Bhopal: रमेश हिंगोरानी ने ही डलवाया था जीव संस्थान पर छापा…? अकूत संपत्ति वाला बाबू ईओडब्ल्यू का व्हिसलब्लोअर…!

भोपाल। मध्य प्रदेश तकनीकी शिक्षा संचालनालय के जिस बाबू पर लोकायुक्त ने हाल ही में छापा मारा, वह आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offence Wing-EOW) का व्हिसलब्लोअर निकला. उसने बैरागढ़ की जीव सेवा संस्थान (जेएसएस) में कथित आर्थिक अनियमितताओं की ईओडब्ल्यू को शिकायत की थी. इस शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू ने शिकायत में दर्ज व्यक्तियों से 80 लाख रुपये कैश भी बरामद किया था. सूत्र बताते हैं कि हो सकता है कि जिन लोगों पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की हो उन्होंने बाबू से बदला लेने के लिए लोकायुक्त में उसकी शिकायत कर दी हो. बताया जाता है कि अभी तक की जांच में लोकायुक्त को आरोपी बाबू रमेश हिंगोरानी की आय से 140 फीसदी ज्यादा संपत्ति मिली है।

16 अक्टूबर को लोकायुक्त पुलिस की जांच में आरोपी के पास से 1014 ग्राम सोना, 1021 ग्राम चांदी, 12 लाख रुपये कैश मिला है. भोपाल से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, लोकायु्क्त पुलिस आरोपी रमेश के पास मिले दस्तावेजों की गहन जांच कर रही है. साल 2022 में मध्य प्रदेश ईओडब्ल्यू ने जीव सेवा संस्थान पर छापा मारा था. इस दौरान जांच एजेंसी की टीम ने संस्थान के आर्थिक मामलों से जुड़े दस्तावेज जब्त कर लिए थे. इसके बाद टीम ने संस्थान के ट्रस्टियों को उसके सामने हाजिर होकर जवाब देने के लिए कहा था. दूसरी ओर, प्रवर्तन निदेशालय ( ED) ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी थी।

राज्य के राजस्व में हानि
इस बीच ईओडब्ल्यू ने ट्रस्ट के ट्रस्टियों और जेएसएस के अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ प्रदेश को राजस्व में हानि पहुंचाने का मामला दर्ज किया. आरोप लगाया गया कि जीव सेवा संस्थान के ट्रस्टियों और पदाधिकारियों ने विदेशों से मिले फंड से जमीनों के सौदे कर राज्य को हानि पहुंचाई. इसमें रजिस्ट्रार ऑफिस के कर्मचारी भी शामिल हैं. जांच में पता चला कि जेएसएस हॉन्कॉन्ग के लोगों से डोनेशन लेता है. इस पर फिलहाल जांच जारी है।

मिले छिपे लॉकर और नोट गिनने वाली मशीन
दूसरी ओर, सूत्र बताते हैं कि लोकायुक्त को रमेश हिंगोरानी के घर में तीन छिपे हुए लॉकर मिले हैं. इन्हीं लॉकर में से जांच टीम को सोना-चांदी और कैश मिला. इसके अलावा उसके घर से नोट गिनने वाली मशीन भी मिली है. जांच टीम अब इस पहलू की जांच करेगी कि 12 लाख रुपये गिनने के लिए कोई मशीन नहीं खरीदता है. हो सकता है कैश का फ्लो बहुत ज्यादा हो. फिलहाल उसके घर मिले सामानों की वैल्युएशन जारी है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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