देवी ने शिकायत दर्ज कराई, तो विभागीय जांच में खुलासा हुआ कि राजकुमार पगारे के खाते में बड़ी मात्रा में सरकारी राशि जमा की गई.
किसकी है लापरवाही ?
दोनों शिकायते मिलने के बाद महिला बाल विकास अधिकारी ने यह पता लगाने का प्रयास नहीं किया कि यह गड़बड़ी कैसे हुई. महिलाओं को पैसे वापस कैसे दिलाये जाए. सिर्फ एक महिला कर्मचारी बैंक की लापरवाही का आरोप लगाते हुए अपना पलड़ा झाड़ लिया. वहीं सेंट्रल बैंक के मैनेजर से बात की तो उन्होंने महिला बाल विकास विभाग की लापरवाही बताया. हालांकि जब महिला बाल विकास अधिकारी संजय जैन से इस भ्रष्टाचार के बारे में पूछा गया तो वो जवाब देने से बचते आए।