MP: जीवाजी यूनिवर्सिटी फर्जीवाड़ा: EOW में FIR के बाद उच्च शिक्षा विभाग का बड़ा एक्शन, शिवशक्ति महाविद्यालय की मान्यता रद्द
भोपाल। जीवाजी यूनिवर्सिटी फर्जीवाड़ा से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। EOW में एफआईआर दर्ज होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने बड़ा एक्शन लिया है। उच्च शिक्षा विभाग ने मुरैना जिले के शिवशक्ति महाविद्यालय की मान्यता रद्द कर दी है।
जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर क्षेत्रान्तर्गत भैरव शिक्षा प्रसार एवं समाज कल्याण समिति, सबलगढ़, मुरैना द्वारा संचालित अशासकीय शिव शक्ति महाविद्यालय (P449) निर्धारित स्थल झुंडपुरा, सबलगढ़ (मुरैना) में संचालित नहीं पाये जाने के फलस्वरूप बी.एन.एस.एस. के तहत् धारा 173 के अन्तर्गत भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 409, 467, 468, 120 बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के अन्तर्गत दिनांक 13/01/2025 को एफ.आई.आर. दर्ज की गई है।
आदेश में कहा गया है कि उपरोक्त आधार पर प्रदेश में अशासकीय महाविद्यालयों के संचालन संबंधी जारी मार्गदर्शिका की कंडिका 10 में प्रदत्त अधिकारों के अन्तर्गत भैरव शिक्षा प्रसार एवं समाज कल्याण समिति, सबलगढ़, मुरैना द्वारा संचालित अशासकीय शिव शक्ति महाविद्यालय (12449) को जारी किये गये समस्त अनापत्ति प्रमाण-पत्रों को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है।
बता दें कि ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरु अविनाश तिवारी सहित 19 प्रोफेसर्स पर EOW ने धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। कुलगुरु डॉ. अविनाश तिवारी पर फर्जी कॉलेज को आर्थिक लाभ पहुंचाने के गंभीर आरोप लगे हैं। ग्वालियर निवासी डॉ अरुण कुमार तिवारी ने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने मामले में बड़ी कार्रवाई की है।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
ईओडब्ल्यू महानिदेशक उपेंद्र जैन के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा 2012 से चल रहा था। शिवशक्ति कॉलेज कागजों पर हर साल संबद्धता प्राप्त कर रहा था, जबकि झुंडपुरा में इसके नाम पर कोई संस्थान नहीं है। शिकायतकर्ता डॉ. अरुण शर्मा ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया। उन्होंने बताया कि उन्हें इस फर्जी कॉलेज का प्राचार्य नियुक्त बताया गया, जबकि उन्होंने कभी इस संस्थान का अस्तित्व नहीं देखा।डॉ. शर्मा ने बताया कि उन्होंने मई 2023 में पहली शिकायत की थी। इसके बाद उन्होंने जेयू के अधिकारियों और रजिस्ट्रार को कई शिकायतें दीं, लेकिन कार्रवाई करने के बजाय उन्हें मानसेवी शिक्षक पद से हटा दिया गया। इसके अलावा, उनके कार्यरत कॉलेज, आर्यांश कॉलेज, मुरार से भी उन्हें बाहर करवा दिया गया।
शिकायतकर्ता डॉ. अरुण शर्मा ने कहा, “मुझे शिवशक्ति कॉलेज का प्राचार्य बताया गया, जबकि वह कॉलेज कहीं मौजूद ही नहीं है। जब मैंने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ आवाज उठाई, तो मुझे नौकरी से निकाल दिया गया और संचालकों द्वारा जान से मारने की धमकी दी गई।”डॉ. शर्मा ने पुलिस सुरक्षा के लिए एसपी से लिखित शिकायत की, लेकिन अभी तक सुरक्षा नहीं मिली है। उन्होंने ईओडब्ल्यू को कई दस्तावेज सौंपे और बार-बार प्रयास करने के बाद आखिरकार एफआईआर दर्ज करवाई।