Atal Bihari हिंदी विश्वविद्यालय: 134 में से 72 पाठ्यक्रम ही हो रहे संचालित, विद्यार्थी मात्र 384

भोपाल। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर 2011 में राजधानी भोपाल में हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। सूखी सेवनिया में अक्टूबर 2020 में 50 एकड़ एरिया में विश्वविद्यालय को स्थायी भवन मिला। इसके भवन निर्माण में लाखों रुपये खर्च हुए, लेकिन चार साल बाद भी विद्यार्थियों का रुझान कम है।
हालांकि एक साल पहले 13 नियमित प्राध्यापकों की नियुक्ति की गई। इस साल केवल 384 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। इसमें एमए हिंदी में तो चार विद्यार्थियों ने पंजीयन कराया है। हिंदी विवि में 13 साल पहले 134 पाठ्यक्रम के साथ शुरू किया गया, लेकिन अब महज 72 पाठ्यक्रम तक सिमटकर रह गया है। कुछ विभागों में तो एक भी प्रवेश नहीं हुआ, जबकि आठ विभागों में एक-एक विद्यार्थी ने प्रवेश लिया है।
बता दें, कि दो सिंतबर को हिंदी विवि में साधारण सभा की बैठक आयोजित की गई थी। इसमें उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विद्यार्थियों की कम संख्या को लेकर चिंता जाहिर करते हुए निर्देशित किए थे कि विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नए-नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएं।
नहीं बन पाई अटल पीठ
चार साल पहले वर्तमान कुलगुरु खेमसिंह डहेरिया ने विवि में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए 35 लाख रुपये खर्च कर हिंदी प्रयोगशाला और शोध के लिए अटल पीठ बनाए जाने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक नहीं बनी। विवि में सुविधाएं बढ़ाने के लिए सलाना 367 करोड़ बजट स्वीकृत किया गया था, लेकिन अध्ययन केंद्र खोलने तक ही सिमट कर रह गया है। विवि के 180 से अधिक अध्ययन केंद्र संचालित हैं।

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