भोपाल। भोपाल के सेंट्रल पार्क में डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा के बेटों, पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह और भाजपा विधायक सुदेश राय समेत कई बड़े अफसरों की भी जमीनें हैं। पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया X पर जमीनों के दस्तावेज जारी किए हैं।
बता दें कि आयकर विभाग ने 18 दिसंबर को भोपाल में त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक राजेश शर्मा समेत अन्य बिल्डर्स के यहां छापा मारा था। उसी राजेश शर्मा का कुणाल बिल्डर्स के जॉइंट वेंचर में सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट में काम चल रहा है।
पटवारी ने X पर लिखा- मोहन सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है, यह तथ्य बार-बार स्थापित होता जा रहा है। इसीलिए, मैं बार-बार लगातार दोहरा भी रहा हूं – यह “पर्ची” बहुत महंगी है।
डिप्टी सीएम की वीडी से बंद कमरे में चर्चा
पटवारी के द्वारा ट्वीट कर जमीनों के दस्तावेज सार्वजनिक किए जाने के बाद रविवार दोपहर डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने बंद कमरे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से करीब 15 मिनट तक चर्चा की। इस दौरान बेटे के नाम पर सेंट्रल पार्क में जमीन सामने आने पर कहा कि जहां बात करना है वहां करो।
सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट में इनके नाम मिली जमीनें
सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट को लेकर सामने आए एक भू-अभिलेख के दस्तावेज में भोपाल के सेवनिया गौड में भोपाल तालाब के लो डेंसिटी एरिया में चल रहे सेंट्रल पार्क आवासीय प्रोजेक्ट में कुणाल बिल्डर्स डेवलपर्स के डायरेक्टर विजय कुमार अग्रवाल, सौरभ अग्रवाल, रीतेश हरवानी, संगीता हरवानी, राधिका पत्नी राजेश शर्मा, कृष्णा बंसल, मीनू गोयल पत्नी युवराज गोयल के नाम पर जमीनें हैं।
वहीं कनिका कल्याणी पत्नी सुमित कल्याणी, गौरव जैन वैभव गोयल, रिशु कटारिया पत्नी आलोक कटारिया, अलोक कटारिया, सैयद विकार हुसैन, सुदेश राय, हर्ष देवड़ा पुत्र जगदीश देवड़ा, दीपक भावसार, बृजेन्द्र प्रताप सिंह, ज्ञानवती पटेल, मीना पांडेय पत्नी एके पांडेय, भूपेन्द्र सिंह ठाकुर के नाम जमीनें और प्लॉट की जानकारी सामने आई है।
सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट
विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने पिछले हफ्ते प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह आरोप लगाए थे कि भोपाल के तालाब के ग्रीन बेल्ट में जहां लो डेंसिटी एरिया है। वहां कुणाल बिल्डर्स की जमीन है। कुणाल बिल्डर्स ने इस जमीन पर आवासीय प्रोजेक्ट डेवलप करने के लिए पिछले दस सालों में कई बार परमिशन मांगी। लेकिन, लो डेंसिटी एरिया होने के चलते परमिशन निरस्त होती गई।
2021 में जैसे ही कुणाल बिल्डर्स ने सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट के डायरेक्टर राजेश शर्मा से एग्रीमेंट किया उसके तत्काल बाद से ही लो डेंसिटी एरिया में ही जमीनों की धड़ाधड़ परमिशनें मिल गईं। कटारे ने आरोप लगाया था कि इसी इलाके में पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, उनकी पत्नी और रिश्तेदारों के नाम से जमीनें खरीदी गई थीं।
आयकर विभाग ने राजेश शर्मा की 24 प्रॉपर्टी की हैं अटैच
18 दिसंबर को भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में 56 ठिकानों पर की गई छापेमारी में आयकर विभाग ने राजेश शर्मा के यहां से जमीन से संबंधित दस्तावेज जब्त किए थे। इसमें ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं की मिलीभगत भी सामने आई थी। इसके बाद आयकर विभाग ने भोपाल में शर्मा की 24 प्रॉपर्टी अटैच कर दी।
विभाग को आशंका है कि ये प्रॉपर्टी शर्मा अपनी बोगस कंपनियों के जरिए औने-पौने दामों पर बेच सकता हैं। आयकर विभाग ने पंजीयन विभाग के महानिरीक्षक को पत्र लिखकर शर्मा से संबंधित प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री पर रोक लगाने की सिफारिश की है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन प्रॉपर्टी को छह महीने के लिए अटैच किया है।